Move to Jagran APP

चरक संहिता से कोरोना को मिलेगी मात, शोध के लिए साथ आए दो बड़े संस्‍थान

कोरोना वायरस पर कितनी कारगर है महासुदर्शन गिलोय घनवटी। इसके लिए एसकेएयू व हिसार का नेशनल रिसर्च सेंटर शोध करेगा। दोनों संस्‍थानों के बीच एमओयू साइन हुआ है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 02:25 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 02:25 PM (IST)
चरक संहिता से कोरोना को मिलेगी मात, शोध के लिए साथ आए दो बड़े संस्‍थान
चरक संहिता से कोरोना को मिलेगी मात, शोध के लिए साथ आए दो बड़े संस्‍थान

पानीपत/कुरुक्षेत्र, [विनीश गौड़]। देश विदेश के साइंटिस्ट कोरोना वायरस की दवा ढूंढने में लगे हुए हैं। विश्व का कोई देश इसकी दवा बनाने के नजदीक पहुंचने का दम भर रहा है तो कोई इस संक्रमण में दूसरी बीमारियों की दवा देने पर अच्छे परिणाम आने की बात कह रहा है। ऐसे में श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय ने हिसार स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर हजारों वर्ष पुरानी चरक संहिता में लिखी गुणकारी रहस्यों वाली दवाओं पर शोध करने की तैयारी कर ली है।

prime article banner

कोरोना वायरस से बचाव के लिए इम्युनिटी बढ़ाने में दी जा रही महासुदर्शन घनवटी, गिलोय घनवटी और षडंग दवा कोरोना वायरस को हराने में कितनी कारगर है इस पर अब शोध होगा। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय ने नेशनल रिसर्च सेंटर इक्वाइन हिसार के साथ एमओयू साइन किया है। जिसमें कोरोना से बचाव के लिए दी जा रही इस दवा का शोध होगा कि यह दवा कोरोना संक्रमण से पीडि़त मरीज पर कितनी काम करती है। 

श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बलदेव कुमार व हिसार स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर इक्वाइन के डायरेक्टर डा. बलदेव राज गुलाटी के मध्य एक एमओयू किया गया है। डा. बलदेव कुमार ने बताया कि दोनों संस्थानों के वैज्ञानिक आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से वायरस और बैक्टीरियाजनित बीमारियों के उपचार पर संयुक्त रूप से शोध कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब तक आयुर्वेदिक दवाओं को चरक संहिता में लिखे गए वर्णन के मुताबिक ही मरीजों को दिया जाता रहा है, लेकिन कोरोना जैसे वायरस पर यह प्राचीनतम दवाएं किस तरह से कारगर है। इस तरह की रिसर्च करना बहुत जरूरी है। इसी को सोचते हुए आयुष विश्वविद्यालय द्वारा कोरोना वायरस के उपचार के लिए दी जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों को आईसीएआर की वीरोलॉजी लैब में टेस्ट किया जाएगा व उसका वैज्ञानिक आधार भी देखा जाएगा। 

श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के रिसर्च वैज्ञानिक डा. रजनीकांत शर्मा और वीरोलॉजी लैब के मुख्य वैज्ञानिक डा. नवीन कुमार ने कहा कि यह करार वर्तमान व भविष्य में होने वाले वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाले रोगों के उपचार पर आयुर्वेदिक चिकित्सा को विकसित करने में अहम भूमिका निभाएगा। आयुष विश्वविद्यालय के डीन डा. आशीष मेहता ने कहा की दोनों संस्थानों के वैज्ञानिक संयुक्त शोध के माध्यम से आयुर्वेदिक औषधियों की वैज्ञानिक प्रमाणिकता को दुनिया के सामने लेकर आएंगे। इस अवसर पर वैज्ञानिक डा. बलविंदर कुमार और डा. राजेंद्र कुमार भी मौजूद रहे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK