फिल्मी जैसी है इस खिलाड़ी की कहानी, मैरीकाम को खेलते देखा तो चोरी छिपे ली ट्रेनिंग, फिर बनी अंतरराष्ट्रीय बाक्सर
हरियाणा (Haryana) की रहने वाली बाक्सर (Boxer) मनीषा मौण (Manisha Moun)। मैरीकाम को खेलते देखा तो बाक्सिंग खेलने की सोची। इसके बाद शुरू हुई फिल्मी किरदार जैसी कहानी। चोरी छिपे बाक्सिंग की ट्रेनिंग के लिए जाने लगी। इसके बाद आंतरराष्ट्रीय बाक्सर बन गई।
कैथल, [सुनील जांगड़ा]। हरियाणा के कैथल की बाक्सर बेटी के संघर्ष की कहानी किसी बालीवुड मूवी से कम नहीं है। चोरी छिपकर बाक्सिंग की प्रैक्टिस की। इसके बाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। पदक जीता। चोट लगी तो इलाज के लिए पैसे नहीं थे। इसके बाद संघर्ष कर फिर रिंग में उतरी और अंतरराष्ट्रीय बाक्सर बन गई। पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी कैथल की बेटी मनीषा मौण की तारीफ की।
एक किसान परिवार की है मनीषा
अंतरराष्ट्रीय बाक्सिंग खिलाड़ी मनीषा मौण का जन्म 23 दिसंबर 1997 को गांव मटौर के एक किसान परिवार में हुआ था। पिता कृष्ण कुमार डेढ़ एकड़ के किसान थे और उसी से परिवार का गुजारा होता था। कुछ सालों के बाद परिवार के लोग गांव से कैथल आ गए थे और वहीं से शुरू हुआ था मनीषा का संघर्ष।
मैरिकाम को खेलते देख होती थी खुशी
मनीषा ने करीब 11 साल पहले बाक्सिंग खेलना शुरू किया था। अंतरराष्ट्रीय बाक्सर मैरिकाम को टीवी पर देखकर खेलना शुरू किया और आज भी उन्हीं का खेल देखती हैं। परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन लगन थी एक अच्छा खिलाड़ी बनने की। पहले डाइट के लिए भी पैसे नहीं होते थे। उसके बाद कुछ लोगों ने मनीषा का हुनर देखा और आर्थिक रूप से उसकी सहायता शुरू कर दी। उसके बाद मनीषा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
चोट की परवाह नहीं की
एक के बाद एक पदक जीते और देश का नाम रोशन किया। साल 2018 में आल इंडिया यूनिवर्सिटी की स्पर्धा में मनीषा को कोहनी में चोट लग गई थी। कई महीनों तक खेलों से दूर रही। आपरेशन के लिए पैसे ज्यादा चाहिए थे, लेकिन मनीषा ने बिना चोट की परवाह किए ही दोबारा खेलना शुरू कर दिया। साल 2021 में मनीषा ने अपनी चोट का अपारेशन करवाया था। मनीषा ने बताया कि उसे चाय पीने का बहुत शौंक है। दिन में पांच से छह बार चाय पीती हैं।
विश्व रैंकिंग में है तीसरा स्थान
मनीषा पहले 54 किलोग्राम भारवर्ग में खेलती थी। उसके बाद उसने 57 किलो में खेलना शुरू कर दिया था। अपने भारवर्ग में मनीषा की विश्व रैंकिंग तीसरे नंबर पर है। कामनवेल्थ खेलों में 57 किलो भारवर्ग के खिलाड़ियों को ही शामिल नहीं किया गया। अगर इस भारवर्ग को शामिल किया जाता तो मनीषा का चयन लगभग पक्का था। बता दें कि मनीषा ने अंबाला रोड स्थित आरकेएसडी कालेज के बाक्सिंग प्रशिक्षण केंद्र में खेलना शुरू किया था।
परिवार वालों ने शुरुआत में मना भी किया
शुरुआत में उसे स्वजनों को सहयोग नहीं मिला। स्वजनों की सोच थी कि अगर बेटी खेलने जाएगी तो ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाएगी। इसी कारण उसे स्टेडियम में जाने से रोक दिया गया था, लेकिन मनीषा सोच चुकी थी कि उसे तो बाक्सिंग खेलनी ही है। स्कूल के आने के बाद वह आस-पास खेलने का बहाना बनाकर स्टेडियम में पहुंच जाती। कोच राजेंद्र सिंह, गुरमीत सिंह और विक्रम ढुल के पास खिलाड़ी ने अभ्यास शुरू किया था। कुछ महीने के बाद ही मनीषा ने एक स्पर्धा में पदक जीत लिया था। स्वजनों ने उसके बाद मनीषा काे खेलने की अनुमति भी दे दी थी।
राष्ट्रीय खेलों की कर रही तैयारी
मनीषा इस समय सितंबर में गुजरात में होने वाले राष्ट्रीय खेलों की तैयारी कर रही है। आरकेएसडी खेल सेंटर पर भी सुबह-शाम अभ्यास के लिए आती है। मनीषा का चयन एशियन खेलों में भी हो चुका है। बता दें कि मनीषा ने मई 2022 में हुई विश्व सीनियर महिला बाक्सिंग स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मनीषा को दिल्ली बुलाकर बधाई दी थी।
परिवार का गुजारा भी था मुश्किल
मनीषा के पिता कृष्ण कुमार डेढ़ एकड़ में खेती करते हैं। एक समय था जब परिवार का गुजारा भी मुश्किल से होता था, लेकिन अब मनीषा परिवार के सपनों को पूरा कर रही है। इन 11 सालों में मनीषा करीब 70 लाख रुपये की नकद इनाम राशि खेलों के दम पर जीत चुकी है। घर में मां ऊषा देवी, भाई विकास और बड़ी बहन निशा है।
ये हैं मनीषा की मुख्य उपलब्धियां
- 2018 में हुई आईबा ओपन प्रतियोगिता में स्वर्ण।
- अप्रैल 2019 में थाईलैंड में हुई एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक।
- 2019 में हुई आईबा ओपन प्रतियोगिता में रजत पदक।
- 2019 में दिल्ली में हुई बिग बाउट प्रतियोगिता में रजत पदक।
- 2020 में जर्मनी में हुए केमिस्ट्री कप प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक।
- 2021 में हिसार में हुई सीनियर राष्ट्रीय बाक्सिंग में रजत पदक।
- 2022 में तुर्की में हुई विश्व महिला बाक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक।
- नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में करीब 20 स्वर्ण जीत चुकी है।