बढ़ेंगे रोजगार तो दौड़ेगा विकास
12 मार्च को प्रदेश का बजट पेश किया जाएगा। बजट को लेकर शहर के व्यापारियों और उद्यमियों को काफी उम्मीदें हैं।
जागरण संवाददाता, पानीपत :
12 मार्च को प्रदेश का बजट पेश किया जाएगा। बजट को लेकर शहर के व्यापारियों और उद्यमियों को काफी उम्मीदें हैं। बजट से पहले नई इंडस्ट्रियल पालिसी घोषित की जा चुकी है। सू्क्ष्म, लघु मध्यम दर्जे के उद्योगों (एमएसएमई) के विकास के लिए अलग से विभाग बनाया गया है। आने वाले बजट के लिए बड़े औद्योगिक संगठनों से भी रायशुमारी की जा चुकी है। कारोबारियों को उम्मीद है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अलग से बजट मिलेगा। बजट को लेकर सेक्टर 29 स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में टेक्सटाइल उद्यमियों, निर्यातकों सहित हरियाणा चैंबर आफ कामर्स के पदाधिकारियों से विमर्श किया है।
उद्यमियों ने मांगा मनोहर बजट
1- उद्योग लगाने के जमीन मिलनी चाहिए। उद्योग के लिए मिली जमीन की बार-बार खरीद-बिक्री नहीं होनी चाहिए।
2- किसानों को औद्योगिक क्षेत्र काटने के लिए सरकार अनुमति दे ताकि जमीन लीज पर देने से किसानों की आय बढ़े और उद्यमियों को नया उद्योग लगाने का अवसर मिले।
3- व्यापारी कल्याण बोर्ड को सक्रिय करें, बजट में प्रावधान हो, इसके माध्यम से काम हों
4- व्यापारियों को पेंशन के लिए व्यापारी कल्याण कोष की स्थापना की जाए
5- लेबर को प्रशिक्षित करने के लिए जो जरूरत यहां के उद्योगों को है, उसके मुताबिक प्रशिक्षण केंद्र खोला जाए
6- जीएसटी का रिफंड आटोमैटिक खाते में आना चाहिए। उद्योग व्यापार के लिए सुरक्षा की गारंटी उपलब्ध हो।
7- आपदा में उद्यमी का नुकसान होने पर सरकार भरपाई करे, रिटायरमेंट पर उद्यमियों को पेंशन मिले
8- निर्यातकों को पहले भाड़ा सब्सिडी मिलती थी, ये राशि घटा दी है, महंगाई को देखते हुए इसे बढ़ाया जाना चाहिए
9- उद्योगों में 75 फीसद आरक्षण के कानून को रद किया जाए
10- टेक्सटाइल पालिसी लागू हो, गैस पर सब्सिडी मिले जीएसटी की दरें बराबर हों : रोशनलाल गुप्ता
हरियाणा व्यापार मंडल के प्रदेश प्रधान रोशन लाल गुप्ता ने कहा के निजी उद्योगों में 75 प्रतिशत वर्कर प्रदेश से के लगाने संबंधी कानून को रद किया जाना चाहिए। हरियाणा में तो फसल तक अन्य प्रदेशों के श्रमिक काटते हैं। ऐसे में बाहर के कर्मचारियों को नहीं लगाने से उद्योग धंधे बर्बाद होना तय है। प्राकृतिक आपदा अथवा आग आदि लगने से होने वाले दुकानदार के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने बीमा योजना कवर दिया था। पिछले दो वर्षों से सरकार ने किस्त नहीं दी। ऐसा लगता है कि अब कवर नहीं मिलेगा। 44 करोड़ की किस्त अदा की गई है। उसका आधा भी क्लेम नहीं मिला। इस तरह के कार्यों की जिम्मेवारी व्यापारिक संगठनों की दी जानी चाहिए। तैयार कपड़े पर 12 प्रतिशत यार्न पर 5 प्रतिशत जीएसटी लागू है। जीएसटी की दरें बराबर होने चाहिए। इससे सरकार को टैक्स अधिक मिलेगा। चेंज आफ लैंड की प्रक्रिया सरल की जाए : सुरेश काबरा
यार्न कारोबारी सुरेश काबरा ने कहा कि चेंज आफ लैंड (सीएलयू) की प्रक्रिया आसान की जाए। पानीपत टेक्सटाइल हब है। 75 प्रतिशत स्थानीय लेबर लगाने का जो कानून बनाया गया है, वो ठीक नहीं। उद्योग की जरूरत के मुताबिक प्रशिक्षित करने का काम भी सरकार करे। यहां पूरा उद्योग उप्र, बिहार की लेबर पर निर्भर है। पेंशन योजना का वायदा मुख्यमंत्री ने किया लागू नहीं हुआ : ललित गोयल
आटोमोबाइल कारोबारी व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष ललित गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कारोबारियों को पेंशन देने की योजना लागू करने का आश्वासन दिया था। इसे शुरू किया जाए। पेंशन देने का प्रविधान होने से व्यापारी अधिक आयकर अदा करेगा। व्यापारी कल्याण बोर्ड जोर शोर से बनाया गया लेकिन वह काम नहीं कर रहा। हर जिले में व्यापारी कल्याण बोर्ड होना चाहिए।
बजट घोषणा की समीक्षा भी हो : चुघ
