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GST से जादुई कारनामा, 33 करोड़ की कंपनी का मालिक बना रेहड़ी वाला

जिसके नाम जीएसटी डिपार्टमेंट में 33 करोड़ की कंपनी है, वह मुगल कैनाल मंडी में फड़ी पर सब्जी बेचता है। हैरान हो गए, लेकिन ये सच है। जीएसटी टीम ने कुछ ऐसा ही पर्दाफाश किया है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 06:10 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 09:00 PM (IST)
GST से जादुई कारनामा, 33 करोड़ की कंपनी का मालिक बना रेहड़ी वाला
GST से जादुई कारनामा, 33 करोड़ की कंपनी का मालिक बना रेहड़ी वाला

पानीपत/करनाल, [गगन तलवार]। जिसके नाम करोड़ों की कंपनी है, दरअसल वह रेहड़ी में सब्जी लगाता है। हैरान हो गए, लेकिन ये सच है। ये कारनामा कर दिखाया है, करनाल के करोड़पति कारोबारियों ने। जिन्होंने मजदूरों, टिफिन वालों और सब्जी वालों के नाम पर कंपनी रजिस्टर्ड करवाकर करोड़ों रुपये का जीएसटी बिल में फर्जीवाड़ा किया है। अब जांच में एक के बाद एक फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो रहा है। आखिर क्या है पूरा मामला, जानने के लिए पढ़ें दैनिक जागरण की ये खबर।

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पानीपत में पकड़े गए जीएसटी फर्जी बिलिंग मामले में दो फर्मों के मालिक करनाल में हैं। एक फर्म श्री साईं ओवरसीज सुभाष सेठी के नाम से रजिस्टर्ड है। कंपनी की टर्नओवर 33 करोड़ है। कागजों में फर्म का मालिक सुभाष है, लेकिन वह हकीकत में फड़ी लगाकर सब्जी बेचता है। दूसरी फर्म श्री बाला जी इंटरप्राइजिज कंपनी उसके दामाद बलविंद्र के नाम पर रजिस्टर्ड है। वह हकीकत में पकौड़े की रेहड़ी लगता है। यह कंपनी 50 करोड़ की है। फर्जी बिलिंग का मामला खुलने पर सामने आए इन कागजी करोड़पतियों की हकीकत को जानने के लिए जागरण टीम ने इन्हें खोजा और पूरा दिन इनके साथ बीता कर जाना कि ऐसा आखिर हुआ कैसे?

तंग गली के एक छोटे से मकान में रहता है सुभाष 
फर्जी बिलिंग में सामने आई कंपनी श्री साईं ओवरसीज करनाल के अर्जुन गेट निवासी सुभाष के नाम पर रजिस्टर्ड है। जोकि मुगल कैनाल पर लगने वाली मंडी में सब्जी की फड़ी लगाता है। कागजों में 33 करोड़ की कंपनी का यह मालिक हकीकत में फड़ी पर हुई दो-चार सौ रुपये की आमदनी से परिवार का गुजारा कर रहा है। अर्जुन गेट की तंग गली में इनका एक छोटा सा मकान है। जहां ये अपनी पत्नी रानी सेठी और एक बेटे कशिश के साथ रहता है। 

