पढ़ने में मन नहीं लगता था, घर छोड़ दिया, तीन साल बाद पानीपत के मिठाई वाले ने मिलवाया
पढ़ने में मन नहीं लगने की वजह से नांगलखेड़ी में रहने वाले किशोर ने घर छोड़ दिया। वैष्णों देवी तक मन्नत मांगी। तलाश में घर बिक गया। इसके बाद पानीपत के मिठाई वाले ने उसे परिवार वालों से मिलवाया।
पानीपत, जागरण संवाददाता। पढ़ने में मन नहीं लगा तो मां-पिता के डर के कारण बच्चे ने अपना घर ही छोड़ दिया। तीन साल तक उसका कुछ पता नहीं चला। पूरा परिवार बेटे की खोजबीन में लगा रहा। यहां तक की अपना सौ गज का मकान तक बेचना पड़ा। आखिरकार एक मिठाईवाले की मदद से उनका बेटा उन्हें मिल गया। बेटे की वापसी के लिए जो मन्नतें मांगी थीं, अब सभी पूरी करेंगे। मां के तो खुशी से आंखों से आंसू छलक आए।
नांगलखेड़ी में किराये के मकान में रहने वाले रजपाल ने बताया कि उनके दो बेटे व दो बेटियां हैं। तीन साल पहले सबसे छोटा बेटा दीपक घर से लापता हो गया। वह स्कूल गया था लेकिन वहां नहीं पहुंचा। चौथी क्लास में पढ़ता था। वे मूल रूप से उत्तरप्रदेश के कासगंज के सुमैया के रहने वाले हैं। उन्हें लगा कि कहीं बेटा वहां तो नहीं चला गया, गांव में पता कराया। पर बेटा वहां भी नहीं पहुंचा। बेटे की तलाश में जगह-जगह भटके। मां वैष्णों देवी के दरबार में भी पहुंचे। मां से मन्नत मांगी कि बेटा लौट आया तो जगराता कराएंगे। बेटा उन्हें मिल गया है, अब जगराता जरूर कराएंगे।
सोनीपत में टायर के शोरूम पर था
दीपक तीन साल तक सोनीपत में रहा। वहां टायर के शोरूम पर रहता था। शोरूम का मालिक उससे काम कराता और रोटी दे देता था। उसने कभी दीपक को घर जाने के लिए नहीं कहा। रजपाल ने बताया कि दीपक खुद ही वहां से भाग आया। अगर वहां से नहीं भागता तो शायद उन्हें नहीं मिल पाता।
मां का नंबर बंद नहीं कराया, उसी पर आई काल
दीपक सोनीपत से भागकर गोहाना रोड पर म्यूर मिष्ठान भंडार पर पहुंच गया। यहां के मालिक शशि भूषण यादव ने उसे देखा। दीपक ने यादव से कहा कि उसे काम पर लगा लो। बहुत भूख लगी है। यादव ने कहा कि आधार कार्ड दिखाओ। अपने माता-पिता से मिलवाओ। बच्चों को काम पर नहीं लगाते। तुम्हें खाना खिला देंगे। किसी तरह प्यार से उन्होंने दीपक से मां का नंबर ले लिया। जैसे ही घर पर फोन पहुंचा, मां और पिता दौड़े-दौड़े दुकान पर पहुंचे। रजपाल ने बताया कि उन्होंने पुराने नंबर बंद नहीं कराए थे। लगता था कि कभी न कभी दीपक का फोन आ जाएगा। वही हुआ भी।
बहनें राखी जरूर लाती थीं
दीपक की दो बहने हैं, पूनम और राखी। रजपाल ने बताया कि दोनों बेटियां अपने भाई के आने का इंतजार करती रहतीं। उन्हें यकीन था कि दीपक लौटेगा। रक्षाबंधन पर दीपक के लिए राखी जरूर लातीं। राखी को अलग से रखतीं। आज भी तीन राखियां मौजूद हैं। भाई के लौटते ही बहनों ने उसे पहले राखी बांधी।