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Paddy Disease: गर्दन तोड़ बीमारी से धान फसल की रखें देखभाल, जानिए क्‍यों कृषि विशेषज्ञ कर रहे अलर्ट

धान अब तैयार हो चुका है। ऐसे में धान में कई तरह की बीमारियां भी लग रही हैं। इससे उत्‍पादन पर भी असर पड़ रहा है। कृषि विशेषज्ञ इसके लिए लगातार अलर्ट कर रहे हैं। अब गर्दन तोड़ बीमारी से धान की देखभाल की सलाह दी है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 09:52 AM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 09:52 AM (IST)
Paddy Disease: गर्दन तोड़ बीमारी से धान फसल की रखें देखभाल, जानिए क्‍यों कृषि विशेषज्ञ कर रहे अलर्ट
धान की खेती में गर्दन तोड़ रोग का खतरा।

कैथल, जागरण संवाददाता। गर्दन तोड़ बीमारी के प्रति धान के किसान अब सचेत रहिए। धान की किस्म बासमती, मुच्छल व 1121 में अब बालियां व दाना बन रहा हैं। इसलिए इस बीमारी की देखभाल रखें। अगर आप की फसल धान की बालियां सूखना शुरू हो गई है, तो तुरंत डाक्टर की सलाह लें और कीटनाशक दवाई का छिड़काव करें। यदि समय रहते बीमारी के प्रति रोकथाम नहीं हुआ तो पैदावार पर विपरीत असर पड़ेगा।

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डा. जगबीर लांबा ने बताया कि धान की फसल में ये बीमारी आती है। शुरूआत में फसल का पत्ता ऊपर से काला होना शुरू हो जाता है। पत्तियों पर आंख के आकार के नीले या बैंगनी रंग के अनेक धब्बे बनने शुरू हो जाते हैं। बाद में धब्बों के बीच का भाग चौड़ा तथा दोनों किनारे लंबे हो जाते हैं। फसल की बाली सूख जाएगी। तने की गांठें काली होकर आसानी से टूट जाती हैं। इसका सीधा असर उपज पर पड़ता है।

ऐसे आती है बीमारी

गर्दन तोड़ बीमारी अधिक नमी से आती है। अनुकूल परिस्थितियों में जब तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस तथा एक सप्ताह तक आद्रता या नमी 90 प्रतिशत से अधिक हो तो यह बीमारी भयंकर रूप ले लेती है। बालियां निकलते समय इस रोग से गांठे कमजोर हो जाती हैं तथा पौधे की बालियां सफेद हो जाती है और इनमें दाने पूरी तरह नहीं बनते। यदि बनते हैं तो कटाई के समय अधिक टूटते हैं।

ये है रोकथाम

पत्तियों पर बीमारी का एक भी धब्बा दिखाई देते ही छिड़काव के लिए कार्बेंडाजिम 50 डब्ल्यूपी 400 ग्राम या बीम 120 ग्राम को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। बालियों पर 50 प्रतिशत फूल निकलने के समय छिड़काव दोहराएं। छिड़काव 12 बजे के बाद ही करें। ऐसा न करने से फूलों पर छिड़काव का बुरा प्रभाव पड़ सकता है। कार्बनडेजियम 300 ग्राम, जिनेव 500 ग्राम, स्टेप्टोसाइकिलन 6 ग्राम का आठ टंकी घोल बना कर एक एकड़ में छिड़काव किसान कर सकते है।

पिछले वर्ष भी इस बीमारी से खराब हुई थी धान की फसल

पिछले वर्ष भी गर्दन तोड़ बीमारी से किसानों की फसल खराब हुई थी। आमदनी के हिसाब से इजाफा नहीं हुआ था। किसान ब्लास्ट, काला तेला सहित बीमारियों के प्रति भी जागरूक रहे। मौसम परविर्तनशील होने के बाद इन बीमारियों का भी फसलों पर खतरा रहता है।


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