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फर्जीवाड़े की कहानी सुभाष की जुबानी... 
हुआ यूं कि अप्रैल 2016 में पुरानी सब्जी मंडी में लगने वाली फडिय़ों और रेहडिय़ों को नई सब्जी मंडी में शिफ्ट कर दिया गया। सुभाष उर्फ शंभू भी पुरानी सब्जी मंडी में फड़ी लगाता था। अब नई जगह पर मंडी लगने से उनका काम भी प्रभावित हो गया। घर का गुजारा चलाना भी मुश्किल हो गया। हालात में उलझे सुभाष ने जागरण को बताया कि 4 जुलाई 2017 में लोन दिलाने के नाम पर उनसे पड़ोस के रहने वाले महिंद्र बहल ने आइडी ली थी। काम बढ़ाने के लिए मिलने वाले इस 50 हजार रुपये के ऋण में सिर्फ एक तिहाई पैसों का ही भुगतान करना था। इस लालच में आकर उन्होंने हां कर दी। उन्होंने बताया कि महिंद्र ने आइडी लेने के करीब 10 दिन बाद उन्हें पानीपत के एक होटल में बुलाया। जहां कई पेज पर उनके हस्ताक्षर कराए और फोटो भी लिए। यहां उन्हें यह कहा गया कि ऋण पानीपत में मिलना है। फिर इसी माह महिंद्र किसी मामले में जेल चला गया। उनके दामाद बलविंद्र के भी कागज जमा हुए थे।

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हर बार एक ही जवाब ऋण मिलने में लगेगा समय 
पीडि़त सुभाष ने बताया जब भी महिंद्र या उनके परिवार से ऋण के बारे में पूछते थे तो एक ही जवाब मिलता था अभी समय लगेगा। उनकी फाइल चली हुई है। जब महिंद्र जेल से बाहर आया तो उसने भी यही जवाब दिया। मांगने पर भी कागज वापस नहीं किए। उन्होंने बताया कि उनके साथ ऋण दिलाने में कुरुक्षेत्र से भी एक व्यक्ति था। ऋण के लिए आरोप है कि उनकी और उनके दामाद बलविंद्र की आईडी को यूज करके ही ये फर्जी फर्म रजिस्टर्ड कराई गई। जिनसे फर्जी बिलिंग हुई है। उन्होंने महिंद्र के खिलाफ करनाल और पानीपत पुलिस, सीएम विंडो व जीएसटी के अधिकारियों को भी शिकायत की हुई है। 

डाक द्वारा घर आए नोटिस ने उड़ाए होश 
20 दिसंबर 2018 का दिन। (ऋण के लिए आइडी जमा हुए 16 माह से ज्यादा का समय भी बीत चुका है। न ऋण मिला न कागज मिले। सेठी परिवार अब सब कुछ भूल चुका है।) दोपहर करीब ढाई बजे। घर का दरवाजा खटका। पड़ौस से भी आवाज आई, गली में डाकिया आया है। सुभाष सेठी कि पत्नी रानी सेठी ने बताया कि डाकिए से लिफाफा ले लिया और उसने कागज पर नाम भी लिखवा लिया। लेकिन ज्यादा पढ़ी-लिखी न होने के कारण वें पत्र पढ़ नहीं सकी। जब गली के बाहर किसी लड़के से पत्र पढ़कर समझाने को कहा तो उसकी बात सुनकर होश उड़ गए। 

फोन कर पूछा : साडी ते फड़ी तो अलावा कुछ नहीं, आ कंपनी किदी ए..? 
जब युवक ने नोटिस पढ़कर बताया कि उनके पति सुभाष के नाम पर जीएसटी में कंपनी रजिस्टर्ड है। इसके बाद उन्होंने नोटिस पर दिए स्टेट टैक्स के डिप्टी कमीश्नर कार्यालय पानीपत से आए नोटिस पर दिए नंबर फोन कर जानकारी मांगी। इसके बाद तुरंत उन्होंने इसी जानकारी अपने पति व दोनों बेटियों को दी। 

पानीपत पहुंच पता चला कंपनी 33 करोड़ की
20 दिसंबर को फोन पर बात करने के बाद अगले दिन सुभाष, उनकी पत्नी रानी, बड़ी बेटी प्रिया और दामाद बलविंद्र स्टेट टैक्स के डिप्टी कमीश्नर कार्यालय पानीपत गए। जहां उन्हें पता चला कि उनके नाम पर बनी फर्जी कंपनी श्री साईं ओवरसीज 33 करोड़ रुपये की टर्नओवर है। यहां कंपनी के अधिकारियों ने फर्म के फर्जी होने व उनके कागजात यूज होने का शपथ पत्र भी लिया। 

