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हरियाणा में छात्रसंघ चुनाव बड़ी जीत, पर पहले सिर्फ यूनिवर्सिटी में हों : दिग्विजय

मुख्यमंत्री मनोहर लाल की छात्रसंघ चुनावों की घोषणा के बाद युवा राजनीति में गर्मी आ गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 10:48 AM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 04:51 PM (IST)
हरियाणा में छात्रसंघ चुनाव बड़ी जीत, पर पहले सिर्फ यूनिवर्सिटी में हों : दिग्विजय
हरियाणा में छात्रसंघ चुनाव बड़ी जीत, पर पहले सिर्फ यूनिवर्सिटी में हों : दिग्विजय

मुख्यमंत्री मनोहर लाल की छात्रसंघ चुनावों की घोषणा के बाद युवा राजनीति में गर्मी आ गई है। छात्र संगठनों ने इस घोषणा की समीक्षा करना शुरू कर दिया है। 22 साल से कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के परिसर से यह मांग उठती रही है। सितंबर-अक्टूबर में चुनाव कराए जाने की संभावना के बाद इसके फायदे-नुकसान पर भी फिर से मंथन होने लगा है। इंडियन नेशनल स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन (इनसो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय ¨सह चौटाला ने इन चुनावों की पैरवी करते हुए सरकार को एहतियात बरतने के लिए भी कहा। दैनिक जागरण संवाददाता पंकज आत्रेय से उन्होंने विशेष बातचीत की। पेश हैं उसके कुछ अंश सवाल : इनसो इनेलो का छात्र संगठन है। चौटाला परिवार का सदस्य ही इसका अध्यक्ष क्यों?

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जवाब: इनसो की नींव पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अजय ¨सह चौटाला ने रखी थी। मैंने 2011 से इस संगठन में काम किया है। कार्यकर्ताओं और संगठन ने माना कि मैं अजय जी की कमी को पूरा कर सकता हूं तो कमान संभाली। किसी भी संगठन को चलाने के लिए उसका अनुशासन बहुत जरूरी होता है। जननायक स्व.देवी लाल के मार्गदर्शन पर चलते हुए हम इनसो को देश के हर राज्य में स्थापित करने जा रहे हैं। इनसो भावी राजनीति की नर्सरी है। सवाल: छात्र संघ के चुनाव बारे में क्या सोच है?

जवाब: 1996 से विभिन्न छात्र संगठनों के संघर्ष ने अब लोकतांत्रित जीत हासिल की है, लेकिन सरकार की नीयत में अब भी खोट है। 2014 में हमने जो मांगें रखी थीं, उसे अजीब तरीके से पेश किया गया है। हमने तीन मुख्य मांगें रखीं थी। एक प्रत्यक्ष चुनाव, दूसरी पंजाब और दिल्ली की तर्ज पर चुनाव और तीसरा यह है कि छात्र संघ के चुनाव का कैलेंडर जारी हो। मुख्यमंत्री ने एबीवीपी के पांच लोगों से बुलवाया कि प्रत्यक्ष चुनाव करना चाहिए, लेकिन अब कहा गया है कि अप्रत्यक्ष चुनाव होंगे। कैबिनेट में उन्होंने किसकी बात मानी, वे यह स्पष्ट करें। हम पांच अगस्त को कैथल से इसके विरोध में बड़ा ऐलान करने जा रहे हैं। सवाल: छात्रसंघ के चुनावें में ¨हसा ¨चता का बड़ा विषय है। उसे नियंत्रित करने के लिए क्या करेंगे?

जवाब: इसका समाधान सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दे दिया है। ¨लगदोह कमेटी की रिपोर्ट को हूबहू लागू कर दिया जाए तो कहीं ¨हसा का सवाल ही नहीं। जब उत्तरप्रदेश में छात्रसंघ के चुनाव शांतिप्रिय तरीके से हो सकते हैं तो हरियाणा में क्यों नहीं। अगर फिर भी सरकार को भय है तो पहले यूनिवर्सिटी में चुनाव कराए जाएं। बाद में कॉलेजों में शुरू कर दें। सवाल: इनसो का फोक्स क्या है?

जवाब: हमारा उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों के लिए माहौल तैयार करना है, जो आखिरी पंक्ति में हैं। उनके लिए अच्छे हॉस्टल हों, लाइब्रेरी, कॉलेज हों। उन्हें अभिव्यक्ति का अधिकार मिले। शिक्षा का अधिकार मिले। नौजवान को बोलने की, कंटेस्ट करने की ताकत मिलनी चाहिए। उनमें लीडरशिप क्वालिटी तैयार करना चाहते हैं। सवाल: एबीवीपी और एनएसयूआइ से इनसो को कैसे अलग देखते हैं?

जवाब: एबीवीपी को संघियों का संगठन है और भाजपा इसे अपना मानती नहीं हैं। यह दंगीय और जातीय राजनीति में विश्वास रखता है। सिर्फ ¨हदुवादी संगठन है। एनएसयूआइ कांग्रेस की इकाई है। यह क्रीमी लेयर के युवाओं का संगठन है। इनसो आखिरी पंक्ति में खड़े गरीब से गरीब युवा की लड़ाई लड़ता रहा है। उन्हें आगे लाकर भविष्य की राजनीतिक पौध तैयार कर रहा है। सवाल: जातीय राजनीति के बारे में क्या सोचते हैं?

जवाब: ऐसी राजनीति के बारे में हमने अब तक हमने सिर्फ सुना था, लेकिन जब से भाजपा सत्ता में आई है इसे भुगता भी है। गाय, गीता, सरस्वती नदी की सरकार है यह। मुख्यमंत्री मंदिर के पुजारी, मस्जिद के मौलवी, गिरिजाघर के पादरी और गुरुद्वारों के पाठी के काम कर देते हैं, लेकिन युवाओं के लिए इनके पास कोई सोच नहीं। रोजगार नहीं। जाट आरक्षण आंदोलन और डेरा प्रकरण में सरकार की गोली से 90 निर्दोष लोगों की जान चली गई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवेदना का एक शब्द तक नहीं बोला। अमेरिका में होता तो वे बोलते हैं। सवाल: सिद्धांत की राजनीति कहां हैं? खुद को सिद्धांत की राजनीति में कहां पाते हैं?

जवाब: सिद्धांत की राजनीति लंबे दौर की है। स्व.देवी लाल और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने आज तक यही राजनीति की है। ओमप्रकाश चौटाला और अजय ¨सह चौटाला ने कभी नरेंद्र मोदी और सोनिया गांधी के दरबार में घुटने नहीं टेके। प्रदेश की पगड़ी और शान को ऊंचा रखने के लिए ही लड़े।


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