Hockey Olympic Games Tokyo 2020: महाभारत युद्ध भूमि की ये 3 बेटिया ओलंपिक हॉकी के विजय रथ पर, पहली जीत का शंखनाद भी इन्हीं के हाथ
भारतीय महिला हॉकी टीम ने सेमिफाइनल में जगह बना ली। इस टीम में हरियाणा के कुरुक्षेत्र की तीन बेटियां शामिल हैं। टीम का नेतृत्व कप्तान रानी रामपाल भी कुरुक्षेत्र के शाहाबाद की रहने वाली हैं। वहीं टीम को पहली जीत दिलाने वाली नवनीत भी यहीं से है।
कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। भारतीय महिला हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने आस्ट्रेलिया को 1-0 से मात दी। पहली बार सेमिफाइनल में प्रवेश करने के साथ-साथ अपना विजय रथ भी जारी रखा। इस विजय रथ में हरियाणा के युद्धभूमि महाभारत की धरती कुरुक्षेत्र की तीन बेटियां रानी रामपाल, नवनीत और नवजोत भी हैं। इस टीम की कमान भी इस युद्धभूमि की बेटी रानी रामपाल के हाथ है।
नवजोत ने किया था जीत का शंखनाद
शुरुआत मैच हारने के बाद आयरलैंड के खिलाफ करो या मरो वाला मैच था। इस मैच में टीम इंडिया ने पूरी ताकत झाेंक दी। तभी चौथे क्वार्टर में भारतीय खिलाड़ी कुरुक्षेत्र की नवनीत ने पहला गोल किया। ये गोल विजयी गोल साबित हुआ और टीम ने जीत का शंखनाद किया।
इस तरह जीत की शुरुआत
महिला हाकी टीम के टोक्यो ओलिंपिक में शुरुआत के तीन मैच हार गए थे। पहला मैच 24 जुलाई को नीदरलैंड, दूसरा मैच जर्मनी के साथ 26 जुलाई और तीसरा मैच 28 जुलाई को ग्रेट ब्रिटेन के साथ था। भारतीय टीम के हाथ से तीनों मैच निकल गए थे। चौथे मैच में नवनीत के एक गोल की बदौलत भारतीय हॉकी टीम ने ने आयरलैंड को 1-0 से हराया था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका को भी मात दी थी। इसमें भी तीन पेनॉल्टी कॉर्नर के अलावा एक गोल में नवनीत ने पास दिया था। इसके बाद वंदना ने गोल किया।
नवनीत कुरुक्षेत्र के शाहाबाद मारकंडा से हैं। उन्होंने भारतीय टीम से कई मैच खेले हैं। ओलंपिक में जाना उनके लिए सपना था। 2014 से सीनियर इंडिया टीम में जगह बनाई थी। इसके बाद 2018 में महिला विश्वकप, एशिया कप, एशियाई खेलों में हिस्सा लिया।
रानी के अनुभव की वजह से टीम को मिली जीत
रानी रामपाल भी कुरुक्षेत्र में शाहाबाद से हैं। चार दिसंबर, 1994 को रानी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता तांगा चलाते थे और ईंटें बेचते थे। रानी ने महज छह साल की उम्र में हॉकी पकड़ी थी। पांचवीं कक्षा में हॉकी कोच बलदेव सिंह के पास प्रशिक्षण लेना शुरू किया। 16 वर्ष की आयु में भारतीय टीम से खेलना शुरू किया। ये उनका दूसरा ओलंपिक है और बतौर कप्तान खेल रही हैं।
नवजोत ने आठ साल में शुरू कर दी थी कोचिंग लेना
नवजोत भी मारकंडा की रहने वाली हैं और टीम का बेहतर फिनिशर हैं। आठ साल की उम्र में कोचिंग लेना शुरू कर दिया था। पहले अंतरराष्ट्रीय मैच में 10 गोल करके इतिहास रच दिया था। अब तक 170 से ज्यादा मैच खेल चुकी हैं।
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