Move to Jagran APP

कहीं आपके बच्‍चों की जान जोखिम में तो नहीं, ये तस्‍वीरें बयां कर रही लापरवाही की हकीकत

शिक्षा के लिए जान जोखिम में डालकर छात्र सफर करने को मजबूर है। जींद डिपो में 35 बसों की कमी है। ग्रामीण रूटों पर विद्यार्थियों व सवारियों को आए दिन परेशानी हो रही है। ऐसे में बसों में लटककर यात्रा कर रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 02:55 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 02:55 PM (IST)
कहीं आपके बच्‍चों की जान जोखिम में तो नहीं, ये तस्‍वीरें बयां कर रही लापरवाही की हकीकत
जींद में जान जोखिम में डालकर छात्र यात्रा कर रहे।

पानीपत/जींद, जेएनएन। सूचना प्रौद्योगिकी के इस समय में संचार की दूरियां भले ही सिमट कर रह गई हों, लेकिन ग्रामीण इलाकों में परिवहन के साधनों का आज भी टोटा है। रोडवेज बसों की घटती संख्या के कारण न केवल हजारों युवाओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि उन्हें जान जोखिम में डालकर बसों में सफर करना पड़ रहा है। शिक्षा ग्रहण करने के लिए रोजमर्रा की इस जद्​दोजहद में कभी खिड़की में लटक कर सफर करना पड़ रहा है तो कभी बसों की छतों पर बैठना पड़ता है, जिस कारण जान खतरे में रहती है।

loksabha election banner

जींद डिपो में करीब 165 बसें हैं, जो रोजाना अंतरराज्य, अंतरजिला, लोकल तथा ग्रामीण रूटों पर चलती हैं। नार्म के हिसाब से जींद डिपो में 200 बसें होनी चाहिएं। बसों की कमी का नुकसान विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। ग्रामीण रूटों पर जरूरत से कहीं कम बसों के कारण न केवल विद्यार्थियों को प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना पड़ता है, बल्कि वह समय पर स्कूल, कॉलेज में भी नहीं पहुंच पाते। इससे उनकी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती।

जींद-छात्तर रूट पर सबसे ज्यादा परेशानी

बसों की कमी के कारण यूं तो कई ग्रामीण रूटों पर विद्यार्थियों को परेशान झेलनी पड़ रही है लेकिन जींद-छात्तर रूट पर सबसे ज्यादा परेशानी आ रही है। जींद जिले के अंतिम गांव मांडी कलां से छात्तर, कुचराना कलां, कुचराना खुर्द, घोघड़ियां, कसूहन, भौंसला, छापड़ा, बड़ौदी, झांझ होते हुए बस आती है। इन 13 गांवों से 100 से ज्यादा छात्राएं और 70 से ज्यादा छात्र जींद कॉलेज और एकेडमियों में पढ़ने के लिए आते हैं। इनमें करीब 100 छात्राएं शामिल हैं। इस रूट पर रोडवेज द्वारा एक कॉमन बस और छात्राओं के लिए एक स्पेशल गुलाबी बस चलाई गई है। 32 सीटों वाली गुलाबी बस में 100 छात्राएं नहीं बैठ पाती, इस कारण बाकी छात्राएं कॉमन बस में बैठती हैं। कॉमन बस छात्तर, कुचराना और घोघड़ियां तक आते-आते यात्रियों और छात्रों से तूड़ी की तरह भर जाती है। इस कारण कसूहन, भौंसला, छापड़ा, बड़ौदी के छात्र-छात्राएं बस में नहीं चढ़ पाते। वह बस को खड़े-खड़े देखते रह जाते हैं।

दो कॉमन बसें चलने से हो सकता है समाधान

दो सप्ताह पहले तक इस रूट पर दो कॉमन बसें चलती थी। एक बस मांडी से जींद और दूसरी बस घोघड़ियां से जींद तक आती थी। इन दोनों बसों के चलने से सभी सवारी जींद पहुंच जाती थी। लेकिन छात्राओं की गुलाबी बस स्पेशल चलने के बाद छात्र-छात्राओं की परेशानी बढ़ गई। अगर एक बस को पहले की तरह घोघड़ियां से जींद तक शुरू कर दिया जाए तो विद्यार्थियों की समस्या का समाधान हो सकता है।

चालक-परिचालकों से मांगी रिपोर्ट, किया जाएगा समाधान : जीएम

डिपो महाप्रबंधक बिजेंद्र हुड्डा ने कहा कि जींद-छात्तर रूट के चालक-परिचालक से रिपोर्ट मांगी जाएगी। अगर दो बसों से विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है तो एक और बस चलाई जाएगी या फिर पहले की तरह ही दोनों कॉमन बसाें को चला दिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.