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शिव ही ऐसे देवता जिनके परिवार के हर सदस्य की पूजा का विधान : विजय कौशल

कथा सुनने आए शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा को इंगित करते हुए विजय कौशल ने कहा कि हरियाणा में अब दूध दही खाने वाली बात नहीं रही। हरियाणा का मतलब हरि आना है। जब भगवान कृष्ण युद्ध के बाद कुरुक्षेत्र से चले तो बड़े बूढ़ों ने कहा था हरि आना।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 10:50 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 06:31 AM (IST)
शिव ही ऐसे देवता जिनके परिवार के हर सदस्य की पूजा का विधान : विजय कौशल
शिव ही ऐसे देवता जिनके परिवार के हर सदस्य की पूजा का विधान : विजय कौशल

जागरण संवाददाता, पानीपत : 33 करोड़ देवी देवताओं में शिव ही ऐसे देवता हैं जिनके परिवार के सभी सदस्यों की पूजा होती है। भगवान शंकर की पत्नी पार्वती, पुत्र गणेश व कार्तिकेय की पूजा की जाती है। देवी मंदिर में शनिवार को शिव कथा सुनाते हुए यह बात विजय कौशल महाराज ने कही।

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कथा के दूसरे दिन शिव रूप का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि शिवजी अकेले देवता हैं जो शादी में भी एक ही वेशभूषा में पहुंचे। शिव जटाओं के रूप में दुनिया के जंजाल लिए हुए हैं। उनमें से भक्ति की गंगा बहती है। भगवान शिव ने शरीर पर जो राख लगाई है वह भभूती है। इसका अर्थ है कि मनुष्य को यह याद रहे कि उसका शरीर एक दिन अग्नि के हवाले होना है। ऐसे कर्म करके जाओ कि आपको भी भभूती की तर्ज पर लोग अपनी यादों में संजोए रखें। संतों की राख को ही समाधि में रखा जाता है। भगवान शिव ने महंगे कपड़ों के स्थान पर बाघ की खाल को पहना। बाघ जंगल का राजा है वह सब जीवों में सबसे अधिक संयम रखता है। भूख लगने पर ही शिकार करता है। जबकि मनुष्य का पेट कभी भरता ही नहीं। शिव की जटाओं में गंगा बहती जो शीतलता का प्रतीक है। योगी नहीं भोगी होना चाहिए

विजय कौशल महाराज ने कहा कि शिव के मुताबिक जीवन में भोगी नहीं योगी होना चाहिए। जटाओं में बहती गंगा भक्ति का प्रतीक है। अर्थात विचारों में भक्ति भाव होना चाहिए। शंकर भगवान के तीन नेत्र हैं। एक राग व दूसरा द्वेष का है तीसरा नेत्र बोध का है। मनुष्य के भी तीन नेत्र होते हैं, लेकिन तीसरे नेत्र की चाबी होने के बावजूद वह उसे खोलना नहीं चाहता है। राग-द्वेष की आंख से संसार तो चल सकता है परमात्मा नहीं। परमात्मा को बोध, समझ, विवेक की आंख से पाया जा सकता है। त्रिशूल सत्य, प्रेम, करुणा का प्रतीक है। गुरु को बिना शर्त समर्पण कर दो तभी बोध की तीसरी आंख खुल सकती है। पंडाल में गूंजा ओम नम: शिवाय

विजय कौशल महाराज ने कथा के बीच-बीच में भजनों को सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। पूरा पांडाल ओम नम: शिवाय के घोष से गूंजता रहा। शिक्षाप्रद ये पांच बातें

1. कथा सत्संग से होता है। जीवन में बदलाव व पाप कटते हैं।

2.श्रद्धा और विश्वास से मिलते हैं भगवान

3. सत्य रक्षा करता है, प्रेम से पोषण मिलता है, करूणा से अहंकार कम होता है।

4. 24 घंटे में एक बार शमशान का भी ध्यान करें।

5. विचारों में वासना नहीं उपासना आनी चाहिए। हरियाणा में अब नहीं रहा दूध दही का खाना

कथा सुनने आए शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा को इंगित करते हुए विजय कौशल ने कहा कि हरियाणा में अब दूध दही खाने वाली बात नहीं रही। हरियाणा का मतलब हरि आना है। जब भगवान कृष्ण युद्ध के बाद कुरुक्षेत्र से चले तो बड़े बूढ़ों ने कहा था हरि आना। लोग पानीपत तक हरि आना कहते दौड़े थे। यह अच्छी बात है कि पानीपत में युवाओं की टीम कथा करा रही है। ये रहे मौजूद

वेद मित्तल, राजकुमार सिगला, हरबिलास गोयल, पार्षद हरीश शर्मा, सुधीर जिदल, हुकमचंद गुप्ता, धनराज बंसल, राजकुमार सिगला, सुरेश गुप्ता, मदन मंगला, प्रवीण गुप्ता, विजय कंसल, संजय मंगल, जॉनी सिगला, सचिन गुप्ता, विशाल तायल।


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