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Kisan Andolan: रेल रोको आंदोलन की वजह से 30 ट्रेनें रद, 60 बीच में रोकी गईं, लाखों रेलवे यात्री हुए परेशान

हरियाणा पंजाब और उत्तर प्रदेश का कुछ एरिया में 150 लोकेशन पर बैठे आंदोलनकारी तीस ट्रेनें रद बीच में रोकी 60 ट्रेनें। आंदोलन पर बीच रास्ते में ट्रेनें रुकने पर रिफंड को लेकर भी यात्रियों को आती हैं मुश्किलें भरना पड़ता है टीडीआर।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 09:01 AM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 09:01 AM (IST)
Kisan Andolan: रेल रोको आंदोलन की वजह से 30 ट्रेनें रद, 60 बीच में रोकी गईं, लाखों रेलवे यात्री हुए परेशान
रेल रोको आंदोलन की वजह से पानीपत में खड़ी थी ट्रेन।

अंबाला, [दीपक बहल]। रेल हादसा हो या फिर रेलवे की गलती से ट्रेन रोकनी पड़े, तो इस में सफर कर रहे यात्रियों को उसके गंतव्य तक पहुंचाना रेलवे की जिम्मेदारी है। ऐसा न करने पर यात्रियों को पूरा रिफंड मिलता है, लेकिन जब आंदोलन के चलते ट्रेन रोक दी जाए, तो रेलवे भी हाथ खड़े कर देता है। सोमवार को रेल रोको आंदोलन से एक लाख से अधिक यात्रियों को दिक्कतों के साथ-साथ अपनी जेबें भी हल्की करनी पड़ीं।

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उत्तर रेलवे की बात करें, तो हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में डेढ़ सौ लोकेशन पर आंदोलनकारी पटरियों पर बैठे थे। ऐसे में 30 ट्रेनों को रद करना पड़ा, जबकि 60 ट्रेनों को विभिन्न स्टेशनों पर रोका गया। लेकिन बाद में इन ट्रेनों को रद करना पड़ा। इन साठ ट्रेनों में सफर कर रहे यात्रियों को अन्य वाहन की मदद से गंतव्य तक पहुंचना पड़ा। यदि यह यात्री रेलवे नियम के मुताबिक टिकट डिपाजिट रिफंड (टीडीआर) नहीं भरते, तो इन यात्रियों को बची यात्रा का रिफंड भी नहीं मिलेगा। रेलवे में नियम है कि ऐसे मामलों में तीस दिन तक यात्री टीडीआर भर सकता है, उसके बाद रिफंड दिए गए पते पर आ जाएगा। आनलाइन टिकट बुकिंग में यह सुविधा उपलब्ध है, लेकिन मात्र तीन दिन में टीडीआर भरना होगा और खाते में ही पैसे आएंगे।

इस तरह हुए यात्री परेशान

सुबह दस बजे से लेकर सायं चार बजे तक आंदोलनकारी रेल लाइनों पर बैठे। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 18 अक्टूबर को रेल रोका आंदोलन की घोषणा कर रखी थी। रेलवे का प्रयास यही था कि जितनी ट्रेनें निकाली जा सकें, उनको निकाला गया। साठ ट्रेनें स्टेशनों पर रोक दी गईं, लेकिन बाद में उनको रद करना पड़ गया। यदि यह ट्रेनें रेलवे की गलती से रुकी होती, तो यात्रियों को टिकट का पूरा रिफंड या फिर उनको रेलवे अपने खर्चे पर उनके गंतव्य तक पहुंचाता। हाल ही में कालका से शिमला के बीच रेल हादसा होने के बाद यात्रियों को बड़ोग स्टेशन से शिमला तक रेलवे ने अपने खर्चे पर पहुंचाया था। लेकिन इस बाद आंदोलन के चलते भले ही ट्रेनें रेलवे को रोकनी पड़ी, लेकिन यात्रियों को अपने खर्च पर गंतव्य तक जाना पड़ा। रेलवे को भी लाखों रुपयों का नुकसान हुआ है। पंजाब में लगातार कई महीने और अब दो बार रेल रोको आंदोलन के चलते यात्रियों को परेशान होना पड़ा। डीआरएम जीएम सिंह ने बताया कि रेलवे की गलती पर यात्री को गंतव्य तक पहुंचाना जिम्मेदारी होती है, लेकिन आंदोलनों पर ऐसा नहीं होता।

90 ट्रेनें हुईं प्रभावित : प्रवक्ता

उत्तर रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशन आफिसर दीपक कुमार ने बताया कि आंदोलन के चलते 90 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। साठ ट्रेनों को बीच स्टेशन पर रोकना पड़ा, जबकि तीस ट्रेनें पूरी तरह से रद रहीं।


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