कैसे सुधरेगा शिक्षा का स्तर, हरियाणा में कई स्कूलों के कमरे कंडम
हरियाणा में कई स्कूलों में छात्रों और अध्यापकों पर खतरा मंडरा रहा है। करनाल सहित कई जिलों में कमरे कंडम हैं। करनाल में ही 51 स्कूलों के 182 कमरे कंडम हैं। ऐसे कैसे सुधरेगा शिक्षा का स्तर। प्रदेश सरकार ने इस तरफ कदम उठाया।
करनाल, जागरण संवाददाता। हरियाणा सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया जाता है। बावजूद स्कूलों में विद्यार्थियों को कंडम कमरों में पढ़ाई करवाई जाती है। जिले के 779 स्कूलों में से 51 स्कूलों के 182 कमरों की हालत इंजीनियरों ने कंडम करार दी है। जिला अधिकारियों की मानें तो मुख्यालय को खस्ताहाल कमरों की रिपोर्ट भेज दी गई है। इन पर खर्च होने वाली राशि अधिकारियों के आदेश पर निर्भर है। अभिभावकों की मानें तो स्कूलों के जर्जर कमरों के पास कक्षाएं लगाई जाती है जिससे हादसे का खतरा बना रहता है।
172 स्कूलों के सुंदरीकरण के लिए सवा करोड़ रुपये
विभागीय जानकारी के अनुसार जिला के 172 स्कूलों के सुंदरीकरण के लिए गत वर्ष 1 करोड़ 26 लाख 10 हजार रुपये का बजट जारी किया गया था। इन स्कूलों में करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद विद्यार्थियो को न तो स्वच्छ पेयजल मिला है और न ही शौचालयों की सुविधा। शहरी के मुकाबले ग्रामीण अंचल में प्राइमरी स्कूलों की हालत ज्यादा बदतर है। प्राइमरी स्कूलों में जहां बच्चों की संख्या बढ़ाने में विभाग के मुखिया कमजोर साबित हुए हैं वहीं भवन का निर्माण भी नहीं करवा पा रहे है।
सात माह से रिपोर्ट पर गंभीर नहीं अधिकारी
कोरोना के चलते स्कूल बंद हैं लेकिन भवनों का रखरखाव को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं हैं। अभिभावक चरणजीत ने बताया कि सरकारी स्कूलों की चारदिवारी टूटी होना आम है जबकि कमरों की हालत भी दयनीय है। प्राइमरी 36, मिडिल स्कूलों में 121, सीनीयर सेकेंडरी 15 स्कूलों में 62 कमरे कंडम पाए गए हैं। सात माह पहले की रिपोर्ट को मुख्यालय भेजा गया था लेकिन अभी तक शिक्षा विभाग की ओर से गंभीरता नहीं दिखाई गई। जिला शिक्षा अधिकारी राजपाल चौधरी ने बताया कि मुख्यालय को संबंधित कंडम कमरों की जानकारी भेजी गई है। निर्माण के आदेश आने पर स्कूलों के कमरों की हालत को सुधारा जाएगा।