पानीपत जिले की छह फीसद आबादी को बहरेपन की समस्या
नाक-कान-गला ओपीडी में मंगलवार को 110 मरीज पहुंचे इनमें 60 कान की समस्या से पीड़ित रहे। 15 मरीज ऐसे निकले जिन्हें हियरिग मशीन की जरूरत थी।
जागरण संवाददाता, पानीपत : हियरिग केयर फार आल-जांच-पुनर्वास-संवाद...इसी थीम पर बुधवार को सिविल अस्पताल में विश्व श्रवण दिवस मनाया। नाक-कान-गला विशेषज्ञ डा. शिवांजलि ने बताया कि जिले की करीब छह फीसद आबादी को आंशिक या पूरी तरह बहरेपन की समस्या है। इनमें बुजुर्ग, सड़कों-फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर और ट्रैफिक पुलिसकर्मी-होमगार्ड्स अधिक हैं।
नाक-कान-गला ओपीडी में मंगलवार को 110 मरीज पहुंचे, इनमें 60 कान की समस्या से पीड़ित रहे। 15 मरीज ऐसे निकले, जिन्हें हियरिग मशीन की जरूरत थी। जनसेवा दल ने प्राथमिकता के आधार पर पांच मरीजों को मशीन मुहैया कराई। डा. शिवांजलि ने बताया कि वाहनों, डीजे, कारखानों का शोरगुल के कारण शहर आवाजों का जंगल बन गए हैं। ईयरफोन भी कानों को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं। मनुष्य के कानों के लिए 60-65 डेसिबल आवाज उपयुक्त है। करीब 90 डेसिबल आवाज को सहन कर लेते हैं। इससे अधिक शोरगुल कानों को नुकसान पहुंचाता है।
उन्होंने कहा कि गर्भकाल के दौरान महिला को किसी दवा के प्रतिकूल असर का प्रभाव शिशु पर पड़ता है। पीलिया होने से भी नवजात बहरेपन की समस्या से ग्रस्त हो जाता है। कान बहने, इंफेक्शन के कारण भी सुनने की क्षमता का नुकसान होता है।
विश्व श्रवण दिवस पर अस्पताल के ओपीडी ब्लाक में मरीजों-तीमारदारों को जागरूक भी किया गया। इस मौके पर सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा, प्रिसिपल मेडिकल आफिसर डा. जितेंद्र कादियान, डिप्टी सिविल सर्जन डा. शशि गर्ग, डा. आलोक जैन मौजूद रहे। इन बातों का रखें ध्यान
-शोरगुल वाले स्थान पर ईयर प्लग लगाएं।
-हेडफोन-ईयरफोन का इस्तेमाल बहुत कम करें।
-संगीत सुनते समय वॉल्यूम हमेशा मीडियम या उससे नीचे रखें। सुनने की क्षमता को दो तरह से नुकसान
सुनने की क्षमता को दो तरह से नुकसान पहुंचता है। कंडक्टिव हियरिग लास कान की बाहरी और बीच के हिस्से में किसी समस्या से होता है। सेंसरीन्यूरल लास कान के अंदरूनी हिस्से में आई किसी गड़बड़ी की वजह से होता है। कान में 15 हजार विशेष श्रवण सेल्स होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ सेल्स नष्ट होने लगते हैं। बुजुर्गो को इसलिए कम सुनाई देता है।