गलत खान-पान व मानसिक बोझ बना रहा युवाओं को हृदय रोगी, ये सावधानियां बरतना बेहद जरूरी
अभिनेता सिद्धार्थ शुल्का के वीरवार को आकस्मिक निधन की खबर ने उनके प्रशंसकों को मायूस कर दिया। इतनी छोटी उम्र में हृदयघात से उनकी मौत की वजह से प्रशंसकों को गहरा धक्का लगा है। ऐसे में युवाओं में बढ़ते हृदय रोगों के प्रति सचेत होने की जरूरत है।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। बिग बास 13 के विजेता 40 वर्षीय अभिनेता सिद्धार्थ शुल्का के वीरवार को आकस्मिक निधन की खबर ने उनके प्रशंसकों को मायूस कर दिया। इतनी छोटी उम्र में हृदयघात से उनकी मौत की वजह से प्रशंसकों को गहरा धक्का लगा है। इसके साथ ही युवाओं में बढ़ते हृदय रोगों के प्रति सचेत होने की जरूरत है। भागदौड़ भरी जिंदगी में युवाओं को अपनी दिनचर्या व्यायाम और शारीरिक व्यायाम को बढ़ाने की जरूरत है। इसके साथ ही फास्टफूड से दूरी बरतनी होगी। क्योंकि गलत खान-पान, शारीरिक गतिविधि कम करने और मानसिक बोझ से विश्व में हृदयघात से मरने वाले मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।
भारत में तो अन्य देशों की तुलना में यह संख्या कहीं अधिक है। इससे भी अधिक चौकाने वाली बात यह है कि यह रोग अब वृद्धों तक सीमित न रहकर 20 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं को भी घेरने लगा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका कारण तेजी से बढ़ रही मधुमेह की बीमारी, अनियमित रक्तचाप और लोगों का रहन-सहन व खानपान है।
15 से 20 फीसद मरीज युवा : डा. कृष्ण
एलएनजेपी अस्पताल के छाती एवं हृदय रोग विशेषज्ञ डा. कृष्ण कुमार ने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण गलत खान-पान, शारीरिक गतिविधि कम करना और मानसिक बोझ है। इसलिए जहां पहले 45 वर्ष की आयु के बाद हृदय रोगी सामने आते थे वहीं अब किशोरावस्था व युवा अवस्था में भी इसके रोगी मिल रहे हैं। अगर 100 की ओपीडी है तो उसमें 15 से 20 युवा होते हैं, जो चिंता का विषय भी है।
मरीज को समय पर इलाज मिले तो बच सकती है जान : डा. सिंघल
सिंघल इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एंड सर्जिकल सुपर स्पेशलिटीज अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. मयंक सिंघल ने कहा कि हृदयघात होने पर सबसे जरूरी चीज मरीज को उपचार में मिलने वाला समय होता है, जितना ज्यादा समय उसे उपचार मिलने में लगेगा उसके शरीर के अंगों को होने वाले नुकसान का खतरा भी उतना ही बढ़ता जाएगा। इसलिए जरूरी है कि हृदयघात होने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता मिले। बहुत सी बार हृदयघात होने पर दर्द भी नहीं होता, जिसे साइलेंट हृदयघात बोला जाता है, इसके लिए जरूरी है कि लोग समय-समय पर ईसीजी व जरूरी टेस्ट करवाएं।
ये हैं लक्षण
-दर्द का कंधे, गर्दन और बाई भुजाओं तक जाना, यह दर्द हल्का या जोर से हो सकता है।
-असहज दबाव, छाती के बीचोबीच दर्द होना।
-इससे कड़ापन या भारीपन महसूस हो सकता है। यह सीने, पेट के ऊपरी भाग, गर्दन, जबड़े और भुजाओं में भीतर भी हो सकता है।
-बेचैनी या ज्यादा पसीना आना, उल्टी या दस्त होना।
क्या है कारण
हृदय एक मांसपेशी है, जो शरीर में रक्त को पंप करता है। ठीक से काम करने के लिए हृदय को पोषण मिलता है। यह हृदय के आसपास एक ताज की तरह रहता है। सीएडी का सबसे बड़ा कारण है, धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमा होना। इसके अलावा तनाव, मधुमेह, जीवन शैली में गड़बड़ी, खाने में गड़बड़ी, तंबाकू सेवन, व्यायाम नहीं करना या फिर क्रानिक होने पर भी तकलीफ दे सकती है।
ये है हृदयघात
धमनी में किसी भी तरह की रुकावट के कारण हृदय में रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है। इससे रक्त के थक्के जमने लगते हैं, इससे धमनियों में रुकावट आती है। नतीजतन हृदयघात होता है। इसे अक्यूट मायोकार्डियल इंफार्कशन होता है।