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कोरोना की दूसरी लहर ने इंडस्‍ट्री को हिलाकर रख दिया, इसलिए मांग रहे पैकेज

कोरोना की दूसरी लहर में एमएसएमई उद्योग संकट में नजर आ रहा है। ऐसे में सरकार से पैकेज मिले। वहीं लघु उद्योगों का लाकडाउन से पहले का भुगतान मार्केट में फंस गया है। जिनसे भुगतान लेना है उनके शोरूम नहीं खुल रहे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 09:42 AM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 09:42 AM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर ने इंडस्‍ट्री को हिलाकर रख दिया, इसलिए मांग रहे पैकेज
पानीपत का टेक्‍सटाइल कारोबार प्रभावित हुआ है।

पानीपत, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर पिछले वर्ष के लाकडाउन से भी उद्योगों पर भारी पड़ी है। एमएसएमई ( लघु मध्यम दर्जे) उद्योगों को हिला कर रख दिया है। पिछले वर्ष के नुकसान से उद्योग उबरने लगे थे। दूसरी लहर ने ब्रैक लगा दिया। वर्तमान समय में लघु उद्योगों का लाकडाउन से पहले का भुगतान मार्केट में फंस गया है। जिनसे भुगतान लेना है उनके शोरूम नहीं खुल रहे।

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पानीपत में 6000 से अधिक लघु मध्यम दर्जे के उद्योग लगे हैं। इनमें सोफा कवर, बेडसीट, कपड़ा, करटन क्लाथ, कारपेट आदि बनता है। सरकार पिछले कई वर्षों से एमएसएमई उद्योगों को प्रोत्साहित कर रही थी। कोरोना मंहामारी ने सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया।

लघु उद्योगों को बड़े उद्योग दें प्रोत्साहन

चैंबर आफ कामर्स के पानीपत चैप्‍टर के चेयरमैन विनोद खंडेलवाल का कहना है कि कोरोना महामारी में अन्य प्रदेशों में भी लाक डाउन लगने के कारण रिटेल का काम नहीं हो रहा। जिस कारण पानीपत के छोटे उद्योगों विशेषकर हैंडलूम उद्योगों का पैसा फंस गया। ऐसे में सरकार लघु उद्योगों की आर्थिक सहायता दे। साथ ही बड़े उद्योग उनका भुगतान तेजी से करे।

वैक्सीनेशन का काम डोर-टू-ड़ोर हो

चैंबर आफ कामर्स के पानीपत चैप्‍टर के मोहनलाल गर्ग का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते 40 प्रतिशत ही उत्पादन हो रहा है। मार्केट बंद होने के कारण घरेलू इंडस्ट्री पिट गई है। उद्योगों की लेबर वैक्सीनेशन को लेकर परेशान है। उनका नंबर नहीं पड़ता। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वह उद्योगों में डोर टू डोर जाकर वैक्सीनेशन की डोज दिलाए।

महंगाई का दबाव अधिक

उद्यमी नितिन अरोड़ा का कहना है कि कच्चे माल से लेकर स्पेयर पार्टस तक के दामों में तेजी चल रही है। लघु मध्यम दर्जे पर महंगाई का दबाव अधिक पड़ रहा है। पूंजी कम पड़ रही है। इसके लिए सरकार को ब्याज रहित ऋण व्यवस्था करनी चाहिए। डाइंग उद्योग में लगने वाले केमिकल भी महंगा हो रहा है।


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