Ayodhya Case Verdict : अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले धार्मिक स्थलों से आया संदेश, सौहार्द रहेगा कायम Panipat News
अयोध्या मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर धार्मिक स्थलों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।
पानीपत, जेएनएन। अव्वल-अल्लाह नूर उपाया.. कुदरत के सब बंदे। किसी गुरुद्वारा से जब भी यह आवाज आती है तो हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, हर धर्म का व्यक्ति मन ही मन में भगवान को याद कर समाज में सौहाद्र्र की कसम ले लेता है। अयोध्या मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षित फैसले को लेकर भी यही संदेश है। अजान हो या घंटा बजे, अल्लाह भी हमारे राम भी हमारे.. पानीपत शहर में यह राग बज रहा है। बहुसंख्यक समाज की धार्मिक भावनाएं श्रीराम मंदिर से जुड़ी है। धार्मिक-सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से सामाजिक सौहाद्र्र बनाए रखने की अपील की है।
सबसे पहले हम जिस देश में रहते हैं, वहां का संविधान और कानून का सम्मान करना चाहिए। हिंदू मुस्लिम दो भाई हैं, ये न अलग हो सकते हैं और करने का प्रयास करना चाहिए। अल्लाह भी हमारा है, भगवान भी हमारा है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को जीत-हार का इश्यू न बनाकर, धार्मिक भावनाओं को सम्मान दें।
पंडित दाऊ जी महाराज, अवध धाम मंदिर
अव्वल-अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजया..कौन भले कौन मंदे। इस पर अमल करने वाला व्यक्ति कभी दूसरे धर्म का दुश्मन नहीं हो सकता। मां के पेट से जाति धर्म लेकर पैदा नहीं होते। सदियों से हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई इस देश में भाई-भाई की तरह रह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी सम्मान करें।
सतनाम सिंह खालसा, गुरुद्वारा पहली पातशाही
जुमे की नमाज से पहले संदेश में मैंने कहा कि बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि का मामला किसी संपत्ति विवाद की तरह ही है। यह दो भाईयों के बीच कोर्ट में चल रहा विवाद है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय खिलाफ गया तब भी हम स्वागत करेंगे। पक्ष में आया तो किसी प्रकार का जश्न न मनाया जाए। कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होना चाहिए।
मुफ्ती मुहम्मद शराफत, मस्जिद जामिया सउतुल कुरान
हम जिस देश में रहते हैं, वहां के कानून और कोर्ट के फैसले का सम्मान करना धर्म है। सुप्रीम कोर्ट को फैसला किसी के भी हक में जाए, सभी को शांति-भाईचारा बनाए रखते हुए सम्मान करना चाहिए। बाइबिल में तो लिखा है कि कोई एक गाल पर चांटा मारे तो दूसरा गाल भी उसके सामने कर दो।
पॉल एन किरुबाकरन, पादरी-गिरजाघर जाटल रोड
हम संविधान और न्याय में विश्वास रखते हैं। कोर्ट में यह सिविल का मामला है। समाज में सौहार्द बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। हम दुनिया को दिखा देंगे कि इस मुद्दे पर हिंदू-मुस्लिम के बीच भाईचारा आज भी कायम है। सदियों तक बना रहेगा। फैसले से कुछ भी प्रभावित नहीं होगा।
राजेश गोयल, सामाजिक कार्यकर्ता
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सर्वोपरि-सर्वमान्य है। कोर्ट का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आए तो भी सड़कों पर जश्न बिल्कुल न मनाएं। मंदिरों में इस मुद्दे पर बैठकें कर समाज में अमन-शांति बनाए रखने का संदेश दिया जा रहा है। किसी को खुशियां मनानी हैं तो घर में रहकर मनाएं। किसी की भावनाओं को आहत न करें।
सूरज पहलवान, चेयरमैन-सनातन धर्म संगठन