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डाक्टर न जाने पीर मरीज की..ड्यूटी पर लेटलतीफ

सिविल अस्पताल में दो-तीन को छोड़ दें तो बाकी 30-45 मिनट देरी से ओपीडी में पहुंचे। मरीज कतार में रहकर डाक्टर साहब के आने की राह ताकते रहे। गर्भवती को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए इंतजार करना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 04:48 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 04:48 AM (IST)
डाक्टर न जाने पीर मरीज की..ड्यूटी पर लेटलतीफ
डाक्टर न जाने पीर मरीज की..ड्यूटी पर लेटलतीफ

जागरण संवाददाता, पानीपत : जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई...तुलसीदास की ये पंक्ति सिविल अस्पताल के चिकित्सकों पर सोमवार को सटीक बैठी। दो-तीन को छोड़ दें तो बाकी 30-45 मिनट देरी से ओपीडी में पहुंचे। मरीज कतार में रहकर डाक्टर साहब के आने की राह ताकते रहे। गर्भवती को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए इंतजार करना पड़ा।

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दिन सोमवार, स्थान सिविल अस्पताल और समय सुबह 8:35 बजे। ओपीडी का समय सुबह आठ से अपराह्न दो बजे तक है। इसके बावजूद ओपीडी में मात्र तीन डाक्टर ही बैठे दिखे। इनमें नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. शालिनी मेहता, त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. राघवेंद्र और हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. वैभव गुलाटी शामिल हैं। मेडिसिन ओपीडी, शिशु रोग ओपीडी, एक नेत्र रोग विशेषज्ञ और सर्जरी ओपीडी के बाहर गार्ड तो थे,चिकित्सक नहीं दिखे। पूछने पर पता चला कि डाक्टर अभी आए नहीं हैं। इन सभी ओपीडी के बाहर बड़ी संख्या में मरीज कतार में खड़े हुए थे। रेडियोलाजी ब्लाक में अल्ट्रासाउंट कराने पहुंची गर्भवती महिलाएं बैंचों पर बैठी हुई थी। स्टाफ तो मौजूद था,रेडियोलाजिस्ट नहीं पहुंच सके थे।प्रथम तल पर भी कई कक्ष में डाक्टर-स्टाफ नदारद दिखे।

गनीमत यह कि ओपीडी स्लिप पर लिखी सभी मेडिसिन मरीजों को दवा विडो से मिल रही थी। प्रिसिपल मेडिकल आफिसर (पीएमओ)डा. संजीव ग्रोवर ने बताया कि औचक निरीक्षण किया जाएगा। जो भी गैर-हाजिर होगा उसकी अनुपस्थिति लगाई जाएगी। नशा मुक्ति केंद्र का लाइसेंस होगा रिन्यू सिविल अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र खुला हुआ है। करीब 10 दिन पहले उसके लाइसेंस की वैद्यता समाप्त हो गई है। लाइसेंस रिन्यू होना है। सोमवार को एडीसी वत्सल वशिष्ठ और समाज कल्याण अधिकारी सत्यवान ने केंद्र का निरीक्षण किया। साथ में पीएमओ और मनोचिकित्सक डा. मोना नागपाल भी रहीं। नहीं सुधरी पार्किंग व्यवस्था अस्पताल में यूं तो वाहन पार्किंग के लिए बिल्डिग बनी हुई है। जगह-जगह नो-पार्किंग के नोटिस चस्पा किए हुए हैं। हैरत, जहां नोटिस चस्पा हैं,मरीज और तीमारदार सबसे अधिक उन्हीं स्थानों पर वाहनों को खड़ा कर चले जाते हैं। इससे अस्पताल परिसर में रास्ते संकरे हो जाते हैं। निजी एंबुलेंस भी नहीं हटी निजी एंबुलेंस को बाहर खदेड़ने में भी स्वास्थ्य विभाग नाकाम रहा है। पीएमओ विगत दिनों ही निजी एंबुलेंस को परिसर से बाहर करने के लिए सिटी थाना पुलिस से मदद मांगी थी। एंबुलेंस कंट्रोल रूम के फ्लीट मैनेजर को भी निर्देश दिए गए थे। हालात ढाक के तीन पात जैसे हैं। कोविड-19 गाइडलाइन का नहीं पालन : कोरोना हार रहा है, हमारी लापरवाही बढ़ रही है। सोमवार को सिविल अस्पताल में भी लगभग हर ओपीडी के बाहर मरीज एक-दूसरे से सटे खड़े दिखे। रजिस्ट्रेशन विडो पर सबसे बुरी स्थिति रही। हैंड सैनिटाइजिग मशीन तो छह माह से बंद पड़ी है। राज सिंह


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