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मिर्जापुर के कालीन भैया और पानीपत का कालीन, बर्फी में ही समानता है

पानीपत की सियासी मैदान में इस सप्‍ताह के चौके-छक्‍कों के बारे में जानिये। कौन आगे रहा किसने पीछे से छलांग लगाई। कालीन भैया और पानीपत का क्‍या है रिश्‍ता। पानीपत में भी हैं भाजपा के दामाद जी पर वो इतने भाग्‍यशाली नहीं हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 08:08 AM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 08:08 AM (IST)
मिर्जापुर के कालीन भैया और पानीपत का कालीन, बर्फी में ही समानता है
वेब सीरीज मिर्जापुर वाला कालीन भैया और पीछे दिख रहे असली वाले कालीन।

कालम स्ट्रेट ड्राइव : रवि धवन

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पानीपत लड़ाइयों के लिए ही नहीं, कालीन के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है। शुक्र है कि यहां कालीन तो है, लेकिन मिर्जापुर वाले कालीन भइया नहीं। यहां के कारोबारियों का कारोबार केवल कालीन का ही है और शांतिप्रिय है, कट्टे के कारोबार की बात तो दूर छूने से भी परहेज करते हैं। वैसे कालीन का कारोबार मिर्जापुर में नहीं, उससे सटे जिले ज्ञानपुर के भदोही कस्बे में होता है। ऐसे समझिए की क्रीज पर एक तरफ भदोही, दूसरी तरफ पानीपत। दोनों कि रनिंग बिटविन द विकेट शानदार है। और हां, ज्ञानपुर में भले ही अखंडानंद त्रिपाठी के मिर्जापुर में कुछ गुण हों, पर पानीपत में बिलकुल नहीं। यह बात अलग है कि अफीम, कालीन भइया की भाषा में बोलें तो बर्फी पानीपत सहित पूरे हरियाणा में आदिकाल से बिक रही है। पहले कानून से इजाजत लेकर बिकती थी, अब वैसे ही जैसे मिर्जापुर में बिकती आपने देखी है।

रस्म-ए-मुंह दिखाई की होड़

कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा को अपनी टीम का सलेक्शन करना है। कांग्रेसियों में मुंहदिखाई की रस्म की जोरदार प्रतिस्पर्धा चल रही है। अब टीम में सलेक्ट होना है तो कैप्टन मैडम को साधना ही पड़ेगा। अब वह कहावत है कि कैच लपको और मैच जीतो। सो, कांग्रेसी मैडम को कैच कर चेहरा दिखाने का मौका नहीं चूकते। एक दिन कुमारी सैलजा रोहतक जा रही थीं। रास्ते में धर्मपाल गुप्ता के पेट्रोल पंप पर रुकीं। वादों-गुटों को भुलाकर सारे कांग्रेसी पहुंच गए। बैटिंग का मौका मांगने। लेकिन मैडमजी ही मास्क में थीं, बाकी सब अपना चेहरा दिखाने के लिए एक-दूसरे के आगे आ रहे थे। सैलजा इन सभी को देखकर दंग रह गईं। एक कांग्रेसी नेता से नहीं रहा गया-बोले कोरोना का कहर बढ़ रहा है, पर मास्क लगाकर कोई नहीं आया। ये वे खिलाड़ी हैं जो हड़बड़ी में बिना हेलमेट लगाए-पैड बांधे, क्रीज पर पहुंचने को बेकरार हैं।

...तो क्या जन्मदिन पर याद बहाना था

पूर्व पार्षद हरीश शर्मा की खुदकुशी से तहसील टाउन में जो जगह खाली हुई है, वहां सियासी पकड़ बनाने के लिए कांग्रेस के नेता कोई मौका नहीं छोड़ रहे। किसी समय हुड्डा के साथ पानीपत की क्रीज पर जमे रहने वाले प्रेम सचदेवा फिर सक्रिय हो गए हैं। सार्वजनिक कार्यक्रमों में पहुंचने लगे हैं। कांग्रेसी तो हरीश की बेटी अंजली शर्मा से सांत्वना जाहिर करने के साथ कांग्रेस का हाथ थामने का भी इशारा कर जाते हैं। इस बीच, हरीश के जन्मदिवस 1 अप्रैल को विधायक प्रमोद विज उनके घर पहुंच गए। विज को अहसास है, हरीश के बिना तहसील टाउन को जीतना आसान नहीं। वादा किया था कि हरीश की मूर्ति लगवाएंगे। कांग्रेसी अब उसी मूर्ति को याद दिलाकर तहसील कैंप के गढ़ में हाथ बढ़ा रहे हैं। ये भी कहते हैं- हरीश के जन्मदिन पर घर जाना तो राजनीतिक कारण था। मूर्ति का वादा तो पूरा कर देते।

दामाद जी फिर आउट

पानीपत भाजपा में भी दामाद जी हैं। यह बात अलग है कि वह कांग्रेस वाले राष्ट्रीय दामाद जी जितने भाग्यशाली नहीं। जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में थे। इससे पहले कि क्रीज पर पहुंचते, रनआउट कर दिए गए। उन्हें भरोसा दिया गया था कि जैसे ही कोई लाभदायक मैच आएगा, हर हाल में मौका दिया जाएगा। मौका आया भी। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में नियुक्ति होनी थी। लग रहा था कि स्कोर कर जाएंगे। स्थानीय इकाई से उनका नाम भी भेजा भी गया। लेकिन ऊपर वाले चयनकर्ताओं ने सलेक्शन नहीं किया। जिला परिषद की चेयरपर्सन आशु के पति सत्यवान शेरा का नंबर लग गया। दरअसल, भाजपा को लगता है कि शहर में टीम मजबूत है। इसराना विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की टीम को सत्यवान संभाल सकते हैं। अब भाई बैटिंग तो उसीको मिलेगी, जिसके स्कोर करने पर सलेक्टर आश्वस्त होंगे। सो, सत्यवान शेर बनकर नई पारी के लिए मैदान में हैं।


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