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इधर बलविंद्र के नाम पर 50 करोड़ की कंपनी, नेवल अड्डे पर लगाता है पकौड़े की रेहड़ी
पानीपत में पकड़ी गई फर्जी फर्मों में सुभाष के अलावा एक और फर्म का संबंध करनाल जिले से हैं। दूसरी फर्म नेवल गांव के रहने वाले सुभाष के दामाद बलविंद्र के नाम पर रजिस्टर्ड है। कागजों में 50 करोड़ की फर्म के मालिक बलविंद्र हकीकत में नेवल गांव के बस अड्डे पर फास्ट फूड की रेहड़ी लगाता है। अपने छोटे से घर में रहने वाला बलविंद्र मुश्किल से 10-12 हजार रुपये महीना कमा कर परिवार का पेट पाल रहा है।

परेशान बलविंद्र का परिवार किसी अनजान के गली में आने से भी डर रहा
वीरवार को दैनिक जागरण की टीम जब अचानक सुबह नेवल स्थित बलविंद्र के निवास पर पहुंची, तो वह रोज की तहर रेहड़ी लगाने के लिए प्याज व अन्य सब्जियां काट रहा था। अनजान लोगों को घर में देखकर उनका पूरा परिवार सहम सा गया। जब उन्हें टीम ने अपनी पहचान बताई तब उन्होंने कुछ राहत महसूस की। बातचीत के दौरान गली से जितनी बार भी कोई वाहन निकला तो उन्होंने उठ-उठकर बाहर देखा। उनके इस बरताव से भी लग रहा था कि वें किसी अनजान के गली में आने से भी डर रहे हैं। उन्हें यही डर सता रहा है कि ससुर सुभाष की तरह कभी उनके घर भी कोई और नोटिस न आ जाए।

बाइक खरीदने के लिए ससुराल में रखे थे कागज
बलविंद्र ने दैनिक जागरण को बताया कि जुलाई 2017 में जब उनके कागज ऋण के लिए जमा हुए। उन दिनों में वे बाइक खरीदने का विचार कर रहे थे। लेकिन बजट न बन पाने के कारण वे बाइक नहीं खरीद पाए। कुछ पैसे का इंतजाम हो जाए, इसलिए बाइक खरीदने के लिए अपनी सभी आइडी के कागज भी उन्होंने करनाल अर्जुन गेट स्थित ससुराल में रख दिए। यहां सास रानी सेठी ने उन्हें 50 हजार रुपये के ऋण की बात कही। काम बढ़ाने के लिए सास के कहने पर उन्होंने भी ऋण लेने की हां भर दी।

नोटिस नहीं आया, लेकिन चैक कराया तो पता चला चल रही 50 करोड़ की फर्म
बलविंद्र ने बताया कि स्टेट टैक्स के डिप्टी कमीश्नर पानीपत कार्यालय से नोटिस केवल उनके ससुर सुभाष को ही आया था। नोटिस मिलने के बाद 21 दिसंबर को वे पानीपत में स्टेट टैक्स कार्यालय में गए थे। तब उन्होंने भी महिंद्र बहल पर शक करते हुए अपने आइडी की जांच कराई। यहां उसके नाम पर भी फर्जी फर्म श्री बाला जी एंटरप्राइजेज चलती मिली। होश तब उड़े जब यह पता चला कि उनकी कंपनी की टर्नओवर 50 करोड़ है।

दो-दो रुपये जोड़ हर्नियों के ऑपरेशन के लिए एकत्रित किए थे पैसे
सुभाष सेठी हर्निया का मरीज है। काफी समय से उनका करनाल के सामान्य अस्पताल से इलाज चल रहा है। अब उन्हें इसके लिए ऑपरेशन कराना है। जिसके लिए वे अपनी आमदनी से बचत कर पैसे एकत्रित कर रहे थे। सब्जी लेने में अक्सर लोग मोलभाव करते हैं। ऐसे में ज्यादा पैसे कमाना आसान नहीं है। वहीं सब्जियां खराब होने से भी बचत घटती है। ऐसे में दो-दो रुपये एकत्रित कर उन्होंने हर्नियों के ऑपरेशन कराना था।

