अवध धाम मंदिर के वेद पाराशर से सात लाख की ठगी
2017 में दिए कैंसिल चैक की फर्जी कॉपी बनाकर ठगों ने समाजसेवी वेद पाराशर के खाते से दो दिनों में 7 लाख रुपये अपने खाते में आरटीजीएस कर लिए। साढ़े चार लाख रुपये का ट्रांजेक्शन मैसेज देखने के बाद समाजसेवी वेद पाराशर को ठगी का पता चला।
जागरण संवाददाता, पानीपत : बैंकों में भी पैसा सुरक्षित नहीं है। अभी तक ऑनलाइन धोखाधड़ी होती रही, अब तो फर्जी चेक बनाकर रुपये हड़पे जाने लगे हैं। अवध धाम मंदिर निवासी वेद पाराशर से सात लाख रुपये की ठगी कर ली गई। उनकी फर्म का चेक बनाया, हस्ताक्षर किए और मुंबई से रुपये निकलवा लिए। चिताजनक तो ये है कि चेक में ढेर सारी गलतियां होने के बावजूद बैंक ने इसे पास कर दिया। शिकायत पर पुलिस ने चेक पास कराने वाले ठग पर केस दर्ज कर लिया है। हालांकि पाराशर का कहना है कि बैंक की मिलीभगत के बिना इस तरह की ठगी संभव नहीं है। बैंक अधिकारियों पर भी केस दर्ज हो।
वेद पाराशर ने बताया कि उन्होंने अवध धाम मंदिर के पास फ्यूचर विजन क्रिएशन नाम की पार्टनरशिप फर्म बना रखी है। वह युवाओं को निजी कंपनियों में रोजगार दिलाने का काम करते हैं। कंपनी की यूनियन बैंक के करंट अकाउंट की साल 2017 में एक चेक बुक जारी हुई थी। इसमें से दो चेक उन्होंने कैंसिल किए थे। इसकी मेमो स्लीप बैंक में जमा कराई थी। इन्हीं चेक की फर्जी कॉपी बनाकर ठगों ने बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मचारियों से सांठ-गांठ करके 13 मई को ढाई लाख रुपये भनदूप मुंबई के कांतिलाल रामजी रावसिया के खाते में ट्रांसफर कर दिए। इसका उन्हें कोई ट्रांजेक्शन मैसेज तक नहीं मिला। आरोपितों ने 15 मई को दोबारा साढ़े चार लाख रुपये अपने खाते में जमा करा लिए। इसका ट्रांजेक्शन मैसेज देखने के बाद उन्हें ठगी का पता चला। थाना प्रभारी राजबीर सिंह ने बताया कि फिलहाल बैंक रिकॉर्ड के आधार पर आरोपितों का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे है। जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
लिखावट भी है अलग, फिर क्यों बैंककर्मियों को नहीं हुआ शक..ये बड़े सवाल
1- ठगी के लिए इस्तेमाल किए गए चेक में वेद पाराशर की लिखावट नहीं है।
2- किसी अंजान व्यक्ति ने चेक में सारी जानकारी भरी हैं। चेक में एक जगह पर पानीपत को पानीपथ लिखा हुआ है।
3- न तो चेक के साथ आरटीजीएस फार्म भरा गया और न ही दोनों चेक के पीछे आरटीजीएस के लिए खाते संबंधी जानकारी मिली। अगर फार्म भरा है तो पाराशर ने कभी फार्म भरा ही नहीं। वह हमेशा चेक के पीछे लिखते हैं।
4- पार्टनर के नाम से भी फर्जी साइन किए गए हैं। उनका पार्टनर तो खाता ऑपरेट ही नहीं करते।
5- चेक के पीछे एक ही हस्ताक्षर हैं, जबकि वेद पाराशर हमेशा दो ही हस्ताक्षर करते हैं। वेद पाराशर का कहना है कि नियम अनुसार भी चेक के पीछे दो हस्ताक्षर अनिवार्य हैं।
इतनी कमियां होने के बावजूद भी बैंककर्मी ठगों को क्यों पकड़ नहीं पाए। आरोप है कि बैंककर्मियों की मिलीभगत से ही ठगी हुई है।
बैंक प्रबंधक ने कहा- जांच करेंगे
बैंक प्रबंधक हनुमान ने कहा कि इस मामले की शिकायत मिली है। उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।