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बच्चे को नहीं मिला था दूध, अब अस्‍पताल में बच्‍चों को रोज निशुल्‍क देते हैं गाय का दूध

यमुनानगर के शिवकुमार के बच्‍चे के लिए गाय का दूध नहीं मिला। इस दर्द ने उन्‍हें काफी झकझोर दिया। अब अस्‍पताल में बच्‍चों को वे हर रोज चार लीटर गाय का दूध निशुल्‍क उपलब्‍ध कराते हैं। शिवकुमार 15 साल से मुहिम में लगे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 04:53 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 04:53 PM (IST)
बच्चे को नहीं मिला था दूध, अब अस्‍पताल में बच्‍चों को रोज निशुल्‍क देते हैं गाय का दूध
बच्‍चों के लिए निशुल्‍क गाय का दूध देते शिवकुमार।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। बेटे को गाय के दूध की जरूरत थी। काफी तलाशने के बावजूद नहीं मिला। बेटे की तकलीफ देखी नहीं गई। किसी तरह से वक्‍त गुजरा। इसके बाद उन्‍होंने दूसरे बच्‍चों को तकलीफ न हो, इसके लिए हर रोज निशुल्‍क दूध उपलब्‍ध करा रहे।

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वार्ड 22 की मायापुरी कालोनी निवासी शिवकुमार को अपने बच्चे के लिए दूध नहीं मिला तो दूसरों के बच्चों को गाय का दूध उपलब्ध कराने की मुहिम छेड़ दी। हर रोज तीन से चार लीटर गाय का दूध बच्चों के लिए निशुल्क वितरित कर देते हैं।

कोर्ट और अस्‍पताल के पास चाय की दुकान

शिवकुमार इन दिनों जगाधरी कोर्ट के पास चाय की दुकान चलाते हैं। काम करते हुए बच्चों के लिए दूध लेने वाला यदि कोई आ जाता है तो सभी काम छोड़ पहले दूध तैयार कर देते हैं। 15 साल से इस मुहिम को चलाए हुए हैं। उनकी दुकान के पास दो अस्पताल हैं।

बहुत रोया था बच्चा, हुई थी मन में पीड़ा

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला अध्योध्या के रहने वाले शिवकुमार बताते है कि डेढ़ दशक पहली बात है। बच्चे के लिए गाय के दूध की जरूरत थी। काफी प्रयास किया, लेकिन वह बच्चे के लिए गाय का दूध उपलब्ध नहीं करा पाए। भूखा बच्चा खूब रोया। तभी उन्होंने चाय का काम शुरू किया। उसी दिन उन्होंने तय कर लिया था कि हर रोज गाय का दूध लेकर आएंगे। यह दूध केवल बच्चों के लिए भी दिया जाएगा। शुरूआत में एक लीटर ही दूध लाए थे। वह भी बच गया। जिसको वह शाम को अपने घर लेकर जाते थे। धीरे धीरे लोगों को पता चला है कि उनके पास गाय का दूध मिलता है तो मांग बढऩे लगी। अब तीन से चार लीटर गाय का दूध हर रोज लग जाता है। पुराने हाईवे से  निकलने वाले लोग भी बच्चों के लिए दूध लेते हैं तो शिवकुमार उनसे भी पैसा नहीं लेते।

पूछ लेते हैं बच्चों के दूध बारे

जब भी कोई दूध के लिए उनके पास आता है तो उससे पूछ लेते है कि दूध बच्चों के लिए तो नहीं ले रहे हैं। यह पता चलते ही वह उस व्यक्ति से दूध और उसको तैयार करने के पैसे नहीं लेते हैं। इस चक्कर में लोगों से उनके तालमेल अच्छे हो गए। इसका असर उनकी दुकानदारी पर भी दिखाई दे रहा है।


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