Move to Jagran APP

काला आंब में पानीपत के युद्ध के शौर्य का शोर, बेहाल धरोहर पर चुप्पी

काला आंब में पानीपत की तीसरी लड़ाई की 259वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। लेकिन पानीपत का वह इतिहास मिटता जा रहा है, जो यहां की धरोहर है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 05:33 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 05:37 PM (IST)
काला आंब में पानीपत के युद्ध के शौर्य का शोर, बेहाल धरोहर पर चुप्पी
काला आंब में पानीपत के युद्ध के शौर्य का शोर, बेहाल धरोहर पर चुप्पी

पानीपत, जेएनएन। पानीपत की तीसरी लड़ाई के 258 वर्ष पूरे होने पर शौर्य दिवस का शोर हर तरफ सुनाई दे रहा। लेकिन बेहाल धरोहर पर सरकार से लेकर सामाजिक संस्थाएं चुप्पी साधे हुए है। वीरों का इतिहास समेटे पानीपत में धरोहर बेहाल स्थित में हैं। जानिए आखिर क्या है पूरा मामला, पढ़ें दैनिक जागरण की ये खबर।

loksabha election banner

शौर्य दिवस के मौके पर सैकड़ों मराठा परिवार ने काला आंब पर एकजुट होकर पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की। महाराष्ट्र सहित अन्य प्रांतों से सैकड़ों मराठी समुदाय के लोग समारोह में शामिल हुए। 

तीन लड़ाइयों का गवाह पानीपत जिला      
पानीपत तीन लड़ाइयों का गवाह रहा है। 14 जनवरी 1761 को अफगान शासक अहमदशाह अब्दाली और मराठा के बीच तीसरा निर्णायक युद्ध लड़ा गया। मराठों की शक्ति क्षीण होने के साथ ही मुगलों का पतन शुरू होने लगा। मुस्लिम शासकों के आपसी कलह ने ब्रिटिश साम्राज्य का मार्ग खोल दिया। मराठा सेना को युद्ध में पराजय का सामना करना पड़ा। हजारों मराठे सैनिक मारे गए। इन सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। 

bhupendra hudda

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी पहुंचे कार्यक्रम में।

करनाल से चलेगी मराठा सेना शोभायात्रा 
मराठा जागृति मंच के तत्वावधान में शौर्य दिवस पर करनाल के लिबर्टी चौक से सुबह 10 बजे मराठा सेना शोभायात्रा पानीपत के लिए रवाना हुई। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. वसंत राव केशव मोरे हरी झंडी दिखाकर शोभायात्रा को रवाना किया। कुटैल, बस्ताड़ा, कैमला मोड़ और टोल प्लाजा से होकर पानीपत में प्रवेश की। जीटी रोड और सनौली से होकर दोपहर 2 बजे काला आंब पहुंची। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बतौर मुख्य अतिथि इस कार्यक्रम में शिरकत किया। कलाकार राजामाता जीजाबाई और छत्रपति शिवाजी की वेश में सजधज कर शोभायात्रा को आकर्षक बनाया। 

मोटरसाइकिल का काफिला
शोभायात्रा में सैकड़ों मराठा युवक शामिल हुआ। युवक अनुशासन और सद्भावना का संदेश देते आगे बढ़ते जा रहे थे। शौर्य दिवस को लेकर इन युवाओं में खासा उत्साह है।

शहीद वीर मराठा को दी श्रद्धांजलि
पानीपत में सैकड़ों मराठा परिवार रहते हैं। 30-40 परिवार सुबह 10 बजे काला आंब पहुंचकर युद्ध में मारे गए वीर मराठों को याद किया। कृष्णत रेणेषु ने बताया कि पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की।  

15 साल से मना रहे शौर्य दिवस
काला आंब युद्ध स्मारक स्थल पर 15 वर्षों से शौर्य दिवस समरोह मना रहे हैं। समारोह की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। महाराष्ट्र, तेलांगाना और मप्र सहित 16 प्रांतों से मराठे इस कार्यक्रम में शामिल हुए। 

