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श्रीराम कथा आत्मसात करने से दूर होती है व्यथा : पंडित कुलदीप

सेक्टर-25 स्थित आर्य एंक्लेव में शुक्रवार को आठ दिवसीय श्रीराम कथा का शुभारंभ किया गया। आर्य सुरेश मलिक के निवास पर आयोजित कथा के प्रथम दिन देवऋषि नारद और महर्षि वाल्मीकि संवाद का सुंदर वर्णन किया गया। कथा वाचक बिजनौर से पहुंचे पंडित कुलदीप आर्य ने कहा कि श्रीराम कथा सुनने और आत्मसात करने से परिवारों की व्यथा समाप्त होती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 08:36 AM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 08:36 AM (IST)
श्रीराम कथा आत्मसात करने से दूर होती है व्यथा : पंडित कुलदीप
श्रीराम कथा आत्मसात करने से दूर होती है व्यथा : पंडित कुलदीप

जासं, पानीपत : सेक्टर-25 स्थित आर्य एंक्लेव में शुक्रवार को आठ दिवसीय श्रीराम कथा का शुभारंभ किया गया। आर्य सुरेश मलिक के निवास पर आयोजित कथा के प्रथम दिन देवऋषि नारद और महर्षि वाल्मीकि संवाद का सुंदर वर्णन किया गया। बिजनौर से कथा सुनाने आए पंडित कुलदीप आर्य ने कहा कि श्रीराम कथा सुनने और आत्मसात करने से परिवारों की व्यथा समाप्त होती है। श्रीराम का जीवन मर्यादित जीवन है। किसी भी परिस्थिति में श्रीराम धर्म का उल्लंघन नहीं करते हैं। देवर्षि नारद और महर्षि वाल्मीकि संवाद का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि एक दिन महर्षि वाल्मीकि ने नारद से पूछा कि मुझे ऐसे श्रेष्ठ मानव की चर्चा सुननी है जो धर्मज्य, नितिज्य व सत्यवृत्त धारी हो। जिसे देख दानव थरथर कांपते हों तथा मानव आनंदित होते हों। इस संवाद के बाद वाल्मीकि ने कथा लिखी जिसे वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है।

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