Tokyo Olympics : ये हैं नीरज चोपड़ा, गांव आते हैं तो बच्चों को भाला फेंकना सिखाते हैं, पढ़िए ये विशेष खबर
पानीपत के गांव खंडरा के नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो के फाइनल में जगह बना ली है। पहले ही प्रयास में उन्होंने क्वालीफाइ किया। टोक्यो में जाने से पहले उन्होंने कहा था कि अब सब कुछ झोंक देने का वक्त आया।
पानीपत, जागरण संवाददाता। पूरे देश की नजरें इस समय पानीपत के बेटे नीरज चोपड़ा पर हैं। भाला फेंकने के फाइनल राउंड में पहुंच चुके हैं। मतलौडा कस्बे के छोटे से गांव खंडरा के नीरज चोपड़ा के नाम एशियन, यूथ से लेकर कामनवेल्थ तक के स्वर्ण पदक हैं। पर उन्होंने कभी इन मेडल का गुमान नहीं किया। जब भी गांव आते हैं, बच्चों के बीच पहुंच जाते हैं। गांव में ही अब नीरज की वजह से बच्चे भाला फेंकने लगे हैं। इन बच्चों को बताते हैं कि भाला कैसे पकड़ना है, कितनी तेज दौड़ना है, कैसे दूर तक फेंकना है। पढ़िए ये विशेष खबर।
खंडरा गांव में अब दूसरे गांव से बच्चे पहुंचने लगे हैं। यहां पर भाला फेंकने की एकेडमी भी खुल गई है। कुछ महीने पहले नीरज चोपड़ा अपने गांव पहुंचे थे। उन्हें पता चल चुका था कि अब बच्चे यहां भाला फेंकते हैं। खुद को बच्चों से दूर नहीं रख पाए। तुरंत मैदान में पहुंच गए। बच्चे भी नीरज भैया बोलते हुए दौड़कर उनके पास पहुंच गए। एक किशोर ने भाले को गलत तरीके से पकड़ा हुआ था। उसकी दौड़ भी ठीक नहीं थी। नीरज ने बताया कि किस तरह भाला पकड़ना है। खुद दौड़कर दिखाया। इसके बाद उसी किशोर ने शानदार वापसी की और नीरज की तरह ही भाला फेंककर दिखाया। और मैदान तालियों से गूंज उठा।
नीरज ने लिया था वादा
गांव के मैदान पर खेल रहे बच्चों से नीरज ने वादा लिया था कि पूरे विश्वास के साथ खेलते रहना। अभ्यास न छोड़ना। गांव के बच्चे अब अभ्यास नहीं छोड़ते। कोरोना की वजह से कोई चैंपियनशिप नहीं हो सकी। इसके बावजूद बच्चे रोजाना यहां खेलने पहुंचते हैं।
चांद तक पहुंचा देना भाला
नीरज ने टोक्यो रवाना होने से पहले कहा था, मैं बेहद उत्साहित हूं। मेरा पहला ओलिंपिक है। अब सब कुछ झोंक देने का वक्त आ गया है। आप समर्थन देते रहें। उनके इस ट्वीट पर एक यूजर ने लिखा, भाई जैवलिन को चांद तक फेंक देना। इसके बाद इस ट्वीट को कई बार रीट्वीट किया गया।