35 किलोमीटर का खतरे भरा सफर, पानीपत में हादसों की नहरी पटरी, क्यों सोया है सिस्टम
नहर पर नहीं लगी रेलिंग इसी वजह से ध्यान भटकते ही वाहन नहर में गिर जाते हैं हो जाती है मौत। कैथल के तीन युवकों की कार इसी में डूब गई। इसके बावजूद जिला प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
पानीपत, जेएनएन। पानीपत में दिल्ली पैरलल नहर में तीन युवक कार सहित डूब गए। दो तो बच गए, एक बह गया। उसकी तलाश की जा रही है। रिफाइनरी से लेकर समालखा तक करीब 35 किलोमीटर का क्षेत्र दिल्ली पैरलल नहर से लगता है। नहर के किनारे बना ये रास्ता हाईवे से पहले दिल्ली आने-जाने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता था। अब भी रास्ते को ही वाहन चालक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। लेकिन खतरे से खाली नहीं है। नहर के किनारे रेलिंग नहीं लगाई गई हैं। न ही दिशा सूचक बोर्ड लगे हैं। वाहन चालक का धुंध में थोड़ा सा ध्यान नहीं भटका कि गाड़ी सीधे नहर में गिर जाती है। हर साल आठ से दस वाहन नहर में गिर जाते हैं। औसतन चार से पांच लोगों की मौत हो जाती है। ये मौत का सिलसिला बंद नहीं हो रहा है।
जिम्मेदार विभागों की लापरवाही वाहन चालकों पर जिंदगी पर भारी
नहर के पास की सड़क पर दिशा सूचक और सांकेतिक बोर्ड लगवाने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की है। धुंध में हादसे होने के बाद हर साल आला अधिकारी कई विभागों के अधिकारियों की बैठक लेते हैं। उन्हें आदेश करते हैं दिशा सूचक बोर्ड लगवाएं। इस बार भी बैठक हो चुकी है, लेकिन दिशा सूचक बोर्ड नहीं लगवाए हैं। ये लापरवाही वाहन चालकों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है।
यहां होते हैं ज्यादा हादसे
गढ़ी सिकंदरपुर, बतरा कालोनी के सामने, असंध नाका चौकी के पास जाटल रोड के पास, पानीपत-रोहतक हाईवे के नजदीक, बिंझौल म्यूजियम और सिवाह पुल के पास नहर में वाहन गिरने से ज्यादा हादसे होते हैं। इसी तरह से दिवाना गांव के पास और नारायणा के नजदीक भी वाहन नहर में गिरते हैं।