जैसा नाम, वैसा काम, इन्हें देखते ही लोग कहते, नारी तू सच में नारायणी
पानीपत की सविता आर्य नारी तू नारायणी समिति चलाती हैं। 50 से ज्यादा ऐसे मामलों में बेटियों को इंसाफ दिलाया जब पुलिस ने इन्कार कर दिया था। लड़कियों की तस्करी होने से बचाया।
पानीपत, जेएनएन। जैसा नाम, वैसा काम। नारी तू नारायणी। नारी के लिए नारायणी बनकर काम करती है ये संस्था। किसी बच्ची के साथ कोई अत्याचार हुआ या फिर महिला के साथ हुआ हो शोषण। मदद करने के लिए पहुंच जाती है नारी तू नारायणी संस्था की महिला सदस्य। हनी ट्रैप के मामले का पर्दाफाश कर एक व्यापारी को जेल पहुंचा चुकी हैं। जानिये कैसे काम कर रही संस्था। किस तरह यहां भी शिकायत दी जा सकती है।
नारी तू नारायणी संस्था की अध्यक्ष हैं सविता आर्य। शिक्षक दिवस पर समाज में रोशनी का उजियारा करने के लिए पांच सितंबर, 2016 को सविता आर्य ने ये संस्था बनाई। सेक्टर 13-17, पानीपत में रहने वालीं सविता आर्य खुद बिजनेस करती हैं। सोनीपत के गांव लाठ जौली में जन्मी सविता ने ग्रामीण परिवेश को बेहद नजदीक से देखा है। कई बार बेटियों को उनका हक नहीं मिला। सोचती थी कि जब खुद कुछ बन जाएगी तो बेटियों के लिए जरूर कुछ करेंगी। बीच-बीच में अपनी तरफ से कुछ मदद करतीं लेकिन बड़े स्तर पर कुछ नहीं हो पा रहा था। आखिरकार चार वर्ष पहले बनाई संस्था से उनको अपनी जिंदगी की मंजिल मिल गई। अब इसी समिति के माध्यम से सिस्टम से भी टकरा जाती हैं।
मिल चुके पुरस्कार
संस्था को 20 से ज्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं। जिला व राज्यस्तरीय पर सराहा गया है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में न केवल सक्रिय योगदान दिया, बल्कि दूसरों को भी मदद करने के लिए प्रेरित कर चुकी हैं।
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दुष्कर्म पीड़ितों को मदद पहुंचाई
दुष्कर्म पीड़ितों की मदद के लिए दिन हो या रात, कुछ नहीं देखतीं। अब तक 150 से ज्यादा दुष्कर्म पीड़ितों को न्याय दिला चुकी हैं। पीड़ित के घर पहुंचकर उन्हें हौसला देती हैं। कहती हैं, चिंता न करें। आपकी बहन सविता आपके साथ है। एक मामले में पुलिस ने आरोपित चाचा को गिरफ्तार नहीं किया। आइजी के पास पहुंच गई। डीजीपी तक बात पहुंचा दी। आखिरकार पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।
घरेलू हिंसा के मामले निपटाए, थाने नहीं जाने दिया
नारी तू नारायणी संस्था परिवार को मिलाने का काम भी करती है। घर टूटने से बचाए। करीब डेढ़ सौ मामलों को थाने तक नहीं जाने दिया। कुल 450 मामलों को अपनी तरफ से निपटवा दिया। पति-पत्नी, दोनों को समझाती हैं। कई बार वो नहीं झुकते तो खुद कहती हैं, मैं माफी मांग लेती हूं। आप घर तो बसाओ।
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डीजीपी तक बात पहुंचाई
चार वर्ष में करीब सौ से ज्यादा जरूरतमंद बेटियों, दुष्कर्म पीड़ितों की सुनवाई नहीं हुई तो थानों में पुलिस अधिकारियों से टकरा गईं। दो दर्जन से ज्यादा मामले डीजीपी तक पहुंचा दिए। न्याय दिलाकर ही पीछे हटीं।
जरूरतमंद को राशन, छत दिलाई
जरूरतमंद बेटी को राशन, छत दिलाने से पीछे नहीं हटतीं। अपनी तरफ से खर्च करती हैं। किसी से सहयोग नहीं लिया। सविता ने बताया कि एक महिला की छत टूट गई थी। बेटी और पूरे परिवार को बाहर सोना पड़ा। उन्होंने यह खबर पढ़ी तो उसी समय सब काम छोड़कर सैनी कालोनी पहुंच गईं। वहां उस महिला के लिए छत बनवाई। राशन उपलब्ध कराया। कोविड की वजह से जब लोग पलायन कर रहे थे, तब उन्होंने हजारों लोगों को राशन बांटा। उन्हें पानीपत से बाहर जाने से रोका।
जब लड़कियों को बचाया
एक दिन रात दस बजे फोन आया कि तीन लड़कियां गायब हैं। आशंका है कि इनकी तस्करी हो सकती है। उन्होंने तुरंत पुलिस थाने में फोन मिलाया। जांच अधिकारी को अलर्ट किया। मोबाइल फोन को तुरंत ट्रेस पर लगवा दिया। रातभर तलाश करते रहे। आखिरकार लड़कियां मिल गईं। अगर सविता अलर्ट न होतीं तो इन लड़कियों की तस्करी हो जाती।
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उद्यमी को जेल कराई, पुलिस को देनी पड़ी सुरक्षा
एक उद्यमी ने युवती के साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने युवती को ही हनी ट्रैप में फंसाने का प्रयास किया। सविता आर्य अड़ गईं। बात पुलिस के उच्चाधिकारियों तक पहुंचा दी। मामला इसलिए भी गंभीर हो गया था, क्योंकि पुलिस ने मनमर्जी की। सूर्यास्त के बाद युवती को पुरुष पुलिसकर्मी पकड़कर लाए। उद्यमी को जेल जाना पड़ा। इस पूरे प्रकरण के दौरान सविता को पुलिस सुरक्षा मिली।हालांकि सविता ने सुरक्षा लौटा दी।
मां ने 57 चक्कर लगाए, सविता ने एक सप्ताह में आरोपित पकड़वाए
शादी के एक महीने बाद ही बेटे ने आत्महत्या कर ली। बहू ने चार दिन बाद ही अपने प्रेमी के साथ दूसरी शादी कर ली थी। मां ने आरोप लगाया कि बहू से परेशान होकर बेटे ने खुदकुशी की। बेटा मर गया तो बहू ने उसी के बाद शादी कर ली। आरोपितों की वजह से बेटा चला गया। उन्होंने 57 से ज्यादा बार पुलिस के चक्कर काटे। सविता को जब मामला पता चला तो एक सप्ताह में उन्होंने आरोपित बहू को गिरफ्तार करा दिया।
पुलिस ने मदद नहीं की, लड़की को बचाया
एक लड़की घर से भाग गई। वो वापस लौटना चाहती थी। लेकिन डर था कि कहीं घरवाले मार न दें। पुलिस को फोन किया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। उसने सोशल मीडिया से सविता आर्य का नंबर लिया। सविता उसके स्वजनों को लेकर दिल्ली पहुंची। उसे घर लेकर आई।
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