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छात्राओं ने 300-300 रुपये देकर रखी थी टीचर, इस बार नहीं दे सकीं पैसे तो पढ़ाई रुकी

छात्राओं ने 300-300 रुपये देकर रखी थी टीचर, इस बार नहीं दे सकीं पैसे तो पढ़ाई रुकी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 May 2018 10:54 AM (IST)Updated: Fri, 04 May 2018 04:49 PM (IST)
छात्राओं ने 300-300 रुपये देकर रखी थी टीचर, इस बार नहीं दे सकीं पैसे तो पढ़ाई रुकी
छात्राओं ने 300-300 रुपये देकर रखी थी टीचर, इस बार नहीं दे सकीं पैसे तो पढ़ाई रुकी

विक्रम पूनिया, कैथल

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सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना गांव मूंदड़ी के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में दम तोड़ रही है। नॉन मेडिकल की छात्राओं को पढ़ाने के लिए फिजिक्स और मैथ का लेक्चरर नहीं है। छात्राओं का कहना है कि जल्द ही लेक्चरर नहीं मिले तो पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी। माता पिता पढ़ाई के लिए पूंडरी भेजने का तैयार नहीं है और गांव के स्कूल में पिछले साल से पढ़ाने के लिए कोई लेक्चरर नहीं है। पिछले साल खुद जेब से 300 रुपये प्रति महीना दिया था तब जाकर एक प्राइवेट शिक्षिका का इंतजाम किया था। इस बार उनके पास देने के लिए रुपये नहीं हैं। टीचर तो दूर उनके पासकिताब और वर्दी के लिए भी पैसे नहीं है। छात्राओं ने अब सीएम ¨वडो पर शिकायत दर्ज करवाई है, जिसमें लेक्चरर की मांग के साथ समस्या को लेकर प्रशासन और पंचायत के सहयोग नहीं देने की बात कही गई है। बॉक्स

गरीब परिवारों से संबंध रखती हैं छात्राएं

छात्रा छोटी देवी, सुनैना, रीना, रोमा, स्मृति ने बताया कि कक्षा की सभी 10 छात्राएं गरीब परिवारों से संबंध रखती हैं। माता पिता अनपढ़ हैं और मजदूरी करते हैं। सभी पढ़ना चाहती हैं, लेकिन स्कूल में लेक्चरर नहीं है। माता पिता से पैसे मांगते हैं तो वह पढ़ाई छोड़ने की बात कहते हैं। पिछले साल भी कई बार वे शिक्षिका के लिए अपने हिस्से के पैसे नहीं दे पाई थी। अब फिर से वह खुद पैसे देकर अपने लिए कैसे शिक्षक का इंतजाम करें। बॉक्स

पता नहीं आगे पढ़ पाएंगे या नहीं

जो छात्राएं 81 से 75 प्रतिशत दसवीं में अंक प्राप्त कर रही हैं वह खुद के भविष्य को लेकर भी ¨चतित हैं। उनका कहना है कि यही हालात रहे तो उनको अभी भी पढ़ाई छोड़नी पढ़ सकती है, भविष्य तो बहुत दूर की बात है। बॉक्स

पिछले साल स्थानांतरित होकर चले गए थे लेक्चरर

स्कूल में 2014 में नॉन मेडिकल की पढ़ाई शुरु हुई थी। उसके बाद 2014 में सात छात्राएं, 2015 में चार, 2016 में चार, 2017 में 10 छात्राओं ने दाखिला लिया था, लेकिन पिछले वर्ष ही यहां से फिजिक्स और मैथ के लेक्चरर स्थानांतरित होकर चले गए थे। तब से छात्राएं लेक्चरर के आने का इंतजार कर रही हैं। छात्राओं का कहना है कि यही हालात रहे तो आने वाले समय में नॉन मेडिकल में कोई भी छात्रा दाखिला नहीं लेगी। बॉक्स

स्कूल स्टाफ हर मदद के लिए तैयार

¨प्रसिपल राजरानी का कहना है कि छात्राएं होशियार हैं। पिछले वर्ष भी स्कूल स्टाफ और छात्राओं ने मिलकर आठ हजार रूपये में एक शिक्षिका रखी थी। इस बार भी पढ़ाई ना रुके एक शिक्षिका का इंतजाम कर रहे हैं, लेकिन सभी स्टाफ सदस्यों को बार बार पैसे देने के लिए बोलना ठीक नहीं है। साथ ही छात्राएं भी पैसे नहीं जुटा पाने की बात कहती हैं। इसलिए उन्होंने पंचायत से भी मदद मांगी है। सरपंच ने पिछले वर्ष भी मदद देने का वादा किया था, लेकिन कोई मदद नहीं दी थी। इसके बारे में जिला शिक्षा अधिकारी को भी लिखा जाएगा। बॉक्स

पंचायत के पास नहीं है आय के साधन

सरपंच प्रतिनिधि सुभाष ने कहा कि पहले भी एक प्रस्ताव पारित किया गया था। अब फिर से वह एक प्रस्ताव डालकर जिला शिक्षा अधिकारी और जिला प्रशासन को भेज देंगे। लेक्चरर तो विभाग ने ही उपलब्ध करवाना है। पंचायत के पास आय के साधन नहीं है, इसलिए अपनी जेब से पैसे देकर शिक्षक का इंतजाम नहीं कर सकते। बॉक्स

सच बोल रही हैं छात्राएं

एसएमसी प्रधान रामकुमार व सदस्य राजेश ने बताया कि छात्राएं सच बोल रही हैं। स्टाफ के साथ कई बार इस पर चर्चा हुई है, लेकिन एसएमसी के पास कोई अधिकार या फंड नहीं जो वह छात्राओं की मदद कर सकें। जो मदद होती है वह एसएमसी समय समय पर करती रहती है। वर्जन

फिलहाल उनके पास स्कूल से ऐसी कोई शिकायत नहीं है। ऐसी कोई शिकायत छात्राओं की आती है या फिर स्कूल से लेक्चरर की डिमांड की जाती है तो निदेशालय को इस बारे में लिखा जाएगा और समस्या के हल निकालने के प्रयास किए जाएंगे।

- डॉ. रामकुमार फलसवाल, जिला शिक्षा अधिकारी।

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