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जर्मनी में एमटेक कराने का झांसा दे 2.85 लाख ठगे

विदेश में पढ़ाने के लिए दादा फकीरचंद ने 2.85 लाख रुपये कंपनी में जमा कराए थे। जनवरी में ठगी का पता चलने पर दादा को सदमा लगा और 12 फरवरी को देहांत हो गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 08:02 AM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 08:02 AM (IST)
जर्मनी में एमटेक कराने का झांसा दे 2.85 लाख ठगे
जर्मनी में एमटेक कराने का झांसा दे 2.85 लाख ठगे

जागरण संवाददाता, पानीपत: परमहंस कुटिया के पास रहने वाले एक छात्र को गुरुग्राम की कंपनी ने जर्मनी से एमटेक कराने का झांसा देकर 2.85 लाख रुपये ठग लिये। एसपी को शिकायत देने पर थाना शहर पुलिस ने मामला दर्ज किया है।

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परमहंस कुटिया के पास कायस्तान मुहल्ला में रहने वाले सुमित वर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 में उसने अंबाला के एक कॉलेज से बीटेक किया था। वह जर्मनी से एमटेक करना चाहता था। उसे पता चला कि गुरुग्राम की यूएनआइ असिस्ट एज्यूटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पढ़ाई के लिए छात्रों को जर्मनी भेजती है। कंपनी के गुरुग्राम के कार्यालय से संपर्क किया को 5.70 लाख रुपए खर्च बताया गया। इंटरनेट पर देखा तो इस नाम की जर्मन कंपनी थी। कंपनी का नाम और लोगो एक जैसा था। इससे विश्वास करके कंपनी में 2.85 लाख रुपए जमा करा दिये। बकाया राशि वीजा लगने के बाद जमा कराना था।

थाना शहर प्रभारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि कंपनी की डायरेक्टर अशीमा मल्होत्रा, रणदीप घोसाल, संदीपन कबिराज, कौशिक बॉस और प्रतीक नेपालिया पर केस दर्ज किया गया है। कागजों में हेराफेरी से ठगी का शक

सुमित ने बताया कि जर्मनी जाने से पहले कंपनी ने बताया कि दाखिले से पहले जर्मन भाषा के दो चरण में कोर्स कराने की बात कही। दो महीने का ए-वन कोर्स चंडीगढ़ में हुआ। दूसरा व अंतिम कोर्स ए-टू के लिए पांच जनवरी को चंडीगढ़ गए। तब एग्रीमेंट साइन किया गया कि ए-टू कोर्स 15 फरवरी तक पूरा करने के लिए लिख दिया। दो से तीन महीने का यह कोर्स 15 फरवरी तक पूरा नहीं हो सकता था। इसलिए शक हो गया। इसके बाद दिल्ली स्थित जर्मनी के दूतावास से संपर्क किया। वहां पता चला कि यूएनआइ असिस्ट एज्यूटेक कंपनी जर्मनी में है, लेकिन भारत में इसकी कोई ब्रांच ही नहीं है। सुमित ने बताया कि कंपनी ने भारत में आरोपितों पर केस किया तो इन्होंने अपनी कंपनी का नाम और लोगो बदल लिया। ठगी का पता चलने पर दादा को लगा सदमा, हो गई मौत

सुमित वर्मा ने बताया कि उनके पिता सुशील कुमार शिमला में एक ज्वैलर्स शॉप पर कारीगर हैं। उसे विदेश में पढ़ाने के लिए दादा फकीरचंद ने 2.85 लाख रुपये कंपनी में जमा कराए थे। जनवरी में ठगी का पता चलने पर दादा को सदमा लगा और 12 फरवरी को देहांत हो गया।

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