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वातावरण में नमी के साथ स्माग है सेहत के लिए खतरा

सर्दी की दस्तक के साथ वातावरण में नमी धुंध के रूप में प्रदूषण (स्माग) की परत सेहत को नुकसान देने वाली है। उच्च रक्तचाप के मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) व दमा रोगियों को हार्ट अटैक का खतरा रहता है। गर्भवती के लिए स्माग घातक है। इसके अलावा आंखों में जलन होने लगती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Nov 2021 07:25 PM (IST)Updated: Sun, 07 Nov 2021 07:25 PM (IST)
वातावरण में नमी के साथ स्माग है सेहत के लिए खतरा
वातावरण में नमी के साथ स्माग है सेहत के लिए खतरा

जागरण संवाददाता, पानीपत : सर्दी की दस्तक के साथ वातावरण में नमी, धुंध के रूप में प्रदूषण (स्माग) की परत सेहत को नुकसान देने वाली है। उच्च रक्तचाप के मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) व दमा रोगियों को हार्ट अटैक का खतरा रहता है। गर्भवती के लिए स्माग घातक है। इसके अलावा आंखों में जलन होने लगती है। आगामी दिनों में सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या वृद्धि तय है।

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दरअसल, स्माग शब्द स्मोक और फाग से मिल कर बना है। कई तरह की खतरनाक गैस व धुंआ वातावरण की नमी (कोहरा) से मिलती हैं तो स्माग बनता है। यह जहरीला मिश्रण श्वास के जरिए आंखों और फेफड़ों तक पहुंचता है। स्माग कई मायनों में स्मोक और फाग से ज्यादा खतरनाक है। सिविल अस्पताल के प्रिसिपल मेडिकल आफिसर एवं फिजिशियन डा. संजीव ग्रोवर ने बताया कि स्माग शहर-गांव वासियों के लिए कुछ वर्षों से बड़ा खतरा बना हुआ है।

वाहनों और कारखानों से निकलने वाले प्रदूषण के कारण स्माग का स्तर हर साल बढ़ता ही जा रहा है। बीमार लोगों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को ऐसे मौसम में घर से बाहर बहुत कम निकलना चाहिए। अति आवश्यक कार्य से बाहर निकलना पड़े तो मास्क जरूर पहनें। आंखों के बचाव के लिए चश्मा पहन सकते हैं। स्माग से होने वाली दिक्कतें

-खांसी, श्वास लेने में तकलीफ।

-आंखों में जलन।

-सीने में दर्द की शिकायत।

-त्वचा संबंधी बीमारियां।

-नाक, कान, गला, फेफड़े में इंफेक्शन।

-रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। स्माग से बचाव का तरीका

-प्रदूषित वातावरण में योग-व्यायाम न करें।

-घर में एयर प्यूरीफायर लगवाएं।

-घर से बाहर निकलें तो मुहं पर मास्क लगाएं।

-दिन में तकरीबन 3-4 लीटर पानी पिएं।

-घर पहुंचने पर गुनगुने पानी से चेहरा धोएं।

-श्वास लेने में दिक्कत है तो गर्म पानी की भाप लें।

-अस्थमा-दिल के मरीज समय पर मेडिसिन लें।

-इनहेलर हमेशा साथ रखें।

-तुलसी, अदरख की चाय का सेवन करें।

-दरवाजे-खिड़कियां बंद रखें ताकि धुंध कमरों में न पहुंचे।


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