पहलवान बेटी की जिद पर मां ने उड़ी सपनों की उड़ान, नेशनल कबड्डी में पाया मुकाम Panipat News
पहलवान बेटी श्रेया के कहने पर सुदेश राठी मैदान में उतरीं और जीत हासिल की। शिमला में हुई ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज कबड्डी चैंपियनशिप में सुदेश ने कांस्य पदक जीता।
पानीपत, [विजय गाहल्याण]। करहंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल की 40 वर्षीय डीपीई पुलिस लाइन निवासी सुदेश राठी ने शादी के बाद खेल के मैदान से किनारा कर लिया था। वे गृहस्थी में उलझ कर रह गईं। राज्यस्तरीय कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीत चुकी बेटी श्रेया ने जिद कर मां को कहा कि अभी भी आप में खेल बचा है। आप पदक जीत सकती हो। बेटी की बात मानकर उन्होंने 16 साल बाद अभ्यास शुरू किया और ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज कबड्डी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। यह प्रतियोगिता 15 से 19 नवंबर को शिमला में हुई।
खिलाड़ियों का है परिवार पति ने दिया साथ
सुदेश राठी का परिवार खिलाड़ियों का है। एएसआइ पति संतराम मलिक राज्य स्तर पर एथलेटिक्स में पदक जीत चुके हैं। ससुर रणधीर सिंह मलिक हॉकी के नामचीन खिलाड़ी रहे हैं। राठी ने बताया कि पति व ससुर ने उन्हें हमेशा खेलने के लिए प्रेरित किया है। बेटी श्रेया को वह 100 मीटर की धाविका बनाना चाहती थी। पति की इच्छा पहलवान बनाने की थी। बेटी कुश्ती में पदक जीत रही है। इसकी भी खुशी है।
स्कूल में रहीं बेस्ट एथलीट, कई खेलों में महारथ हासिल
सुदेश राठी ने बताया कि बुटाना के नवोदय स्कूल की वे चार साल तक बेस्ट एथलीट रही हैं। वे 100 और 200 मीटर दौड़ लगाती थी। पांच बार इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में पदक जीते। उसने बीएसई की। उसका रुझान खेलों में था। इसी वजह से नॉन मेडिकल की पढ़ाई छोड़ डीपीएड की और खेलों में लगातार भागीदारी करती रही। वे कबड्डी, हॉकी, बैडमिंटन और खो-खो में भी पदक जीत चुकी है।
मां ने उसे खेलने के लिए प्रेरित किया था
मां की जीत से खुश श्रेया ने कहा कि मां ने उसे खेलने के लिए प्रेरित किया था। वे भी पदक जीत चुकी है। अब मां ने उसकी बात मानी और सफलता हासिल की।