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इस शहर में रामलीला मंचन की अनोखी परंपरा, ब्रिटिशकाल से जुड़ी हैं यादें

कर्णनगरी में गौरवशाली है रामलीला मंचन की परंपरा। ब्रिटिशकाल से ही कमेटियां करती रही हैं मनोहारी आयोजन। इस बार कोरोना के कारण मंचन की परंपरा पर लगा ग्रहण। कुंजपुरा में होगा हनुमान चालीसा व रामायण का अखंड पाठ।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 05:11 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 05:11 PM (IST)
इस शहर में रामलीला मंचन की अनोखी परंपरा, ब्रिटिशकाल से जुड़ी हैं यादें
करनाल में 2019 में रामलीला का मंचन करते कलाकार।

पानीपत/करनाल, जेएनएन। कुरु भूमि का हिस्सा माने जाने वाली ऐतिहासिक स्थली कर्णनगरी में रामलीलाओं के मंचन की अपनी गौरवशाली परंपरा है। हालांकि, अब शहर में मुख्यत: दो स्थानों पर लीला का मंचन होता है। जबकि, समीपवर्ती क्षेत्रों में कुंजपुरा गांव में मंचित होने वाली रामलीला की भी अलग ख्याति है। कोरोना संक्रमण के कारण लागू प्रशासनिक दिशा-निर्देशों के कारण इस वर्ष इनमें से किसी भी स्थान पर लीला का मंचन नहीं हो रहा है। विचार किया जा रहा है कि लीला के बजाय इस बार भजन कीर्तन से प्रभु सुमिरण किया जाए। कुंजपुरा में रामायण के अखंड पाठ व हवन यज्ञ के आयोजन का निर्णय लिया गया है। 

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बात करनाल शहर की करें तो यहां मुख्यत: श्री रामलीला सभा एवं रामायण पाठक सभा की ओर से अलग-अलग स्थानों पर रामलीलाओं का मंचन कराया जाता रहा है। ये दोनों ही कमेटियां काफी पुरानी हैं। ब्रिटिशकाल से पहले ही इनकी ओर से प्रभु श्रीराम के भक्तों के लिए रामलीला का मंचन किया जाता रहा है। श्री रामायण पाठक सभा के पदाधिकारियों का दावा है कि यह संस्था लगभग 112 वर्ष से अनवरत लीला का मंचन करती चली आ रही है।

सभा की ओर से प्रतिवर्ष जनता मंडी पर बनाए जाने वाले मंच पर प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र को कलाकारों के कुशल अभिनय के माध्यम से बहुत सुंदरता के साथ दर्शाया जाता है। प्रतिदिन लीला का आनंद उठाने वालों की अच्छी-खासी भीड़ पंडाल में उमड़ती है। इसके अलावा शहर के समस्त प्रमुख समाजसेवियों और अन्य वर्गों का भी पूरे आयोजन में भरपूर सहयोग हासिल होता रहा है। आयोजन पर होने वाले व्यय की व्यवस्था सभा की कार्यकारिणी चंदे तथा आपसी सहयोग से करती है। यद्यपि इस साल यहां रामलीला का मंचन नहीं हो रहा है लेकिन सभा की कार्यकारिणी विचार कर रही है कि इस बार विकल्प के रूप में क्या कदम उठाए जा सकते हैं। फिलहाल इस संदर्भ में किसी प्रकार का अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। 

इसी प्रकार, शहर के केंद्रस्थल कहलाने वाले रामलीला मैदान में भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीलाओं के मंचन की काफी पुरानी और गौरवशाली परंपरा है। यहां भी आजादी से पहले ही रामलीला का मंचन होता रहा है। लेकिन इस वर्ष रामलीला कमेटी की ओर से कोरोना काल के कारण आयोजन नहीं किया जा रहा है। कमेटी की ओर से रावण दहन पर भी खास प्रकार के इंतजाम किए जाते हैं। गत वर्ष इसी के तहत सीएम सिटी करनाल में 75 फुट के प्रदूषणरहित रावण का दहन किया गया था। इसमें आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए खास तौर पर बनाए गए कोल्ड अनार का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें अन्य पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण होता है। 

इसके अलावा, शहर से चंद किलोमीटर दूर स्थित कुंजपुरा में भी करीब नौ दशक से रामलीला का अनवरत एवं मनोहारी मंचन किया जा रहा है। लेकिन इस बार यहां रामलीला मंचन कोरोना महामारी के चलते स्थगित कर दिया गया है। श्री महावीर ड्रामेटिक क्लब के प्रेमपाल सागर व राजपाल रोजड़े ने बताया कि ब्रिटिश काल में 1930 से यहां लीला मंचन शुरू हुआ था और अब तक यह परंपरा कायम है। लेकिन इस बार लीला मंचन नहीं होगा। तय किया गया है कि यहां प्रथम नवरात्रि से रात्रि आठ बजे हनुमान चालीसा का पाठ व भजन कीर्तन किया जाएगा। इसके अलावा 24 से 25 अक्टूबर तक प्रात: नौ बजे तक रामायण का अखंड पाठ व हवन यज्ञ होगा। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि इस बार वे घरों में ही पूजा पाठ करें।


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