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टोक्यो ओलिंपिक के गोल्डन ब्वाय नीरज चोपड़ा का गांव खंडरा, विकास की फाइलों में धंसा अव्यवस्था का भाला

टोक्यो ओलिंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा का गांव दुर्दशा का शिकार है। गांव में पीने का स्वच्छ पानी भी नहीं है। खारा पानी है जो पीने लायक नहीं है। महिलाओं को करीब दो किलोमीटर दूर खेतों के ट्यूबवेल से पीने का पानी लाना पड़ता है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 06:05 AM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 06:05 AM (IST)
टोक्यो ओलिंपिक के गोल्डन ब्वाय नीरज चोपड़ा का गांव खंडरा, विकास की फाइलों में धंसा अव्यवस्था का भाला
नीरज के गांव खांडरा की इसी जमीन पर स्टेडियम का निर्माण होना है।

विजय गाहल्याण, पानीपत। ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद अर्जुन अवार्डी नीरज चोपड़ा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने 2016 में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक के साथ विश्व रिकार्ड बनाया। 2018 में एशियन गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीते। प्रदेश सरकार ने इन्हीं उपलब्धियों को ध्यान में रखकर गांव में छह करोड़ रुपये की लागत से खेल के मैदान से लेकर विकास कार्य करवाने का वादा किया था। पंचायत को ग्रांट न मिलने से तीन साल से खेल का मैदान नहीं बना है। 

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विडंबना तो यह है कि गांव में पीने का स्वच्छ पानी भी नहीं है। पानी में टीडीएस (टोटल डिसोल्वड सॉलिड) 1800 से 2400 है। खारा पानी है जो पीने लायक नहीं है। महिलाओं को करीब दो किलोमीटर दूर खेतों के ट्यूबवेल से पीने का पानी लाना पड़ता है। इस समस्या के बार में पंचायत कई बार प्रशासनिक अधिकारियों व जनस्वास्थ्य विभाग को अवगत करा चुकी है, लेकिन समाधान नहीं हो सका है। 

खेल का मैदान नहीं है, खिलाड़ी परेशान

पंचायत ने गांव से बाहर छह एकड़ जमीन स्टेडियम के लिए स्वीकृत कर रखी है। पंचायत ने अपने स्तर पर 400 मीटर का ट्रैक बनाया। अभी तक स्टेडियम का निर्माण नहीं हो पाया है। खिलाड़ी पंकज, राहुल और विकास ने जागरण को बताया कि गांव में खेल का मैदान नहीं है। खिलाडिय़ों को पानीपत व अन्य जगह अभ्यास के लिए जाना पड़ता है। इससे समय व धन की बर्बादी ज्यादा होती है। गांव में खेल का मैदान बने तो और भी खिलाड़ी राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीत सकते हैं। 

खंडरा गांंव में ट्यूबवेल लगा है। लेकिन, बिजली का कनेक्शन नहीं हो पाया।

मोबाइल की रेंज न होने से होती है परेशानी

नीरज के चाचा भीम चोपड़ा ने बताया कि गांव में मोबाइल फोन की रेंज कम है। फोन से कई बार रिश्तेदारों से भी बात नहीं हो पाती है। कामनवेल्थ गेम्स में नीरज ने स्वर्ण पदक जीता था। तभी भी गांव में मोबाइल की रेंज नहीं थी। ग्रामीणों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बता दें कि नीरज ने ओलिंपिक मेडल जीता, तब सीएम मनोहरलाल नीरज के स्वजनों से बात करना चाहते थे। काफी देर तक फोन का नेटवर्क नहीं मिला।

छात्राओं के लिए बस की सुविधा नहीं 

गांव में राजकीय माध्यमिक विद्यालय है। बार-बार मांग करने की बावजूद स्कूल अपग्रेड नहीं किया गया है। ग्रामीण का कहना है कि छात्राओं को नौवीं से आगे की पढ़ाई के लिए मतलौडा या पानीपत जाना पड़ता है। छात्राओं के लिए बस की सुविधा नहीं है। इसी वजह से छात्राओं के स्कूल व कालेज में आने-जाने में दिक्कत होती है। ग्रामीणों ने पहले परिवहन मंत्री से भी कई बार मांग की थी, लेकिन बस की व्यवस्था नहीं हो पाई।

ये होने हैं विकास कार्य

  • थिराना रोड पर 1.30 करोड़ रुपये की लागत से स्टेडियम का निर्माण होना है। इसमें एथलेटिक्स ट्रैक, वालीबाल का मैदान, कुश्ती व कबड्डी के हाल बनने हैं।
  • पीने के पानी के लिए 66 लाख रुपये की लागत से पांच ट्यूबवेल लगाए जाने हैं। एक ट्यूबवेल लगा है, लेकिन बिजली का कनेक्शन नहीं हुआ है।
  • 85 लाख रुपये की लागत से बरात घर बनना है। 
  • 18 लाख रुपये खर्च कर पंचायत, सरपंच व पटवारी के कार्यालयों का निर्माण होना है। 

कार्योंलय के चक्कर काट कर थक चुका हूं, नहीं मिली ग्रांट

खंडरा गांव के निवर्तमान सरपंच शैलेंद्र कुमार ने जागरण को बताया कि गांव में खेल प्रतिभा की कमी नहीं है। जरूरत है तो स्टेडियम व सुविधा की। तत्कालीन डीसी के आदेश पर तीन साल पहले छह करोड़ रुपये के विकास कार्यों का प्रपोजल बनाकर पंचायत विभाग के निदेशक को बीडीपीओ के माध्यम से भेज दिया था। इस बारे में विभागों के कार्यालयों के चक्कर काटने के साथ-साथ विधायक व सांसद को भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो पाई। 

ग्रांट मिलते ही काम होगा 

बीडीपीओ अशोक छिक्कारा ने बताया कि खंडरा गांव में विकास कार्य होने हैं। कोरोना की वजह से छह करोड़ की ग्रांट पंचायत निदेशालय मिलते ही कार्य करवा दिए जाएंगे। स्टेडियम की जमीन को लेकर कई ग्रामीणों ने कोर्ट से स्टे ले लिया है। इस वजह से भी काम अटका है।

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