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पौधों के लिए ग्वालड़ा पंचायत ने दी पांच सौ एकड़ जमीन

पौधों के लिए ग्वालड़ा पंचायत ने दी पांच सौ एकड़ जमीनपौधों के लिए ग्वालड़ा पंचायत ने दी पांच सौ एकड़ जमीनपौधों के लिए ग्वालड़ा पंचायत ने दी पांच सौ एकड़ जमीनपौधों के लिए ग्वालड़ा पंचायत ने दी पांच सौ एकड़ जमीन

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 07:37 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 07:37 AM (IST)
पौधों के लिए ग्वालड़ा पंचायत ने दी पांच सौ एकड़ जमीन
पौधों के लिए ग्वालड़ा पंचायत ने दी पांच सौ एकड़ जमीन

जागरण संवाददाता, पानीपत : यहां की ग्वालड़ा पंचायत ने पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ी पहल की है। पंचायत की पांच सौ एकड़ जमीन वन विभाग को सौंपने का प्रस्ताव पारित किया है। करीब 20 एकड़ जमीन दी जा चुकी है। दरअसल, ये पहल हुई एक समस्या के समाधान के लिए। कब्जे छुड़वाने के बाद भी लोग डर के कारण पंचायती जमीन के लिए बोली नहीं दे रहे थे। तीन बार बोली की तारीख रखी। तीनों ही बार पंचायत की जमीन लेने के लिए कोई नहीं आया। जिला प्रशासन ने जब कारण पता लगाया तो पता चला कि पहले यहां दबंगों के कब्जे थे। हाई कोर्ट के आदेश पर कब्जे तो हट गए लेकिन जमीन आगे ठेके पर नहीं दी जा सकी। इस पर सुझाव आया कि क्यों न पांच सौ एकड़ जगह पर पौधे रोपे जाएं। बाग बनाए जाएं। कोविड वाटिका बने। आयुर्वेद रिसर्च सेंटर बने। फिर क्या था, पंचायत ने भी प्रशासन के सुझाव पर सहयोग दिया और पांच सौ एकड़ जमीन वन विभाग को देने का प्रस्ताव पारित कर दिया। इसके दो फायदे होंगे, पर्यावरण संरक्षण होगा, दूसरा पंचायत को प्रति वर्ष प्रति एकड़ 50 हजार रुपये की आय हो सकेगी।

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सरपंच रवीना के पति दीपक शर्मा ने बताया कि पंचायत के पास करीब सात एकड़ जमीन है। करीब पांच सौ एकड़ जमीन पर दबंगों का कब्जा था। इस कब्जे के संबंध में कोई केस नहीं चल रहा था। करीब 94 एकड़ जगह पर स्टेटस को है। बिना केस वाली जमीन से कब्जा हटवाने के लिए वे हाई कोर्ट गए थे। 27 मई 2019 को हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि कब्जा खाली करवाए गए। फरवरी महीने में प्रशासन ने पुलिस बल की मौजूदगी में कब्जा हटवाया। इसके बाद जमीन को ठेके 97 लाख में ठेके पर दिया। अप्रैल माह में कब्जाधारी फसल काटने पहुंच गए। तब विधायक और तत्कालीन मंत्री कृष्णलाल पंवार की मौजूदगी में समझौता हुआ। कब्जा करने वालों को फसल काटने की अनुमति दी, इसके लिए पट्टे पर जमीन लेने वालों को ब्याज चुकाया गया। इसी वर्ष 12, 20, 28 मई को जमीन ठेके पर देने के लिए बोली रखी गई लेकिन कोई आगे नहीं आया। इसके बाद प्रशासन के सुझाव पर जगह वन विभाग को सौंपने का फैसला हुआ।

चार सड़कों से लगती है जमीन

ग्वालड़ा की यह जमीन चार गांवों की तरफ लगती है। ढींढार, चमराड़ा, नारायणा और वजीरपुर टिटाना की तरफ जमीन है। चारों तरफ पर्यावरण की बयार बहेगी।

गांव में है अस्थायी पुलिस चौकी

ग्वालड़ा गांव में अस्थायी पुलिस चौकी है। करीब 15 पुलिसकर्मी यहां मौजूद रहते हैं। सरपंच को भी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी दिया गया है।

क्या होगा इस जमीन पर

वन विभाग के रेंज ऑफिसर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि इस जगह को हिस्सों में बांटकर काम करेंगे। कुछ जगह पर पार्क बनेगा, कुछ जगह पर कोविड वाटिका, कुछ जगह पर बाग लगाएंगे। इस तरह का केंद्र बनाएंगे के आयुर्वेदिक पौधों पर रिसर्च करने के लिए शोधार्थी यहां आएं। पंचायत की आय भी दो वर्ष बाद शुरू हो जाएगी। हमें 20 एकड़ जगह मिल गई है। यमुनानगर पहुंचे थे दंपती

यमुनानगर के गांव बहादुरपुर में आयोजित औषधीय फल उद्यान के शुभारंभ पर गवालड़ा की सरपंच रवींद्र और उनके पति दीपक भी पहुंचे थे। वहीं पर इन्होंने हरियाणा की प्रधान मुख्य वन संरक्षक डा. अमरिन्द्र कौर को जमीन के बारे में बताया। इस परियोजना के बारे में विस्तार से समझाया और फोन पर ही वाटिका दिखाई। मुझे तो हेलीकॉप्टर से घूमना पड़ेगा

मुख्य वन रक्षक अधिकारी डा. अरमिद्र कौर ने जब सरपंच की इस घोषणा के बारे में वन मंत्री को बताया तो मंत्री ने मंच से कहा कि ये हमारी विभाग के लिए बड़ी उपलब्धि है। 500 एकड़ जमीन पर जब बाग व छायादार पौधे तैयार होंगे तो मुझे हेलीकॉप्टर से देखने के लिए जाना पड़ेगा। इस तरह से और भी पंचायतें पौधारोपण के लिए आगे आएं तो प्रदेश में वन का रकबा बढ़ जाएगा।


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