Sawan 2021: शिवरात्रि पर्व पर शिवालयों में उमड़ी भीड़, गूंजे भोलेनाथ के जयकारे
आज शिवरात्रि है। सावन माह की शिवरात्रि के अवसर पर मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। भगवान शिव का अभिेषक करने के लिए मंदिरों में कतारें लगी रहीं। कैथल कुरुक्षेत्र पानीपत सहित अन्य शहरों के मंदिरों में भोलेनाथ के जयकारे गूंजे।
पानीपत, जागरण संवाददाता। सावन माह के शिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा। इस पर्व को लेकर मंदिरों को भव्य ढंग से सजाया गया है। पर्व पर सुबह से ही शिवालयों में भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालु भगवान भोले का जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं।
शिवरात्रि पर्व पर कैथल के श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर, श्री अंबकेश्वर मंदिर, हनुमान वाटिका, ढांड रोड स्थित प्राचीन शिव मंदिर सहित शहर के अन्य शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने को लेकर तैयारियां की गई हैं। बता दें कि इस बार त्रयोदशी शुक्रवार शाम के समय शुरू हो रही है। इसलिए शिवरात्रि पर जलाभिषेक करने का महत्व शनिवार को भी शिवरात्रि पर्व जितना रहेगा।
कैथल के शहर के प्रसिद्ध श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर में सुबह चार बजे प्रथम पहर की पूजा की गई। मंदिर के पुजारी मुनिंद्र मिश्रा ने बताया कि पूजा के दौरान भगवान भाेले का भव्य श्रृंगार किया गया है। प्रथम पहर की पूजा के दौरान भगवान भोले का दूध, दही, मिश्री, बेलपत्र, धतूरा सहित अन्य सामग्री से जलाभिषेक किया गया है। यहां पर सुबह पांच से भक्तजन जलाभिषेक करने के लिए पहुंच गए थे। मिश्रा ने बताया कि मंदिर में कोरोना महामारी को लेकर हिदायतों का पालन करने के लिए कमेटी के सदस्य की ड्यूटियां लगाई गई हैं। जो व्यवस्था बनाने का कार्य कर रही हैँ।
कुरुक्षेत्र में बम-बम भोले के जयकारों से गूंजी धर्मनगरी
श्रावण माह की शिवरात्रि पर जिले के मंदिर बम-बम भोले के जयकारों से गूंज उठे। श्रद्धालुओं ने शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक किया। बिल्वपत्र, धतूरा और भांग के पत्ते चढ़ाकर पूजा की। कई श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल लेकर भी पहुंचे। मगर कोरोना की वजह से प्रतिबंध होने के चलते इस बार कम ही श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल लेकर आए। चंदन का तिलक लगाकर श्रद्धालु घंटों मंदिर परिसर में पूजा में मग्न रहे।
स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर, दुखभंजन महादेव, सर्वेश्वर महादेव, रतन दक्ष चिट्टा मंदिर, कालेश्वर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर परिसर बम-बम भोले के जयकारों और भजनों से गूंजते रहे। श्रद्धालुओं ने उपवास रखे। कुंवारी लड़कियों ने पति की कामना के लिए व्रत रखा और फिर शिवलिंग की पूजा की। पंडित अभिषेक गौड़ के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि श्रावण माह के सोमवार और शिवरात्रि पर व्रत रखने व पूजन करने से कुंवारी लड़कियों का विवाह जल्दी होता है। वहीं व्रतधारी श्रद्धालुओं के लिए मंदिरों में फलहार के भंडारे लगाए गए। शिवरात्रि पर्व पर मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों व लाइटों से सजाया गया।
दुखभंजन महादेव मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर पंचामृत, दूध, भांग, बिल्व पत्र चढ़ाकर सुख-समृद्धि की कामना की। स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक किया गया। वहीं अरुणाये स्थित संगमेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी। यहां श्रद्धालुओं ने दूध चढ़ाने की बजाये दूध की थैलियां चढ़ाई ताकि व्यर्थ बहने की बजाये दूध किसी के काम आ सके। दोपहर तक शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहा।
कर्ण नगरी के मंदिरों में गूंजे भोलेनाथ के जयकारे
कर्ण नगरी में शुक्रवार को श्रावण मास की शिवरात्रि पर हर ओर भोलेनाथ के जयकारे गूंजे। सभी प्रमुख मंदिरों व शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। पूर्ण विधिविधान से भगवान आशुतोष की पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान खासी भीड़ के चलते मंदिर समितियों की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए।
पवित्र श्रावण मास के शिवरात्रि पर्व के लिए मंदिरों और शिवालयों को फूलों और रंगीन लाइटें से विशेष रूप से सजाया गया। सेक्टर-सात स्थित कर्णेश्वर मंदिर, पुराना सर्राफा बाजार स्थित शिव मंदिर, कुंजपुरा रोड स्थित सनातन धर्म सभा मंदिर, महाबीर दल मंदिर, सेक्टर-14 स्थित श्रीकृष्णा मंदिर और सेक्टर आठ स्थित श्रीराम मंदिर, विष्णु मंदिर के अलावा शहर के सभी प्रमुख मंदिरों कों लड़ियां लगाकर आकर्षक स्वरूप दिया गया। शिवरात्रि पर्व के लिए शिवभक्तों में खासा उत्साह देखने को मिला। हालांकि, प्रशासनिक पाबंदी के कारण इस बार हरिद्वार से गंगाजल लेकर आने वाले कांवड़िए नजर नहीं आए।
सेक्टर आठ स्थित श्रीराम मंदिर के पुजारी पंडित अनिल द्विवेदी ने बताया कि श्रावण मास में शिवरात्रि और प्रत्येक सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पूरी भक्ति भाव से आराधना की जाती है। भोले बाबा को दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और पंचामृत स्नान कराने के बाद पुष्प माला डालकर और बेलपत्र, दूब, आक के पत्ते, तिलक, दीप, मिष्ठान आदि चढ़ाकर पूर्ण विधिविधान से पूजा-अर्चना की जाती है। भोले बाबा भक्तों की आस्था और श्रद्धा से प्रसन्न होकर उनकी हर मन्नत पूर्ण करते हैं। इसलिए पूर्ण भक्ति भाव से उनकी आराधना करनी चाहिए।