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बताते हैं जिन्हें देश का भविष्य, उनकी रक्षा में समाज-सरकार नाकाम Panipat News

बच्‍चों के लिए सुरक्षा नाकाफी साबित हो रही है। ये हम नहीं बल्कि उनके प्रति बढ़ रहे अपराध का रिकॉर्ड कह रहा है। पढि़ए बच्‍चों पर बढ़ते अपराधों का ब्‍योरा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 25 Dec 2019 12:41 PM (IST)Updated: Wed, 25 Dec 2019 12:43 PM (IST)
बताते हैं जिन्हें देश का भविष्य, उनकी रक्षा में समाज-सरकार नाकाम Panipat News
बताते हैं जिन्हें देश का भविष्य, उनकी रक्षा में समाज-सरकार नाकाम Panipat News

पानीपत, जेएनएन। बच्चे मन के सच्चे, सबकी आंख के तारे..बाल दिवस हो, स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम हों। यह गीत सुनाई पड़ेगा। बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है, इसके बावजूद प्रशासन और समाज इनकी रक्षा में नाकाम हैं। बच्चों के हित में महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण कमेटी, पुलिस-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समाज काम कर रहे हैं। फ्लाईओवर के पिलर, लघु सचिवालय की दीवारें बच्चों की सुरक्षा के स्लोगनों से पुती हैं। इसके बावजूद बच्चों पर अत्याचार रुक नहीं रहे हैं। घर लौटने तक अभिभावकों को चिंता रहती है। बाल कल्याण समिति से तीन तिमाही (जनवरी से मार्च, अप्रैल से जून, जुलाई से सितंबर) की रिपोर्ट तो कुछ यह ही बयां कर रही है।

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बाल श्रम अधिनियम

बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986 है। इसमें उल्लेख है कि किस आयु के बच्चे से किस स्थिति में और क्या काम लिया जा सकता है। 14 साल की आयु से कम बच्चों से श्रम नहीं करा सकते।

बाल तस्करी

18 साल से कम उम्र के लड़का-लड़की को देश के भीतर या बाहर शोषण के उद्देश्य से भर्ती, परिवहन, स्थानांतरित या आश्रय प्रदान किया जाता है तो यह बाल तस्करी के अपराध के अंतर्गत आता है।

किशोर न्याय अधिनियम

बच्चों की देखभाल और संरक्षण अधिनियम-2000 को वर्ष 2006 और 2010 में संशोधित किया गया। 2015 में संसद के दोनों सदनों में संसोधन बिल पास हुआ। किशोर की अधिकतम उम्र 16 वर्ष की गई।

पोक्सो एक्ट-2012

यह अधिनियम 14 नवंबर 2012 में प्रभाव में आया। इसमें यौन उत्पीड़न अश्लील हरकत, लैंगिक हमला आदि केस आते हैं।

बाल विवाह निषेध अधिनियम

18 से कम उम्र में लड़की, 21 से कम उम्र में लड़के की शादी करना जुर्म है। माता-पिता व अन्य को दो साल सजा और एक लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है।

शिक्षा का अधिकार

68 वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा अनुच्छेद 21-ए को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया है। 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था है।

  • ये भी जानें 
  • 14 को बाल वधू बनने से बचाया
  • 90 केस पोक्स एक्ट के आए
  • 60 केस बाल शोषण के आए
  • 45 महीने में 423 मामले बाल कल्याण समिति में पहुंचे
  • 37 मामले गुमशुदगी के थानों में दर्ज  
  • ये काम के हेल्‍पलाइन नंबर
  • 1098 चाइल्ड हेल्प लाइन
  • 1091 महिला हेल्प लाइन
  • 181 महिला एवं बाल विकास विभाग
  • 100 पुलिस कंट्रोल रूम

बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और सेहत की जिम्मेदारी सरकार और समाज की समान रूप से हैं। माता-पिता अपने बच्चों का ख्याल रखें,यह उनकी ड्यूटी है। संबंधित विभागों के अधिकारियों को अधिक संवेदनशील बनना होगा। सभी विभागों की सामूहिक मासिक बैठक, ऑनलाइन डाटा अपलोड होना बहुत आवश्यक है। बच्चों के हित में बने कानूनों का प्रचार-प्रसार हो।

-डॉ. मुकेश आर्य, सदस्य-बाल कल्याण समिति


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