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सरोगेट मां की कोख से जन्मे बच्चे का मामला, छह माह तक होगी मानीटरिग

जागरण संवाददाता पानीपत सरोगेट मां की कोख से जन्मे साढ़े तीन साल के बच्चे की बाल कल्याण सि

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 05:22 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 05:22 AM (IST)
सरोगेट मां की कोख से जन्मे बच्चे का मामला, छह माह तक होगी मानीटरिग
सरोगेट मां की कोख से जन्मे बच्चे का मामला, छह माह तक होगी मानीटरिग

जागरण संवाददाता, पानीपत : सरोगेट मां की कोख से जन्मे साढ़े तीन साल के बच्चे की बाल कल्याण समिति छह माह तक मानीटरिग करेगी। स्कूल खुलने पर समिति सदस्य शिक्षकों के संपर्क में भी रहेंगे। बच्चे के कानूनी माता-पिता को समिति ने चौथी बार बुलाकर यह संकेत दे दिए हैं। बच्चे की बेसिक नॉलेज कम देख, उसे खेल-खेल में कुछ सिखाने के निर्देश भी दिए हैं।

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बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य डा. मुकेश आर्य ने बताया कि दो दिन पहले अभिभावकों को बच्चे के साथ बुलवाया गया था। बच्चे की सेहत और रहन-सहन में सुधार दिखा। बच्चे को वन-टू-थ्री, एबीसीडी, कलर की पहचान जैसी बेसिक नालेज नहीं है। बहुत कम बोलता है। स्कूल में एडमिशन तो है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते शिक्षण संस्थान बंद हैं। दंपती को निर्देश दिए गए हैं कि उसका ठीक से ख्याल रखें। साढ़े तीन साल की आयु के अनुसार उसे खेल-खेल में बेसिक ज्ञान दें। पहली सुनवाई में बच्चे की कलाई पर रस्सी से बांधने जैसे निशान थे, अब नहीं हैं।

डा. आर्य के मुताबिक स्कूल खुलने का इंतजार है। इसके बाद मानीटरिग करने के लिए दो विडो खुल जाएंगी। समिति कम से कम छह माह में इस केस पर नजर रखेगी। इसके बाद भी परिवार के मुख्य व्यक्ति को बच्चे पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

यह था पूरा मामला

डा. आर्य ने बताया कि बच्चे के एक हितैषी ने सात अक्टूबर 2020 को शिकायत दी थी। बताया था कि माडल टाउन में सरोगेट मां की कोख से जन्मे साढ़े तीन साल के बच्चे को घर में रस्सी से बांधकर रखा जाता था। करीब 15 दिन से बच्चा घर में नहीं दिख रहा है। हितैषी ने आशंका जताई थी कि बच्चे को उसके जेनेटिक पिता ने ही अपनी पत्नी के दबाव में आकर कहीं गायब कर दिया है। शिकायतकर्ता ने बच्चे की जान को खतरा भी बताया था। विगत वर्षों में यह जिले का अनोखा केस था। स्वजन के सुपुर्द किया जा सकता है बच्चा

डा. आर्य के मुताबिक बच्चे के दादा सहित परिवार के अन्य सदस्यों से भी बात हुई है। दादा ने तो यहां तक कहा कि मेरे लिए पुत्र के तीनों बच्चे (एक सरोगेट मां से जन्मा व दंपती की दो बेटियां) एक समान हैं। दंपती के व्यवहार में सुधार दिख रहा है। इसके बावजूद बच्चे को कोई दिक्कत आई तो उसे दादा या अन्य स्वजनों को सुपर्द किया जा सकता है। समिति अपनी सुपुर्दगी में भी ले सकती है।


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