राजधानी-शताब्दी समेत 84 ट्रेनों की स्पीड होगी 130 KM प्रतिघंटा, रेल मंत्रालय दी स्पीड बढ़ाने को हरी झंडी
भारतीय रेलवे शताब्दी व राजधानी सहित 84 रेलगाडिय़ों की स्पीड 130 किमी (किलोमीटर) प्रति घंटा करने जा रहा है। रेल मंत्रालय ने ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है। इसी माह यह ट्रेनें नई स्पीड से दौड़ेंगी।
अंबाला [दीपक बहल]। भारतीय रेल यात्रियों की सुविधा बढ़ाने और सफर को घटाने के लिए करीब 84 रेलगाडिय़ों की स्पीड 130 किमी (किलोमीटर) प्रति घंटा करने जा रहा है। रेल मंत्रालय ने ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है। इसी माह यह ट्रेनें नई स्पीड से दौड़ेंगी। नई दिल्ली से लुधियाना तक का ट्रैक 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ाने के लिए फिट करार दिया है। कमिश्नर रेलवे आफ सेफ्टी (सीआरएस) ने भी इस रूट पर ट्रेन को दौड़ाकर ट्रायल कर लिया है, जो सफल रहा है। कुछ खामियां मिलीं थीं, जिनको दूर करने के लिए अंबाला मंडल को दिशा निर्देश दे दिए गए थे।
उत्तर रेलवे सोमवार को स्पीड बढ़ाने के लिखित आदेश जारी कर दिए हैं। इसका सीधा असर नई दिल्ली से कटरा के बीच दौड़ रही राजधानी, शताब्दी, सुपरफास्ट और अन्य ट्रेनों पर पड़ेगा। इसके अलावा दूसरे चरण में नई दिल्ली से चंडीगढ़ और चंडीगढ़ से जालंधर सिटी तक ट्रेनों की स्पीड 130 किमी प्रतिघंटा करने का प्रस्ताव है।
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उत्तर रेलवे के अलावा भी निजामद्दीन से चेन्नई के बीच 2164 किमी का सफर कम करने के लिए 1458 किमी पर काम किया जा चुका है, जबकि 706 किमी पर काम किया जा रहा है। इसी प्रकार मुंबई से हावड़ा के बीच में 1965 किमी में से 764 किमी पर काम पूरा हो चुका है, हावड़ा से चेन्नई के बीच 1652 किमी में से 397 किमी पर काम पूरा हो गया है, मुंबई से चेन्नई के बीच 1276 किमी से 536 किमी पर काम किया जा चुका है। इन सभी पर दिसंबर 2021 तक काम पूरा करने का टारगेट रखा गया है।
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बढ़ेगी रफ्तार को टाइम टेबल में भी होगा बदलाव
नई दिल्ली से लुधियाना के बीच दौड़ने वाली लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) डिब्बों वाली गाड़ी को चिन्हित किया जाएगा। इन्हीं गाड़ियों को ही 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ना है। संभावना है कि जुलाई में रेलवे का नया टाइम टेबल आ रहा है। इस टाइम टेबल में दिल्ली से कटरा के बीच दौड़ रही ट्रेनों के टाइम में बदलाव होगा और सफर भी पहले की तुलना में कम होगा।
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यह है एलएचबी कोच की खासियत
एलएचबी कोच की खासियत के कारण ही ट्रेनों की स्पीड में बढ़ोतरी होगी। यह कोच पारंपरिक कोच की तुलना में डेढ़ मीटर लंबे होते हैं, जिसके कारण इन में सीटों की संख्या बढऩे के साथ-साथ ज्यादा यात्री बैठ सकते हैं। यह कोच इस तरह से बनाए जाते हैं कि हादसों में इनको काफी कम क्षति पहुंचती है, जिससे जान और माल का नुकसान कम होता है। इसी तरह पारंपरिक कोच की तुलना में इनकी लाइफ ज्यादा होती है।