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शहर में आवारा कुत्तों का आतंक, अस्पताल में इंजेक्शन ही नहीं

पानीपत में कुत्तों का आतंक है दूसरी तरफ अस्पताल में इलाज तक नहीं है। दवा के लिए सिविल अस्पताल को ना बजट मिला और ना स्टेट वेयर हाउस से एंटी रैबीज वैक्सीन।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Mar 2021 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 10 Mar 2021 06:30 AM (IST)
शहर में आवारा कुत्तों का आतंक, अस्पताल में इंजेक्शन ही नहीं
शहर में आवारा कुत्तों का आतंक, अस्पताल में इंजेक्शन ही नहीं

जागरण संवाददाता, पानीपत : एक तरफ शहर में कुत्तों का आतंक है, दूसरी तरफ अस्पताल में इलाज तक नहीं है। दवा के लिए सिविल अस्पताल को ना बजट मिला और ना स्टेट वेयर हाउस से एंटी रैबीज वैक्सीन। नतीजा, कुत्तों-बंदरों के काटने से घायल हुए 60 से अधिक लोग हंगामा करने के बाद लौट गए। कुछ लोगों ने बाहर से वैक्सीन खरीदकर लगवाई। बता दें कि जनवरी से अब तक अस्पताल में चौथी बार एंटी रैबीज इंजेक्शन खत्म हुए हैं।

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ओपीडी ब्लाक स्थित टीकाकरण कक्ष के बाहर मंगलवार को सुबह नौ बजे से ही कुत्ता-बंदर काटने से घायल हुए लोग पहुंचने शुरू हो गए थे। 11 बजे तक 35 से 40 घायल एकत्र हो गए। इंजेक्शन खत्म की बात सुनकर हंगामा करने लगे। फार्मासिस्ट रविद्र ने उन्हें समझाने का प्रयास किया तो हाथापाई पर उतर आए। तीन घायल ऐसे रहे, बाहर खुले मेडिकल स्टोर से एंटी रैबीज इंजेक्शन 450 रुपये का खरीदकर लाए, टीकाकरण कक्ष में लगवाया। तहसील कैंप निवासी संजय, काबड़ी निवासी मेसी और अंसल सोसाइटी के अयान ने बताया कि निशुल्क टीका के लिए चार घंटे बर्बाद कर दिए, अब दोबारा आना पड़ेगा।

चिकित्सा अधीक्षक डा. आलोक जैन ने बताया कि दो माह से स्टेट वेयर हाउस से एंटी रैबीज वैक्सीन नहीं मिली है। तीन बार लोकल परचेज कर चुके हैं। अब दवा के लिए बजट भी नहीं है। वैक्सीन या बजट आने पर ही मरीजों को यह सुविधा मिलेगी।

यह है इंजेक्शन लगवाने का चक्र

स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के अनुसार पहला इंजेक्शन घटना के 48 घंटे के भीतर, दूसरा तीन दिन बाद, तीसरा सात दिन बाद, चौथा 14 दिन बाद और पांचवा 28 दिन के बाद लग जाना चाहिए।

बीपीएल के लिए फ्री

बीपीएल कार्ड धारकों के लिए सरकारी अस्पतालों में टीका फ्री लगाया जाता है। बाकी घायलों से 100 रुपये (सरकार द्वारा निर्धारित)शुल्क वसूला जाता है। इसके लिए पहले विडो पर जाकर रसीद कटवानी पड़ती है। इमरजेंसी फंड का भी विकल्प :

दवा के लिए बजट नहीं मिला, स्टेट वेयर हाउस से वैक्सीन नहीं मिली। अस्पताल प्रशासन का यह तर्क तो सही है पर इमरजेंसी फंड पर भी ध्यान रखना चाहिए। बता दें कि डीसी कार्यालय से इमरजेंसी फंड जारी होता है, ताकि मरीजों को असुविधा न हो।


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