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यमुनानगर का शक्तिमान शिव मंदिर, हर रोज होता है भगवान भोले बाबा का रुद्राभिषेक, 11 हजार जल धाराओं से अभिषेक

यमुनानगर में शक्तिमान शिव मंदिर का विशेष महत्‍व है। औद्योगिक क्षेत्र में यह मंदिर है। इस मंदिर में हर रोज रुद्राभिषेक होता है। 11 हजार जल धाराओं व कोलकाता के कमल के फूलों से होता है शक्तिमान शिव का श्रृंगार।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 09:30 AM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 09:30 AM (IST)
यमुनानगर का शक्तिमान शिव मंदिर, हर रोज होता है भगवान भोले बाबा का रुद्राभिषेक, 11 हजार जल धाराओं से अभिषेक
औद्योगिक क्षेत्र यमुनानगर का शक्तिमान शिव का श्रृंगार।

यमुनानगर, [राजेश कुमार]। औद्योगिक क्षेत्र यमुनानगर स्थित श्री शक्तिमान मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। यह जिले का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर हैं जिसमें रोजाना कोलकाता से मंगवाए गए कमल के 1000 फूल चढ़ाए जाते हैं। सावन माह ही नहीं बल्कि पूरा साल यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र रहता है। रोजाना मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए लोगों की लाइन लगती है। छह अगस्त को मंदिर में जलाभिषेक होगा जिसके लिए मंदिर में विशेष प्रबंध किए गए हैं।

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11 हजार जल धाराओं से होता है जलाभिषेक

शक्तिमान मंदिर में शिवलिंग स्थापित है। दिनरात शिवलिंग पर 11 हजार जल धाराओं से भगवान शिवलिंग का जलाभिषेक होता है। 11 हजार जल धाराओं के लिए क्लश को विशेष रूप से तैयार कराया गया था। यही वजह है कि मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र रहता है। शिवलिंग में बेलपत्र, फूल चढ़ाने के लिए किसी भक्त को यहां वहां नहीं जाना पड़ता। इन सब चीजों की व्यवस्था मंदिर में ही की जाती है। जिन्हें प्लास्टिक की टोकरी में डाल कर भक्तों को दे दिया जाता है।

रोजाना होता है रूद्राभिषेक

मंदिर के पुजारी मनीष कुमार अग्निहोत्री ने बताया कि मंदिर के परिसर में ही सभी नव ग्रहों के वृक्ष लगाए गए हैं। जिनमें रुद्राक्ष का पेड़ भी है। इन वृक्षों से तोड़े गए पत्रों व फलों से रोजाना भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। शिवरात्रि के दिन शिव को 56 भोग लगाए जाते हैं। भंडारे में पांच-सात हजार लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।

शक्तिमान सीमेंट फैक्ट्री से पड़ा था मंदिर का नाम

पुजारी मनीष कुमार ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र में शक्तिमान सीमेंट की फैक्ट्री है। फैक्ट्री के संचालक अश्वनी ओबराय व उनके परिजनों ने करीब 30 वर्ष पूर्व औद्योगिक क्षेत्र में मंदिर की स्थापना करवाई थी। मंदिर के द्वार को बेल पत्रों व फूलों से सजाया जाता है। शिवरात्रि के दिन तो मंदिर को फूलों से सजाया जाता है। मंदिर में हर आयु वर्ग के लोग आकर नतमस्तक होते हैं।


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