स्माल स्केल इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रधान राकेश चुघ ने कहा कि पिछले बजट में जो घोषणा की गई थी, वो ही लागू हुई या नहीं। आगे दौड़ और पीछे छोड़ वाली कहानी से बचना होगा। इसके लिए एक आयोग अथवा कमीशन बैठाया जाए। ये कमीशन यह जानकारी ले कि पिछले बजट की घोषणाओं का कितना लाभ दिया गया है।
निर्यातकों को फ्रेट सब्सिडी दी जाए : विनीत शर्मा
निर्यातक विनीत शर्मा ने कहा कि यहां के उद्यमियों ने अपनी मेहनत के बलबूते टेक्सटाइल उद्योग स्थापित किए। लाखों लोग को रोजगार मिला हुआ। सरकार यदि योगदान करे तो टेक्सटाइल निर्यात दोगुना हो सकता है। नए उद्योग लगाने पर तो सब्सिडी दी जा रही है। लेकिन वह भी आधी कर दी गई है। पुराने उद्योगों को फ्रेट सब्सिडी नहीं मिलती। पहले 20 लाख तक सब्सिडी मिलती थी। उसे राज्य सरकार बजट में दोबारा शुरु करनी चाहिए। पेट्रोल डीजल बढ़ने, यार्न के भाव बढ़ने के साथ ही रिफंड देरी से मिलने से पूंजी फंस जाती है। विदेशों से कैसे प्रतिस्पर्धा में टिक सकेंगे। सरकार निजी उद्योगों में 75 प्रतिशत का आरक्षण तो कर रही है। इससे निर्यातकों को गुणवत्ता प्रभावित होने का खतरा बन गया है। उद्योगों की जरूरत के मुताबिक ट्रेनिग सेंटर खोलकर प्रशिक्षित लेबर उपलब्ध करवाई जाए। बुनकर केंद्र में कारीगरों को प्रशिक्षण मिलता था। वहां नए-नए डिजाइन बनते थे उनकी आज भी निर्यातकों को जरूरत है। प्रशिक्षित कारीगर एक दिन में 800 रुपये कमा लेता है। बुनकर केंद्र में प्रशिक्षण की सुविधाएं दी जाए।
उद्योग लगाने हो रहे मुश्किल : खंडेलवाल
हरियाणा चैंबर आफ कामर्स के पानीपत चैप्टर के चेयरमैन विनोद खंडेलवाल ने कहा कि महंगी जमीन और विभागों की अनुमति, सीएलयू, एनओसी लेने में लालफीताशाही के चलते नए उद्योग नहीं आ रहे हैं। साथ लगते उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं निवेशकों से बात करते हैं। वहां अधिकारी स्वयं एनओसी, अनुमति, लाइसेंस आदि देने आते हैं। उद्योग प्रशिक्षित लेबर के लिए जूझ रहे हैं। 1992 से पहले हम बुनकर केंद्र में मुख्य में धागा देकर युवाओं को बुनकर का प्रशिक्षण दिलाते है। अनेक बच्चे बुनकर केंद्र से सीख कर अपना करियर बनाकर सफल हुए हैं। वर्तमान में बुनकर केंद्र में कोई सुविधा नहीं मिल रही। औद्योगिक सेक्टर 20 साल से नहीं कट रहा। उद्योगों के विकास के लिए टैक्स घटाया जाए, रिफंड पालिसी समाप्त हो। 2016 में टेक्सटाइल पालिसी बनी आज तक भी लागू नहीं की गई। उद्योग विभाग ने बाहरी क्षेत्र में लगी 75 प्रतिशत क्षेत्र वाले उद्योगों को नियमित करने का फैसला भी लागू नहीं किया। इंफ्रास्ट्रक्चर की पानीपत के उद्योगों को जरूरत : भाटिया
उद्यमी राकेश भाटिया ने कहा कि यहां के उद्योगों को मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। गुजरात के अहमदाबाद, सूरत के बाद पानीपत टेक्सटाइल हब बनता जा रहा है। प्रदेश सरकार दबाव में काम कर रही है। बजट में उद्योगों के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के बजट दिया जाए। मथुरा और आगरा की तरह गैस में सब्सिडी मिले : भीम राणा
पानीपत डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीमा राणा का कहना है कि 27 नवंबर के बाद गैस से उद्योग चलाने की पालिसी बनाई गई है। नए उद्योगों को गैस पर चलाने पर ही अनुमति मिल रही है। एनसीआर में 65 प्रतिशत हरियाणा का हिस्सा शामिल है। गैस से उद्योग चलाने की शर्त लगने के कारण उद्योग पलायन कर सकते हैं। डाइंग और प्रिटिग पर ही शहर का टेक्सटाइल उद्योग निर्भर करता है। इनके पलायन से टेक्सटाइल उद्योग ठप होगा। टेक्सटाइल पालिसी भी धरातल में लागू नहीं है। गैस के लिए बजट में सब्सिडी का प्रावधान किया जाए। औद्योगिक सेक्टर में एन्हांसमेंट की समस्या का हल नही किया जा रहा। एन्हासमेंट की गणना दोबारा की जाए। एसटीपी का साफ पानी उद्योगों को देने के लिए पिछले बजट में प्रावधान किया गया था, लेकिन उद्योगों को साफ पानी देने के स्थान पर नाले में बहाया जा रहा है।