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सजा सुनकर सन्न रह गए दोषियों के परिजन

सचिन त्रिवेदी, नई दिल्ली : इफको रेट इंटरेस्ट घोटाले में 23 वर्ष पूर्व सीबीआइ की ओर से दर्ज क

By Edited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 02:15 AM (IST)Updated: Sat, 27 Aug 2016 02:15 AM (IST)
सजा सुनकर सन्न रह गए दोषियों के परिजन

सचिन त्रिवेदी, नई दिल्ली : इफको रेट इंटरेस्ट घोटाले में 23 वर्ष पूर्व सीबीआइ की ओर से दर्ज कराए गए मामले में सरकार के करोड़ों रुपये का दुरुपयोग हुआ। उस समय इफको चेयरमैन रहे हरियाणा के पूर्व स्पीकर सतबीर कादियान सहित बंबई के शेयर ब्रोकर हर्षद शातिलाल मेहता, यूको बैंक बंबई शाखा के फंड सहायक प्रबंधक विनायक नारायण देओस्थली, जमा खाता वरिष्ठ प्रबंधक सुनील गोरावरा, नकदी वरिष्ठ प्रबंधक करुणापति पाडेय सहित दिल्ली निवासी अनिल कुमार मल्होत्रा को दोषी भी ठहराया गया। मगर यह भी एक सच्चाई है कि बाद में यह सारी रकम इफको के खाते में वापस आ गई। ऐसे में दो से सात वर्ष तक की सजा और 50 हजार से 50 लाख तक का जुर्माना लगाया जाना कहा तक सही है। सभी दोषियों के परिजनों सहित बचाव पक्ष के अधिवक्ता यह कहते हुए अदालती फैसले पर सवाल उठा रहे थे।

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कड़कड़डूमा अदालत में सीबीआइ के विशेष जज जितेंद्र कुमार मिश्रा ने जैसे ही दोषियों को सजा सुनाई, परिजनों व बचाव पक्ष के वकीलों के चेहरे निराशा से झुक गए। बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं में अजीब सी बेचैनी और दोषियों के परिजन सन्न नजर आ रहे थे। एक दोषी अनिल कुमार मल्होत्रा के परिजन तो अदालत में ही लोगों से बहस करने लगे कि आप लोगों को हंसी आ रही है। क्या अदालती फैसले आपको मजाक लगते हैं। वहीं सतबीर कादियान के पास खड़े संबंधी कहने लगे कि हम तो बहुत आस लेकर आए थे, मगर अदालती फैसले के आगे हमारी प्रार्थनाएं भी बेअसर हो गईं। सबसे उम्रदराज करुणापति पाडेय के बेटों की आखों से आसू लगातार बह रहे थे, जो फैसला आते ही फफक पड़े और सभी अरोपियों के जाने के बाद भी वह अदालत परिसर में घटों बैठे रहे। बाकी आरोपियों को भी अदालत ने मिलने की अनुमति दी तो वह दूसरे का हाथ पकड़े बैठे रहे।

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- अदालत का यह फैसला समझ से परे है, जबकि सीबीआइ अपने खुद के आरोपों को पूरी तरह से सिद्ध नहीं कर पाई है। मामले में झूठे आरोप और राजनीतिक षड्यंत्रों के तहत लगातार आरोपियों को शिकार बनाया जाता रहा है।

- सिद्धार्थ कादियान, परिवार के सदस्य।

- सीबीआइ जो आरोप लगाती रही है और जिन धाराओं में सजा सुना दी गई है, वह दोषियों के अपराध से मुकाबले काफी सख्त रहीं। बेहद मामूली से मामले में इतनी बड़ी सजा नहीं दी जानी चाहिए। इसके लिए हम हाई कोर्ट में अपील लगाएंगे।

- संजय सूरी, बचाव पक्ष के अधिवक्ता।


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