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आयुष्मान भारत योजना के जरिए फर्जीवाड़ा, पर्दाफाश हुआ तो वसूली रकम, कार्रवाई भूले

आयुष्मान भारत योजना के कार्ड के जरिए तीन लोगों ने फर्जीवाड़ा किया। इसके बाद जब फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ तो उनसे रकम वसूली गई लेकिन प्रशासन कार्रवाई करना भूल गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 03:18 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 03:18 PM (IST)
आयुष्मान भारत योजना के जरिए फर्जीवाड़ा, पर्दाफाश हुआ तो वसूली रकम, कार्रवाई भूले
आयुष्मान भारत योजना के जरिए फर्जीवाड़ा, पर्दाफाश हुआ तो वसूली रकम, कार्रवाई भूले

पानीपत, जेएनएन। तीन फर्जी पात्रों ने आयुष्मान मित्र, डाटा इंट्री ऑपरेटर से सांठगाठ कर आयुष्मान भारत योजना के कार्ड बनवाए। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज भी कराया। गड़बड़झालों की पोल खुली तो स्वास्थ्य विभाग ने फर्जी पात्रों से इलाज खर्च की रकम जमा करा ली। हैरत है कि पूरे खेल में आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया। महिला आयुष्मान मित्र को नौकरी से हटाया तो उसकी बड़ी बहन को जॉब दे दी। गांव बुआना लाखू वासी दीपक मलिक की आरटीआइ के जरिए आयुष्मान योजना में गड़बडिय़ों की पोल खुली है। 

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केस संख्या एक

वार्ड नंबर-तीन, इंसार बाजार निवासी सुमित छाबड़ा का नाम आयुष्मान भारत योजना के पात्रों में शामिल नहीं था। उसने आयुष्मान मित्र तसनीम फातिमा (करीब नौ माह पहले नौकरी छोड़ चुकी है) के जरिए 31 अक्टूबर 2018 को गोल्डन कार्ड बनवाया। 12 फरवरी 2019 को सिग्नेस महाराजा अग्रसेन अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में इलाज कराया। आयुष्मान भारत हरियाणा ने अस्पताल के खाते में पैकेज की राशि 43 हजार 125 रुपये जमा करा दी। डाटा इंट्री ऑपरेटर ने भी दस्तावेजों की ठीक से जांच किए बिना गोल्डन कार्ड एप्रूव किया। स्वास्थ्य विभाग ने आपरेटर को हटाकर और सुमित छाबड़ा से 40 हजार रुपये आयुष्मान भारत हरियाणा के खाते में जमा कराकर फाइल को बंद कर दिया। 

केस संख्या दो 

पानीपत वासी पूनम पत्नी राजेश ने भी फर्जी तरीके से गोल्डन कार्ड बनवाया। जीसी गुप्ता अस्पताल में किडनी में पथरी का इलाज कराया। 29 जून 2019 को अस्पताल से डिस्चार्ज हुई। 11 नवंबर 2019 को नोटिस जारी किया गया। 11 दिसंबर 2019 को पूनम ने आयुष्मान भारत हरियाणा के खाते में 25 हजार रुपये जमा करा दिए। इस केस में किसकी चूक रही, आरटीआइ के जबाव में इसका जिक्र नहीं किया गया है। 

केस नंबर तीन

जैन मुहल्ला, पानीपत निवासी महेंद्र पुत्र अवनाशी लाल का नाम योजना की सूची में नहीं था। इस केस में भी आयुष्मान मित्र ने दस्तावेजों की ठीक से जांच किए बिना अवनाशी लाल का कार्ड बनाने के लिए स्टेट हेल्थ अथॉरिटी को प्रार्थना पत्र भेजा। डाटा इंट्री आपरेटर ने भी बिना जांच कार्ड एप्रूव कर दिया। अवनाशी लाल का कार्ड 28 अक्टूबर 2018 को बना। 30 अक्टूबर 2010 को प्रेम अस्पताल में इलाज हुआ, खर्च करीब 50 हजार आया। 31 दिसंबर 2018 को अवनाशी लाल की मृत्यु हो गई। इस केस में आयुष्मान मित्र कृष्ण और आपरेटर की चूक रही। बाद में मृतक के पुत्र महेंद्र ने 50 हजार रुपये आयुष्मान भारत हरियाणा के खाते में जमा कराए। 

चौथे केस की जांच जारी  

आयुष्मान भारत योजना का फर्जी तरीके से गोल्डन कार्ड बनवाकर एक और व्यक्ति ने एपेक्स अस्पताल में 30 हजार रुपये का फ्री इलाज कराया है। विभाग ने केस की जांच शुरू कर दी है। 

यूं आए पकड़ में

अपात्रों के आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए ऐसे हमनाम लोगों के नाम सूची में तलाशे गए। पिता का नाम भी समान था। जांच हुई तो पता चला कि किसी के दादा और तो किसी के परिवार के अन्य सदस्यों के नाम मेल नहीं हो रहे थे। इसी से केस पकड़ में आ गए। 

योजना का फर्जी तरीके से लाभ उठाने, पकड़ में आने पर इलाज की रकम जमा कराने से कोई दोष मुक्त नहीं हो जाता। मैं ऐसे सभी केसों की जांच कराता हूं। 

धर्मेंद्र सिंह, डीसी 

तीनों केसों की जांच रिपोर्ट आयुष्मान भारत हरियाणा, हेल्थ प्रोटेक्शन अथॉरिटी को भेजी हुई है। वहां से निर्देश मिलने के बाद ही कुछ कार्यवाही होगी। केसों में क्या रहा, जिला सूचना प्रबंधक से बात की जाएगी। 

डा. संतलाल वर्मा, सिविल सर्जन


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