Chhath Puja 2021: कुरुक्षेत्र में छठ महापर्व पर सूर्य नारायण यज्ञ का आयोजन, जानिए महत्व
सूर्य शष्ठी छठ पूजा के अवसर पर अखिल भारतीय पूर्वांचल समाज सभा कुरूक्षेत्र द्वारा संस्कृत वेद पाठशाला मे आचार्य नरेश कौशिक व वेदपाठी ब्राम्हणो द्वारा सूर्य नारायण यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य यजमान सभा के संयुक्त सचिव शिवनाथ मिश्रा जी व उनकी धर्मपत्नि रहे।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में छठ पर्व का विशेष महत्व है। अब छठ सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि महापर्व हो चुका है। चार दिन तक चलने वाले महापर्व छठ को लेकर अंबाला में भी तैयारियां है। बुधवार को ढलते सूर्य को व्रती अर्घ्य देंगी। समाज के हर वर्ग के लोग बहुत उत्साह से इसमें हिस्सा ले रहे हैं। छठ की शुरुआत नहाए-खाए से इसकी शुरुआत हो चुकी है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होती है। चार दिनों तक चलने वाले आस्था के महापर्व छठ को लेकर व्रती से लेकर परिवारजन तैयारी पूरी करने में जुटे हैं। सोमवार से विधि विधान के साथ नहाया खाया से शुरू हो गया है।
सूर्य नारायण यज्ञ का आयोजन
सूर्य शष्ठी छठ पूजा के अवसर पर अखिल भारतीय पूर्वांचल समाज सभा कुरूक्षेत्र द्वारा संस्कृत वेद पाठशाला मे आचार्य नरेश कौशिक व वेदपाठी ब्राम्हणो द्वारा सूर्य नारायण यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य यजमान सभा के संयुक्त सचिव शिवनाथ मिश्रा जी व उनकी धर्मपत्नि रहे। यज्ञ मे सभा के प्रधान राकेश शर्मा ने दिप प्रज्जवलन किया। कहा की आज का छठ पूजा सूर्य नारायण यज्ञ सभा के महासचिव दिवंगत कमल भारद्वाज की आत्मिक शांति के लिए कोरोना महामारी मे मृत लोगो की आत्मिक शांति को समर्पित किया । सभा के सभी लोगो ने उन्हे श्रद्धांजलि दी।
साथ ही कहा की इस वर्ष हमारी सभा के कर्मठ कार्यकर्ता कमल जी की मृत्यु होने के कारण सांय का सांस्कृतिक कार्यक्रम नही कर रहे है। इस अवसर पर यज्ञ मे सभा के संरक्षक एन के प्रसाद, तपेश्वर मिश्र,कैशियर कामेश्वर प्रसाद,भाजपा पुर्वांचल प्रकोष्ठ कुरूक्षेत्र के जिला संयोजक उमा शंकर,उमेश पाठक,सदानन्द,महानन्द राम,भिखन मंडल,सुभाष झा,मुक्तिनाथ मिश्रा,लाल बहादुर महतो,लक्षमण,विनोद,ब्रह्मदेव,कुमार इशांत,अभिषेक मिश्रा वगैरह कई कार्यकर्ता यज्ञ मे शामिल होकर आहुति डाली,जनकल्याण की कामना की।
छठ पर्व का महत्व
पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए ये पर्व मनाया जाता है। इसका एक अलग ऐतिहासिक महत्व भी है, छठ पूजा में सामाजिक संदेश भी छिपा है। सूर्यषष्ठी व्रत में लोग उगते हुए सूर्य की भी पूजा करते हैं, डूबते हुए सूर्य की भी उतनी ही श्रद्धा से पूजा करते हैं।