 ऐतिहासिक नगरी के 15 दरवाजों में से दो ही बचे
ऐतिहासिक नगरी पानीपत में पुराने समय में 15 गेट होते थे। इनका समुदाय व जाति के लोगों ने अपना-अपना नाम दिया था। इनमें से आज दो ही गेट बचे हुए हैं। ये दोनों भी अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जंग लड़ रहे हैं। कई गेट तो गिर भी चुके हैं। पुरातत्व विभाग ने इन गेटों को अपनाया तक नहीं है और प्रशासन का किसी प्रकार का ध्यान नहीं है।

आक्रमण से बचने के लिए बनाए गए थे दरवाजे
शौर्य दिवस समारोह काला आंब में मनाया जा रहा है। महाराष्ट्र से मराठे समारोह में शामिल होंगे। दैनिक जागरण ने बेहाल धरोहर में ऐतिहासिक नगरी पानीपत के 15 दरवाजों के अस्तित्व और उनके विलुप्त होने के कारणों को जाना। इतिहासकार रमेश पुहाल ने बताया कि पानीपत पुराने समय में नवाब और राजाओं ने अपना राज क्षेत्र बढ़ाने के लिए अनेक युद्ध किए। पानीपत इसके लिए केंद्र बिंदु रहा। यहां पर तीन लड़ाइयां लड़ी गईं। तीनों लड़ाइयों ने इतिहास लिखा। उस समय किसी के आक्रमण से बचने या अपनी सुरक्षा के लिए लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र में गेट बना दिए। इन्हीं गेटों से उस क्षेत्र में अंदर दाखिल हो सकते थे।  

ibrahim

ये हालत है धरोहर की।

ये दो गेट अभी बचे हैं
पानीपत में सलारजंग गेट और दरवाजा हजरत बू अली शाह कलंदर बचे हुए हैं। कलंदर दरवाजा की मरम्मत 1388 हिजरी में मुतल्लवी लका उल्ला उस्मानी ने कराई थी। उनके नाम का पत्थर भी लगा हुआ है। इसके बाद किसी ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। सलारजंग गेट को पुरातत्व विभाग ने अपने अधिकार क्षेत्र में लिया, लेकिन इसके रख-रखाव पर किसी तरह का काम नहीं किया गया।  

ये 15 गेट पानीपत में थे 
1. दरवाजा अंसार मुहल्ला गेट। यह लालबत्ती के पास स्थित है। 
2. दरवाजा डबग्रान। यह गुरुद्वारा पहली पातशाही के नजदीक था। 
3. दरवाजा राजपूताना। यह पशु अस्पताल रोड पर चौक के नजदीक है। 
4. दरवाजा घोसियान। यह सनौली रोड पर गुरुद्वारा संत भाई नरैण सिंह के पास है। 
5. दरवाजा हजरत शाह विलायत। यह सनौली रोड स्थित दरगाह शाह विलायत के नजदीक है। 
6. लाल दरवाजा। यह रमायणी के पास है। 
7. दरवाजा लोधर राजपूत। यह माटा चौक के नजदीक है। 
8. दरवाजा बागडिय़ान। यह महावीर दल स्कूल के पास है। 
9. दरवाजा हजरत मख्दूम साहब। यह कुटानी रोड पर है। 
10. दरवाजा हजरत बू अली शाह कलंदर। यह कलंदर दरगाह के नजदीक है। 
11. दरवाजा माधो गंज। यह एसडी मॉडर्न स्कूल के नजदीक है। 
12. दरवाजा रानी महल। यह रानी महल के नजदीक है। 
13. दरवाजा कायस्तान। यह परमहंस कुटिया के नजदीक है। 
14. सलारजंग गेट। यह इंसार बाजार में देवी मंदिर की तरफ स्थित है।
15. दरवाजा अफगानान। यह भीम गौड़ा मंदिर के नजदीक है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.