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Tokyo Olympics: नीरज बचपन से जेलेजनी के मुरीद, वीडियो देख सीखा भाला, अब उन्‍हींं के चैंपियन को दी मात

जेलेजनी के वीडियो देखकर पानीपत के नीरज चोपड़ा ओलिंपिक चैंपियन बने। उन्हीं के शिष्यों को हराया। बचपन से नीरज जेलेजनी के मुरीद रहे हैं। फोन में 50 वीडियो। तीन साल पहले जेलेजनी से मिलने की मुराद पूरी हुई थी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 09:36 AM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 09:36 AM (IST)
Tokyo Olympics: नीरज बचपन से जेलेजनी के मुरीद, वीडियो देख सीखा भाला, अब उन्‍हींं के चैंपियन को दी मात
उवे हान (बायें) और जन जेलेजनी (दायें) के साथ नीरज चोपड़ा (बीच में)।

पानीपत, [विजय गाहल्याण]। चेक गणराज्य के जन जेलेजनी के नाम 98.48 मीटर तक भाला फेंकने का विश्व रिकार्ड है। सेना के सूबेदार नीरज चोपड़ा बचपन से ही उन्हीं के मुरीद रहे हैं। नीरज ने 87.58 मीटर तक भाला फेंककर ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीता। जेलेजनी के शिष्य चेक गणराज्य के जाकुब वादलेच को रजत और वितेजस्लाव वेस्ली को कांस्य पदक पर रोक दिया। चोपड़ा की जीत पर जेलेजनी ने खड़े होकर तालियां बजाईं। ये नीरज के लिए भी गर्व की बात है।

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नीरज के साथ चार साल तक पंचकूला में कमरे में रहे और ट्रेनिंग कर चुके सीनियर जैवलिन थ्रोअर प्रमिंद्र ढौंचक ने दैनिक जागरण को बताया कि नीरज जन जेलेजनी के भक्त हैं। उनके फोन में जेलेजनी की 50 से ज्यादा जैवलिन थ्रो करने की वीडियो हैं। इन्हीं वीडियो को देखकर नीरज ने तकनीक में सुधार भी किया। नीरज अक्सर कहते थे कि उन्हें चैन तब मिलेगा, जब अपने हीरो से मिलेंगे। तीन साल पहले जन जेलेजनी से मिलकर खुश हो गए। जेलेजनी ने भी नीरज के थ्रो करने के स्टाइल और सफलता होने की तारीफ की थी।

दोस्त वेटर के तीसरी थ्रो पर नीरज ने बजाई ताली

नीरज चोपड़ा और जर्मनी के स्टार जैवलिन थ्रोअर योहानस वेटर में दोस्ती है। दोनों कई प्रतियोगिताओं में एक साथ खेल चुके हैं। ओलिंपिक में भी दोनों आमने-सामने थे। वेटर को स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा था। वेटर पहले दो थ्रो में नीरज से पीछे रहे। तीसरे थ्रो में नीरज ने वेटर का हौसला बढ़ाने के लिए तालियां बजाई। वेटर का थ्रो कामयाब नहीं रहा। वह बेस्ट आठ से भी बाहर हो गए। बाद में कहा भी गया कि आज महान थ्रोअर वेटर का दिन नहीं था। इसी वजह से वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए।

ट्रेनिंग सेशन में किया था अच्छा थ्रो, तभी से पदक की उम्मीद जगी थी

नीरज के साथ छह साल इंडिया कैंप में साथ रहने वाले जींद के सच्चा खेड़ा गांव के जैवलिन थ्रोर राजेंद्र नैन ने बताया कि नीरज पहले ट्रेङ्क्षनग सेशन में कम ही थ्रो करते थे। इस बार नीरज ने पटियाला में कड़ा अभ्यास किया और 86 मीटर थ्रो किया था। स्वीडन और टोक्यो जाने से पहले पूरे आत्मविश्वास में था और पदक की उम्मीद थी। ओलिंपिक से पहले नीरज ने कई मुकाबले भी खेले। ये भी उनके लिए कारगर साबित हुआ।

ट्रेनर जितेंद्र का प्रण पूरा, ओलिंपिक जीतने पर ही नीरज के घर पहुंचे

80 किलो के नीरज को उनके चाचा सुरेंद्र कुमार शिवाजी स्टेडियम में जैवलिन थ्रोअर व फिटनेस ट्रेनर जितेंद्र जागलान के पास ले गए थे। जागलान ने नीरज का करीब 20 किलो वजन कम कराया। जैवलिन थ्रो कराकर देखी। तभी से जागलान ने सुरेंद्र कुमार को कह दिया था कि नीरज ओलिंपिक में पदक जीत सकते हैं। वह उनके घर तभी आएंगे, जब पदक जीत लेंगे। पहले स्वजनों ने कई बार जितेंद्र को घर बुलाया, लेकिन वह नहीं गए। शनिवार को नीरज ने स्वर्ण पदक जीता तो जितेंद्र उनके घर गए।


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