प्रभु नाम सुमिरन हर वक्त करना चाहिए : स्वामी मुक्तानंद
स्वामी मुक्तानंद ने कहा कि घरबार काम छोड़कर नहीं प्रभु सुमिरन तो हर वक्त करते रहना चाहिए। मुक्तानंद महाराज सोमवार को देवी मंदिर में आयोजित 21 कुंडीय महायज्ञ में बोल रही थी।
जागरण संवाददाता, पानीपत : स्वामी मुक्तानंद ने कहा कि घरबार, काम छोड़कर नहीं, प्रभु सुमिरन तो हर वक्त करते रहना चाहिए। मुक्तानंद महाराज सोमवार को देवी मंदिर में आयोजित 21 कुंडीय महायज्ञ में बोल रही थी। स्वामी गीता नंद महाराज भिक्षु के वार्षिक उत्सव पर यह आयोजन हुआ।
स्वामी मुक्तानंद ने कहा प्रभु की छत्रछाया में रहने का सबसे सरल उपाय है कि इसके लिए कोई नियम संयम की आवश्यकता नहीं है। सोते, बैठते, चलते, फिरते सब जगह बिना किसी तरह के तन धन के सहयोग के साथ कर सकते हैं। केवल इस कार्य के लिए पवित्र मन चाहिए। यज्ञ से पूरा वातावरण पवित्र हो जाता है। परमार्थ से ही जीवन में खुशी मिलती है। त्याग तपस्या से आत्मा को शक्ति मिलती है। हर व्यक्ति को कर्म करना पड़ता है। गीता में कर्म का ज्ञान मिलता है। वर्तमान की हर समस्या का हल गीता अध्ययन से मिलता है। गीता के अध्याय का नियमित अध्ययन करना चाहिए। हमारा सौभाग्य है कि गीता का ज्ञान कुरुक्षेत्र में दिया गया। मोह और लोभ तृष्णा के अंग है। मोह का अर्थ है जो हमारे पास है वह कहीं न जाए, लोभ का अर्थ और अधिक मिले। तृष्णा का कोई अंत नहीं है।
21 महाकुंडीय यज्ञ गीता के 18 अध्यायों के श्लोकों द्वारा किया गया। गीता साधक मंडल के नेतृत्व में हुए इस आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। कोरोना के कारण इस बार एक दिन का आयोजन किया गया है। हर वर्ष तीन दिन तक कार्यक्रम चलता था। महाराज श्री से भक्तजनों ने आशीर्वाद लिया। अटूट भंडारा लगाया गया। यज्ञ महोत्सव में मुख्य रूप से निर्यातक कुलदीप सिगला, रानी सिगला, गोमती देवी, वेद मित्तल,महेश गोयल, राजेंद्र गोयल, योगेश गोयल मौजूद रहे।