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प्रदूषण का कारण बन रही औद्योगिक इकाइयों की होगी पहचान, एनजीटी की सख्‍ती

हरियाणा के यमुनानगर में औद्योगिक इकाइयों की वजह से लगातार प्रदूषण के स्‍तर में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में एनजीटी ने सख्‍ती शुरू कर दी है। ऐसी औद्योगिक इकाइयों की पहचान की जाएगी। इसके लिए सर्वे शुरू होगा और कार्रवाई होगी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 08:38 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 09:49 AM (IST)
प्रदूषण का कारण बन रही औद्योगिक इकाइयों की होगी पहचान, एनजीटी की सख्‍ती
यमुनानगर में औद्योगिक इकाइयों की वजह प्रदूषण बढ़ रहा।

यमुनानगर,जागरण संवाददाता। प्रदूषण का कारण बन रही औद्योगिक इकाइयों की पहचान अब नगर निगम करेगा। इसके लिए एक कमेटी गठित की जाएगी। जोकि ऐसी औद्योगिक इकाइयों का सर्वे करेगी जिनसे केमिकल युक्त पानी सीधे नालों में गिर रहा है। इसका मकसद यह पता लगाना है कि औद्योगिक इकाइयों से कितनी मात्रा में केमिकल युक्त पानी निकल रहा है। ताकि कामन इन्फ्ल्यूंट प्लांट (सीईटीपी) बनाए जाने की योजना पर काम शुरू किया जा सके। बता दें कि सीएम मनोहर लाल भी जगाधरी में सीइटीपी लगाने की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह सिरे नहीं चढ़ पाई। अब एनजीटी की सख्ती के बाद इस दिशा में कदम बढ़े हैं।

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छोटी-बड़ी 1500 औद्योगिक इकाइयां

जगाधरी में मेटल की छोटी-बड़ी 1500 औद्योगिक इकाइयां हैं। बर्तन तैयार करते समय विभिन्न धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है और काफी मात्रा में वेस्ट निकलता है जो नालियों में बह रहा है। इसके अलावा यमुनानगर क्षेत्र में भी ऐसी औद्योगिक इकाइयों की संख्या कम नहीं है जिनसे निकल रहा केमिकल युक्त पानी सीधे नालों में छोड़ा जा रहा है।

एक दूसरे विभाग की जिम्मेदारी बताते रहे अधिकारी

दरअसल, जगाधरी में बनने वाले सीईटीपी का संबंध चार विभागों से है। इनमें इंडस्ट्री विभाग, स्थानीय निकाय विभाग, जन स्वास्थ्य एंव अभियांत्रिकी विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शामिल है। लेकिन अब तक सभी विभाग एक दूसरे की जिम्मेदारी बताते रहे हैं। स्थानीय निकाय विभाग ने रेडक्रास की चार एकड़ जमीन के लिए एनओसी नगर निगम ने उपलब्ध करवा दी, लेकिन अन्य तीनों विभागों की ओर से कदम नहीं बढ़ाए गए। बाद में अधिकारियों जगह उपयुक्त न होने का हवाला देते हुए इस परियोजना को ही रद कर दिया था।

खाद्य श्रृंखला में मिलती हैं धातुएं

जगाधरी शहर मेटल उद्योग से विख्यात है और चम्मच से लेकर बड़े कढ़ाहे तक बनते हैं, लेकिन अधिकांश में अधिकांश में पानी को ट्रीट करने की व्यवस्था नहीं है। डिस्चार्ज हो रहे पानी में निकिल, िजिंक, कापर, क्रोमिमय जैसी भारी धातुएं होती हैं, जो हमारी खाद्य श्रृंखला में मिल जाती हैं। न केवल जलीय जीव जंतु प्रभावित होते हैं, बल्कि अनाज व सब्जियों पर भी इनका असर देखा जा सकता है।

शिक्षामंत्री ने इसलिए की थी सिफारिश

प्रदूषण का कारण बन रही औद्योगिक इकाइयों प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नोटिस जारी किए जाते हैं जोकि व्यापारियों को गवारा नहीं है। लागत अधिक आने के कारण सभी अपने स्तर पर पानी को ट्रीट करने में समर्थ नहीं है। ऐसी स्थिति में व्यापारियों की मांग पर वन पर्यटन एवं शिक्षामंत्री कंवरपाल ने जगाधरी में कामन इन्फ्ल्यूंट ट्रीटमेंट प्लांट लगवाए जाने की सिफारिश सीएम से सिफारिश की थी। सीएम ने सीइटीपी लगाने की घोषणा जरूर कर दी, लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाई।

निगम एरिया में जिन औद्योगिक इकाइयों का केमिकल युक्त पानी नालों में गिर रहा है, उनका सर्वे किया जाएगा। ताकि क्षेत्र में सीइटीपी लगाने की योजना पर काम किया जा सके। इस दिशा में जल्दी ही कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

अजय सिंह तोमर, कमिश्नर, नगर निगम।


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