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UPSC Result 2020: जज्‍बे की कहानी, बचपन में की मजदूरी, अब कैथल के रविंद्र ने हासिल की यूपीएससी में 695 वां रैंक

कैथल के रहने वाले रविंद्र ने बचपन में मजदूरी कर पढ़ाई जारी रखी। इसके बाद पीड्ब्लयूडी विभाग में नौकरी लग गई। पढ़ाई करना नहीं छोड़ा। यूपीएससी की तैयारी के समय हुआ था कोरोना। लिखित परीक्षा के दौरान था बुखार।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 04:35 PM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 08:17 AM (IST)
UPSC Result 2020: जज्‍बे की कहानी, बचपन में की मजदूरी, अब कैथल के रविंद्र ने हासिल की यूपीएससी में 695 वां रैंक
हरियाणा के कैथल के ग्योंग गांव निवासी रविंद्र।

कैथल, जागरण संवाददाता। अगर मन में कुछ करने का जज्बा है, तो अपने आप सफलता मिल जाती है। ऐसा ही कुछ उदाहरण है कैथल के ग्योंग गांव निवासी रविंद्र का। यूपीएसएसी की परीक्षा में 695 वां रैंक प्राप्त करके अपने गांव का नाम ही नही, बल्कि जिले का नाम भी रोशन किया है।

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रविंद्र कुमार बताते है कि शुरूआत में मार्गदर्शन की कमी रही। लेकिन कुछ समय बाद अपने बुआ के लड़के से मार्गदर्शन लेना शुरू किया। उन्होंने समय- समय पर मार्गदर्शन किया, तभी सफलता मिली। बुआ का लड़का शिव कुमार जोकि ईटीओ के पद पर कार्यरत है। नौकरी के साथ- साथ रात को पढ़ाई को जारी रखा, तभी आइएएस का सपना पुरा हुआ है।

ये रही शिक्षा

रविंद्र ने मजदूरी के साथ- साथ पढ़ाई की। पढ़ाई की बदौलत ही 2017 में जेई पीड्ब्लयूडी विभाग में नौकरी मिली। 2019 में मार्किंट बोर्ड पंचकूला में एसडीओ के पद पर एक महीने तक तैनात रहे। अब गुहला के राजकीय महाविद्यालय में इलैक्ट्रिक इंजीनियर में प्रोफेसर के पद पर सेवा दे रहे हैं।

रविंद्र बताते है कि उन्होंने नौंवी तक पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में की। इसके बाद नरड़ के निजी स्कूल में दसवीं व कैथल के डीएवी स्कूल में 11 वीं 12वीं में दाखिला लिया। पढ़ाई में मेरे परिवार ने पूरा सहयोग किया और इसके बाद एनआइटी कुरुक्षेत्र से बीटैक, पीइसी चंडीगढ़ से एमटैक की पढ़ाई पुरी की। इसी पथ पर चलते हुए गांव ग्योंग के रविंद्र ने सफलता हासिल की।

उन्होंने बताया कि नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई को जारी रखा और यूपीएससी का पेपर पास करने में लगा रहा। खाली समय मिलते ही मन में पढ़ाई करने की इच्छा रहती थी। नौकरी समय में भी उनके पास किताबें रहती थी। खाली समय को कभी बर्बाद नहीं होने दिया। पहला पेपर 2018 में दिया, जिसमें इंटरव्यू में रहा गया था। इसके बाद फिर 2019 में प्रयास किया प्री क्लीयर हो गया तथा मेन परीक्षा में रह गया और 2020 में यूपीएससी का पेपर दिया, जिसमें 695 रैंक हासिल हुआ है।

ये है परिवार की कहानी

रविंद्र बताते है कि पिता मदन लाल व माता कृष्णा देवी है। पिता शुगर मिल में वाटर मैन के पद कार्यरत है, जोकि सीजन में डयूटी करते है। माता गृहणी है। घर में एक छोटा भाई साहिल है जो बीए में कैथल में पढ़ाई करता है। वहीं एक बहन शालु है, जिनकी शादी हो चुकी है। वे बताते है कि बचपन में पिता के साथ मजदूरी की थी। उनके पास जमीन नहीं है और घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक ठाक सी है। परीक्षा की तैयारी करते समय कोरोना भी हो गया था। वहीं लिखित परीक्षा वाले दिन बुखार था, दवाई लेकर ही परीक्षा देने गए थे। क्योंकि मुख्य मकसद परीक्षा को पास करना ही था। रविंद्र का कहना है कि पढ़ाई आज के जीवन में बहुत जरूरी है। समस्याओं के साथ- साथ हमें लक्ष्य निर्धारित करके जीत हासिल की जा सकती है। शिक्षा प्राप्त करके हम सब कुछ हासिल कर सकते हैं।

जिला के उपायुक्त प्रदीप दहिया ने रविंद्र को दी बधाई

उपायुक्त प्रदीप दहिया ने यूपीएससी की परीक्षा पास करने पर रविंद्र को बधाई दी। उपायुक्त ने कहा कि जिला के युवाओं को रविंद्र से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिनकी सफलता के बीच में काफी बाधाएं आई, लेकिन उन्होंने सफलता हासिल की। यदि व्यक्ति अपने मन में कुछ करने का संकल्प लें और उस रास्ते पर डटकर चले तो उसे जीत हासिल हो जाती है। युवाओं को अच्छे दोस्त बनाने चाहिए और गलत दिशा में जाने से बचना चाहिए। युवा को पढ़ाई में रूचि रखनी चाहिए और समय की अहमियत समझनी चाहिए।

घर में बधाई देने वालों का लगा तांता

यूपीएससी में परीक्षा पास होने के बाद घर में ही नहीं ब्लकि गांव व जिला में खुशी का माहौल है। रिश्तेदारों के साथ- साथ शहरवासी, प्रशासन अधिकारी भी बधाई दे रहे है।


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