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Sawan 2021: फिर हुआ चमत्‍कार, कुरुक्षेत्र के संगमेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग से लिपट गए नाग देवता

कुरुक्षेत्र के अरुणाय स्थित संगमेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के लिए नाग देवता पहुंचे। नाग को देखकर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। नाग शिवलिंग से लिपटा हुआ था। पूरा वाकया लोगों ने मोबाइल में भी कैद दिया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 20 Aug 2021 12:04 PM (IST)Updated: Fri, 20 Aug 2021 12:04 PM (IST)
Sawan 2021: फिर हुआ चमत्‍कार, कुरुक्षेत्र के संगमेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग से लिपट गए नाग देवता
पिहोवा कस्बे गांव अरुणाय स्थित संगमेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग से लिपटा नाग।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। अभी तक चमत्‍कार के बारे में सुना ही होगा, श्रद्धालुओं ने इसके साक्षात दर्शन भी किए। हर सावन की तरह इस बार भी नाग देवता शिवलिंग के दर्शन के लिए पहुंचे। प्रदोष होने की वजह से नाग देवता आने की चर्चा दूर-दूर तक फैल गई। श्रद्धालुओं ने इस नजारे को मोबाइल वीडियो में भी कैद किया।

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दरअसल, कुरुक्षेत्र के पिहोवा कस्बे गांव अरुणाय स्थित संगमेश्वर महादेव मंदिर में सावन के महीने में नाग देवता के दर्शन हुए। महंत विश्वनाथ गिरी हर रोज की तरह सुबह मंदिर के कपाट खोलने पहुंंचे। इसके बाद श्रद्धालु पहुंचे तो नाग देव शिवलिंग से लिपटे हुए थे। महंत विश्वनाथ गिरी ने बताया कि प्रदोष के दिन नाग देव के दर्शन होना शुभकारी है। बता दें कि हर साल सावन को अरुणाय स्थित संगमेश्वर महादेव मंदिर में नाग देवता शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं।

नहीं पता चला कहां गया

कुछ देर तक शिवलिंग से लिपटे रहने के बाद नाग मंदिर परिसर से बाहर निकला। श्रद्धालु भगवान शिव के जयकारे लगाने लगे। कुछ देर में नाग कहां चला कोई नहीं देख पाया। महंत ने बताया कि पहले भी नाग आते थे। लेकिन आज तक ये नहीं पता चल सका कि कहां से आते हैं और कहां चले जाते हैं।

महंत विश्वनाथ गिरी ने बताया कि सावन के महीने में हर रोज सुबह चार बजे आरती की जाती है। इसके बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के खोल दिए जाते हैं। मंदिर के पुजारी सुबह अपने आश्रम में चले गए। श्रद्धालु पहुंचे तो एक नाग शिवलिंग पर लिपटा हुआ मिला। मंदिर के पुजारी सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे और नाग देेवता के दर्शन किए। कुछ देर बाद नाग देवता मंदिर के पीछे समाधियों से होकर अपने स्थान पर चले गए।

4:30 बजे दर्शन हुए

मंदिर प्रबंधन समिति के प्रधान भूषण गौतम ने बताया कि रात को बिजली नहीं थी। ऐसे में नाग देवता के आने का कोई समय पता नहीं चल पाया है, लेकिन सुबह 4:40 बजे शिवलिंग पर मिले। मंदिर के पुजारियों व श्रद्धालुओं ने नाग देवता के दर्शन किए। मंदिर में हर वर्ष नाग देवता आते हैं। इनका मंदिर में आने का दिन और समय निश्चित नहीं है। आज शिव चतुदर्शी पर महादेव के दर्शन हुए। आधे से पौने घंटे तक शिवलिंग से लिपटे रहे। दर्शन कर भक्ताें को कर्तार्थ किया। मंदिर की परिक्रमा के बाद अपने स्थान को चले गए।

मंदिर प्रबंधन समिति के प्रधान भूषण गौतम ने बताया कि मंदिर न केवल धार्मिक मान्यता की वजह से बल्कि चमत्कारों की वजह से भी देश भर में प्रचलित है। ऋषि विश्वामित्र के श्राप से मुक्त होने के लिए देवी सरस्वती ने यहीं पर शिव की आराधना की थी, जबकि यहां साल में एक बार नाग और नागिन का जोड़ा देखा जाता है। यह जोड़ा शिवलिंग पर कुछ देर रहने बाद अपने आप कहीं चला जाता है।

ये है मंदिर की मान्‍यता

यहां पर अरुणा और सरस्वती नदी के संगम का स्थल है। मंदिर के पास से सरस्वती नदी गुजरती है। पुराणों के अनुसार महर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र ऋषि में यहां तप कर रहे थे। विश्वामित्र ने सरस्वती को छल से महर्षि वशिष्ठ को अपने आश्रम तक लाने की बात कही। सरस्वती तेज बहाव के साथ महर्षि वशिष्ठ को विश्वामित्र आश्रम के द्वार तक ले आईं। जब विश्वामित्र बढ़ने लगे तो सरस्वती महर्षि वशिष्ठ को बहा कर ले गईं। विश्वामित्र क्रोधित हो गए और सरस्वती को खून से बहने का श्राप दिया। महर्षि वशिष्ठ ने सरस्वती को यहां प्रकट हुए शिवलिंग की आराधना करने को कहा। सरस्वती ने यहां आराधना की तो शिव ने श्राप से मुक्त कर फिर से जलधारा से भर दिया।


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