सिविल अस्पताल में मिर्गी-एनिमिया पीड़ित बच्चों का हर बुधवार विशेष चेकअप
मिर्गी एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। मरीज के दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं। इससे मरीज को झटके से महसूस होते हैं वह जमीन पर गिर जाता है दांत भिच जाते हैं। मरीज कुछ देर के लिए बेहोश हो जाता है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सिविल अस्पताल में रोजाना पांच-छह बच्चे मिर्गी के इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। एनिमिया पीड़ित बच्चों की संख्या इससे कहीं अधिक है। अस्पताल प्रशासन ने अब हर बुधवार को बाल रोग ओपीडी में सुबह नौ से 11 बजे तक विशेष जांच का निर्णय लिया है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निहारिका ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि मिर्गी एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। मरीज के दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं। इससे मरीज को झटके से महसूस होते हैं, वह जमीन पर गिर जाता है, दांत भिच जाते हैं। मरीज कुछ देर के लिए बेहोश हो जाता है। यूं तो हर आयु वर्ग में मिर्गी के मरीज हैं, लेकिन बाल रोगियों की बढ़ती संख्या चिता का कारण है।
डॉ. निहारिका ने बताया कि दिमाग में टेपवर्म (कीड़ा) चला जाना, जेनेटिक, जन्म के समय बच्चे को पीलिया होना, संक्रमण के कारण ऑक्सीजन नहीं मिलना, गर्भस्थ शिशु को चोट लगना और कैल्शियम-सोडियम की कमी के कारण भी बच्चों में दौरा पड़ सकता है।
डॉ. निहारिका के मुताबिक मिर्गी चार तरह की होती है, इसका जांच के बाद ही पता चलता है। सिविल अस्पताल में इलाज संभव है। एमआरआइ भी सस्ती दरों पर कराई जा सकती है। मिर्गी के लक्षण
-आंखों के आगे अंधेरा छाना।
-शरीर का अकड़ जाना।
-दांत भिंच जाना।
-मुंह से झाग आना।
-अचानक गिर जाना।
-बेहोश होना।
-आंखों की पुतलियां ऊपर खिचना।
-हाथ-पैर का लगातार चलना या झटके से लगना। रनिग में नहीं, दान में मिली सी-पेप मशीन
इनरव्हील क्लब पानीपत की अध्यक्ष हर्ष नागपाल सहित पांच लोगों ने सिक न्यू बोर्न चाइल्ड केयर यूनिट (एसएनसीयू) को करीब एक लाख रुपये कीमत की सी-पेप मशीन 15 मई को दान दी थी। एसएनसीयू में भर्ती नवजातों के फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में मशीन का इस्तेमाल होना था। दो माह बाद भी मशीन रनिग में नहीं आ सकी है। बताया गया है कि कनेक्टर नहीं मिलने के कारण यह स्थिति बनी है।