पानीपत में अमिताभ बच्चन की बागबान मूवी जैसी कहानी दोहराई, पढ़ें माता-पिता के साथ बेटे बहू ने क्या किया
हरियाणा में पानीपत में बागबान फिल्म जैसी कहानी दोहराई गई। पानीपत में एक पिता ने कहा बरसों बाद सुकून मिला। पिता ने अपने बेटे और बहू को माफ नहीं किया। प्रशासन ने भी पिता का साथ दिया। बेटे बहू को घर से निकाल दिया।
पानीपत, जागरण संवाददाता। बागबान फिल्म याद होगी आपको। बेटे अपने माता-पिता की सेवा करने के बजाय उन्हें ही अलग कर देते हैं। इसी तरह के हालात समाज में बनते जा रहे हैं। बेटे और बहू, प्रताडि़त करते हैं। घर पर कब्जा करना चाहते हैं। पर पानीपत के एक पिता ने बागबान फिल्म की तरह अपने बेटे को माफ नहीं किया। उसे घर से निकलवाने के लिए जिलाधीश के पास याचिका लगा दी। वहां से जीत मिली। प्रशासन ने उनके बेटे व बहू को घर से बेदखल करा दिया है। पिता मोहर सिंह ने जागरण से बातचीत में कहा, बरसों बाद सुकून मिला है। बेटा उनके साथ तो गलत व्यवहार करता ही था, मां के साथ भी गाली-गलौज करता।
सतकरतार कालोनी में रहने वाले मोहर सिंह बिजली निगम कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए। वह चतुर्थ श्रेणी कर्मी थे। उन्होंने अपनी कमाई से 230 गज का मकान बनाया। दोनों लड़कों व लड़कियों की शादी कराई। बड़ा बेटा तो घर से अलग होकर चला गया। मोहर सिंह ने बताया कि छोटा बेटा मकान हड़पने के लिए उन्हें प्रताडि़त करता। बहू भी तोडफ़ोड़ करती। यहां तक की उन्हें फंसाने के लिए गलत तरीके से मेडिकल कराने लगी। पुलिस जांच में सच सामने आ गया। इसके बावजूद उन्हें तंग करते रहते। आखिरकार उन्होंने इन्हें घर से बाहर निकालने के लिए डीसी के पास शिकायत दी। उनकी सुनवाई हुई। बेटा कहता रहा कि वह सेवा करेगा। लेकिन उस पर अब भरोसा नहीं था।
मां-पिता का ऋण नहीं उतार सकते
ड्यूटी मजिस्ट्रेट आइटीआइ के प्रिंसिपल डा.कृष्ण कुमार ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि घर खाली करा दिया गया है। अब अगर बेटे ने दोबारा परेशान किया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बुजुर्ग मां-पिता की सेवा करनी चाहिए। उनका ऋण नहीं उतारा जा सकता। समाज में नैतिक मूल्य खत्म होते जा रहे हैं।
बुजुर्गों को मिला है अधिकार, यह है कानून
अगर बच्चे अपने माता-पिता को परेशान करते हैं, माता-पिता के पास अधिकार है कि वे उन्हें अपने घर से बाहर कर दें। जबरन कब्जा होता है तो जिलाधीश के पास याचिका लगाकर न्याय हासिल किया जा सकता है। माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत वृद्धजन को उन्हें अधिकार मिलते हैं।
1- अगर बुजुर्गों के पास आय का जरिया नहीं है तो वयस्क बच्चों से भरण पोषण प्राप्त कर सकते हैं।
2- अगर संपत्ति पर उनका स्वामित्व है तो अपने घर से बच्चों को निकाल सकते हैं।
3- दोषी सिद्ध होने पर पांच हजार रुपये जुर्माना, तीन महीने की सजा हो सकती है।
4- भरण पोषण के लिए दस हजार रुपये प्रति माह तक देने का आदेश दिया जा सकता है।