पिता रहते हैं बीमार, मां करती हैं घरों में काम, हरियाणा की बेटी बना रही हॉकी में मुकाम
हरियाणा के जगाधरी की रहने वाली रूमान उन लोगों के लिए नजीर हैं जो तमाम परेशानियों के बावजूद अपनी राह से डिगते नहीं हैं और लक्ष्य हासिल करने के लिए आगे बढ़ते रहते हैं।
पानीपत/यमुनानगर, [नितिन शर्मा]। गरीबी वो शै है, जो मजबूत इरादों वाले शख्स का भी हौसला तोड़ देती है। मगर कुछ ऐसे भी होते हैं जो गुरबत की स्याही से ऐसी तकदीर लिख जाते हैं कि देखने सुनने वालों को उन पर रश्क आता है। हरियाणा में यमुनानगर जिले के जगाधरी की रहने वाली रूमन भी ऐसी ही शख्सियत हैं। रूमन अगर आज कामयाबी के शिखर पर हैं, तो इसके लिए पीछे महज उनका जज्बा नहीं है, बल्कि मां के संघर्ष की दास्तां भी छिपी है। परिवार पर बुरा वक्त आया और दो जून की रोटी के लाले पड़ गए तो मां स्नेहलता ने लोगों के घरों में काम करना तो मंजूर किया, मगर बेटी के बढ़ते कदमों पर गरीबी की बेडिय़ां नहीं पडऩे दीं। आज रूमन राष्ट्रीय हॉकी में उभरता सितारा बन चुकी हैं।
रूमन के मुताबिक वह चार भाई-बहन हैं। दो भाइयों की शादी हो चुकी है, जो अब अलग रहते हैं। पिता महेंद्र सिंह बीमार रहते हैं। इस कारण ज्यादा चल नहीं सकते। पिता की बीमारी के बाद घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल होने लगी, तो मां ने परिवार के पालन पोषण के लिए घरों में काम शुरू कर दिया। इसी से परिवार का खर्च चला। रूमन बताती हैं कि वह जब भी कहीं बाहर किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए जाती हैं तो खर्च के पैसों का इंतजाम मां स्नेहलता ही करती हैं।
बचपन से थी हॉकी में रुचि
रूमन के अनुसार बचपन में दूसरे बच्चों को हॉकी खेलते देख उनमें भी इसके प्रति लगाव पैदा हो गया। उन्होंने ठान लिया था कि वह हॉकी को ही अपना कॅरियर बनाएंगी। इसके लिए दिन रात मेहनत शुरू की। सातवीं कक्षा में उनको स्कूल की ओर से एक हॉकी की स्टिक दी गई। यह सपना पूरा होने जैसा लग रहा था। उत्साह बढ़ा और उन्होंने स्कूल स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वह पुरस्कार लेकर घर पहुंचीं तो मां व पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। तब से शुरू सफलता का दौर जारी है।
शुरू हुआ स्वर्णिम सफर
स्कूल से शुरू हुआ हॉकी का स्वर्णिम सफर अनवरत जारी है। तीन साल में तीन राष्ट्रीय स्तर की हॉकी प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। प्रतियोगिताएं हिसार, अंबाला व तमिलनाडू में हुई थीं। यहां उनको कैश अवार्ड दिया गया। अब वह 11वीं कक्षा में सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं। हाल ही में खेल महाकुंभ के दौरान भी उन्होंने प्रथम स्थान हासिल किया।
ये है रूमन लक्ष्य
रूमन का लक्ष्य राष्ट्रीय हॉकी टीम में जाना है। इसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रही हैं। सुबह-शाम अभ्यास करती हैं। कोच हरजीत कौर हर कदम पर उनका हौसला बढ़ा रही हैं।
खुद की हॉकी पर एतबार
रूमन कहती हैं कि हॉकी खुद ही खरीदी है। खेलने के लिए दूसरे जिले या राज्य में जाती हैं तो सरकार की ओर से किराया दिया जाता है। डाइट खर्च भी मिलता है। जब घर होती हैं तो डाइट का खर्च मां देती है।