इन किसानों ने कर दिया कमाल, मशरूम की खेती कर हो रहे मालमाल
कैथल के तीन किसानों के हौसलों ने उनको मालामाल कर दिया। कैथल के इन किसानों ने मशरूम उत्पादन शुरू किया। मशरूम की खेती करके हर दो महीने में एक हजार बैग तैयार करके करीब दो लाख पचास हजार रुपये कमा रहे हैं।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। कहते है इंसान के इरादे बुलंद हों और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई काम मुश्किल नहीं है। इसकी मिसाल पेश की है कैथल के किसानों ने। जिसने मशरूम की खेती को अपना आय का जरिया बनाकर अपनी मेहनत से लाखों का कारोबार कर रहेे है। पारंपरिक खेती बाड़ी ने जब धोखा देना शुरू कर दिया ताे कैथल के किसानों ने मशरूम की खेती करने की ठानी।
शुरुआत में साथी किसानों ने सांप की छतरी कहकर यह प्रयोग करने को लेकर डराया भी गया, लेकिन किसानों ने हार नहीं मानी। खेती को अपना व्यवसाय बना लिया। अब खास बात यह है कि कैथल के मशरूम किसानों की मांग इतनी है कि दूसरे राज्यों से भी मशरूम बैग लेने की डिमांड आ रही है। मशरूम की खेती करके किसान अन्य फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। मशरूम की खेती जैविक रूप से किए जाने के कारण यह स्वास्थ्य को ठीक रखने में काफी लाभदायक साबित होती है।
गुरचरण।
तीन प्रकार की होती है मशरूम की खेती
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मशरूम की खेती तीन प्रकार से होती है। जो 12 महीने लगातार हो सकती है। पहला प्रकार बटन मशरूम है जो सर्दी के मौसम में उगाई जाती है। जिसके लिए 16 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए। दूसरा प्रकार डिंगरी मशरूम है, जो सामान्य मौसम में होती है। जिसके लिए 20 से 27 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए। तीसरा प्रकार मिल्की मशरूम है जो गर्मियों के मौसम में उगाई जाती है। इसके लिए 28 से 38 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए। इस मशरूम की खेती के लिए खेतों का एयर कंडीशन होना जरूरी है।
रामनिवास सैन।
कैलरम गांव के जगदीप सिंह नायक ने 2012 से मशरूम की खेती कर रहे है। वे बताते है कि रोजगार नहीं मिलने के कारण वे काफी परेशानी थे, 2012 में उन्होंने कृषि विज्ञान केेंद्र से प्रशिक्षण लिया और काम शुरू कर दिया। शुरूआत में 50 बैग से खेती की। पहली साल खेती की कम जानकारी होने के कारण नुकसान सहन किया, तो आसपास के किसान सांप की छतरी वाला कहकर चिढ़ाने लगे, लेकिन हार नहीं मानी। दूसरी बार 100 बैग रखें। आमदनी अच्छी हुई। किसानों के लिए मिशाल बनें। जगदीप इस आमदनी का श्रेय कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानिक रमेश चंद्र व डा. जसबीर सिंह को देते है। इस सीजन में जगदीप ने दो महीनें में एक हजार मशरूम के बैग बेच दिए है। उनसे करीब दो लाख पचास हजार रुपये की आमदनी हुई है। इस समय जगदीप ने मशरूम की अामदनी अच्छी होने पर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी भी बना ली है। इसमें भी वे किसानों को जोड़े रहे है। चंडीगढ़ व दिल्ली में किसान की इस समय मशरूम बिक रही है।
जगदीप सिंह।
500 बैग से की एक लाख 25 हजार रुपये की आमदनी
किसान गुरचरण ने 2018 में मशरूम की खेती आरंभ की थी, वे बताते है कि पारंपरिक खेती बाड़ी ने जब धोखा देना शुरू किया। तो मशरूम की खेती करने का काम शुरू की दिया। बताया कि मैंने साल 2017 में विशेषज्ञों से ट्रेनिंग ली। जिसके बाद सबसे पहले मैंने अपने दोस्त जगदीप के साथ मशरूम की खेती शुरू की। पहली बार महज 45 दिन में हम लोगों ने 400 पैकेट तैयार किए गए थे। मशरूम से बर्फी, आचार, चॉकलेट तैयार कर रहे है। पंजाब, राजस्थान व चंडीगढ़ में मशरूम जा रही है। पिछले दो महीनों में गुरचरण ने 500 बैग से एक लाख 50 हजार रुपये की आमदनी कर ली है।
प्लाट में उगा रहे है मशरूम
रामनिवास सैन मशरूम की खेती कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे है। वे बताते है कि 2017 में उन्होंने प्रशिक्षण लिया। उसके बाद शुरूआत में 100 बैग रखें। उनसे अच्छी आमदनी हुई। तो कारोबार को बढ़ाया। अब 500 के करीब पैकेट वे तैयार कर रहे है। इससे पहले रामनिवास ने पिछले दो महीनें में 500 पैकेट बेच भी दिए है। एक लाख से ज्यादा की आमदनी हो चुकी है। उनका कहना है कि सर्दी के मौसम में मशरूम की खेती किसानों के लिए एक वरदान है। खेती से किसानों द्वारा लगाई गई पूंजी से डबल मुनाफा मिल जाता है। इसमें किसानों को अलग से खेत लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसे हम अपने प्लाट या फिर घर में आसानी से उगा सकते हैं। यह शुगर, ब्लड प्रेशर, एनिमिया व खून की कमी को भी कम करता है।
मुख्य कृषि वैज्ञानिक रमेश चंद्र ने बताया कि मशरूम की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। कैंप लगाकर इनको ट्रेनिंग दी जाती है। अच्छी आमदनी किसान कमा सकता है।
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