20 दिन से नहीं लगा पाए अपनी दुकान
20 दिसंबर को स्टेट टैक्स के डिप्टी कमीश्नर पानीपत कार्यालय से नोटिस मिलने के बाद से वे न्याय और इस फर्जीवाड़े से बचने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। नोटिस मिलते ही पहले वे पानीपत गए। फिर करनाल में अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई। करनाल एसपी और डीसी से भी वे इस मामले को लेकर मिल चुके हैं। जहां उन्होंने पड़ोसी महिंद्र की भी शिकायत की थी। इन चक्करों के कारण तब से वे अपनी सब्जियों की दुकान भी नहीं लगा पा रहे। बुधवार को भी वे पानीपत में अधिकारियों से मिलने गए थे।   

शुक्र है मैं साइन करने नहीं गया, नहीं तो फंस जाता
जुलाई 2017 में ऋण के लिए सुभाष सेठी के अलावा उनकी पत्नी रानी सेठी ने अपने बड़े दामाद दीपक व छोटे दामाद बलविंद्र के भी कागजात जमा कराए। जब इन सभी को पानीपत बुलाया गया। तो केवल सुभाष और बलविंद्र ही गए। किसी काम में व्यस्त होने के कारण दीपक नहीं जा सका। लेकिन बाद में वह काफी पछताया। अब जब फर्जी फर्म का मामला सामने आया है, तो दीपक उस समय पानीपत न जा पाने का भगवान को शुक्रिया अदा कर रहा है।

चिनाई के काम में मजदूरी पाल रहा परिवार का पेट
दीपक भी करनाल के अर्जुन गेट क्षेत्र में रहता है। वह चिनाई के काम में मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रहा है। रानी सेठी ने बताया कि 21 दिसंबर को नोटिस मिलने के बाद जब वें स्टेट टैक्स के डिप्टी कमीश्नर पानीपत कार्यालय गए थे। तो दोनों दामादों के आइडी की जांच कराई गई। इस दौरान छोटे दामाद बलविंद्र के नाम पर तो फर्म चलती मिली। जबकि बड़े दामाद दीपक की कोई फर्म नहीं मिली। उन्होंने बताया कि क्योंकि उसने कागजात पर साइन नहीं किए थे। इसलिए वह बच गया होगा।

जागरण सुझाव : कितना भी क्यों न हो प्यार, कागजात के मामले में मत करें ऐतबार
आस-पड़ोस में सभी भाईचारे से रहते हैं। आपसी प्यार भी होता है। अक्सर इस प्यार के कारण ही लोग पड़ोसी पर परिवार से ज्यादा भरोसा भी करने लगते हैं। लेकिन कई बार उनका भरोसा ही बाद में गलत साबित होता है। अर्जुन गेट क्षेत्र में रहने वाले सुभाष सेठी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। उनका भी पड़ोस में रहने वाले मङ्क्षहद्र बहल के परिवार के साथ काफी प्यार था। लेकिन हुआ ये कि जरूरत के समय ऋण दिलाकर मदद के नाम पर लिए आइडी कागजात से उनके साथ ही धोखा हो गया। दैनिक जागरण भी आप सभी का हित चाहता है। इसलिए आपसे भी आग्रह है कि किसी से चाहे कितना भी प्रेम-प्यार हो। लेकिन अपनी आइडी कागजात के मामले में हमेशा चौकन्ने रहें। अपनी इस पर्सनल आइडी डाटा को किसी के साथ शेयर न करें। नहीं तो आप भी सुभाष सेठी की तहर किसी धोखे का शिकार हो सकते हैं।


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